नयी दिल्ली, 28 जून (भाषा) लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के छह साल के कार्यकाल के दौरान भले ही कुछ मौकों पर सदन में गतिरोध देखने को मिला हो, लेकिन संसदीय रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण, विशेष विधायी ब्रीफिंग और पहली बार चुने गए सांसदों को मुद्दे उठाने के अवसर देना उनकी पहचान रही है।
बिरला तीसरी बार निचले सदन के लिए निर्वाचित हुए हैं। उन्हें पिछले साल 26 जून को 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में फिर से चुना गया था और इस सप्ताह की शुरुआत में उन्होंने निचले सदन के पीठासीन अधिकारी के रूप में छह साल पूरे किए।
लोकसभा अध्यक्ष ने हाल ही में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ’18वीं लोकसभा के पहले वर्ष में 104 प्रतिशत कार्य उत्पादकता दर्ज की गई है। प्रमुख कानूनों को मंजूरी देने के लिए सदन की बैठक आधी रात तक चली।’
उन्होंने यह भी कहा था कि 18वीं लोकसभा ने पिछले एक साल के दौरान निचले सदन की 372 घंटे की बैठकों के दौरान वक्फ (संशोधन) विधेयक, आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक और आव्रजन और विदेशी विधेयक सहित 24 विधेयक पारित किए।
बिरला 19 जून, 2019 को पहली बार लोकसभा अध्यक्ष चुने गए थे। लोकसभा अध्यक्ष के रूप में उनका दूसरा कार्यकाल पिछले साल 26 जून को शुरू हुआ।
बिरला ने कहा कि सदस्यों को सदन में अविलंब लोक महत्व के मुद्दों को उठाने की अनुमति देना उनकी प्राथमिकता रही है और इस साल तीन अप्रैल को एक रिकॉर्ड बनाया गया था जब लोकसभा में 204 मुद्दे उठाए गए थे, जो एक दिन में उठाए गए मुद्दों की सर्वाधिक संख्या है।
उन्होंने कहा कि संसदीय रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण प्राथमिकता का एक अन्य क्षेत्र रहा है और लोकसभा सचिवालय 8,000 घंटे से अधिक की ऐतिहासिक संसदीय चर्चाओं की वीडियो रिकॉर्डिंग को डिजिटल बनाने की प्रक्रिया में है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमने ये वीडियो दूरदर्शन अभिलेखागार से लिए हैं क्योंकि ये संसद टीवी के अस्तित्व में आने से पहले के हैं।’
उन्होंने कहा कि एआई-संचालित खोज प्रणाली अब उपयोगकर्ताओं को कई भाषाओं में भी, वीडियो में विशिष्ट शब्दों या विषयों को तुरंत ढूंढने की सहूलियत प्रदान करती है।
अधिकारी ने कहा कि नई तकनीकों ने नवनिर्वाचित सांसदों के दैनिक कार्यों को सरल बना दिया है, जिससे 19 अलग-अलग फॉर्म भरने की बोझिल प्रक्रिया को एक एकीकृत ऑनबोर्डिंग ऐप से बदल दिया गया है जो समय बचाता है और त्रुटियों को भी कम करता है।
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