नई दिल्ली. दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है. ऐसे में केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों ने सरकार से अपील की है कि उन्हें वर्क फ्रॉम होम (WFH) की अनुमति दी जाए, कर्मचारियों के लिए ऑफिस समय अलग-अलग किया जाए और रोज़मर्रा के कामों के लिए डिजिटल वर्कफ्लो को बढ़ावा दिया जाए.
सेंट्रल सेक्रेटेरिएट सर्विस (CSS) फ़ोरम ने मंगलवार को कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) के सचिव को लिखे एक पत्र में कहा, “इस समय दिल्ली में जहरीली हवा और गंभीर प्रदूषण स्तर के कारण, रोज़ाना सेंट्रल सेक्रेटेरिएट आने वाले हजारों कर्मचारी अतिरिक्त स्वास्थ्य तनाव का सामना कर रहे हैं.”
प्रशासनिक अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले इस फ़ोरम ने पत्र में कहा कि अलग-अलग समय पर काम शुरू न होने के कारण कर्मचारी रश आवर्स में ट्रैफिक जाम में फंस जाते हैं, जिससे वे और अधिक प्रदूषण के संपर्क में आते हैं.
“एक जैसे ऑफिस समय के कारण भारी ट्रैफिक जाम हो रहा है—खासकर मध्य दिल्ली और मेट्रो स्टेशनों के आसपास—जिससे कर्मचारियों को लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहना पड़ता है,” पत्र में कहा गया. फ़ोरम ने यह भी बताया कि इससे होने वाले बुरे स्वास्थ्य प्रभाव CGHS पर बोझ बढ़ाएंगे.
सरकारी कर्मचारियों को CGHS, यानी सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम, का अधिकार है, जिसके तहत इलाज मुफ्त या फिर रिइम्बर्स किया जाता है.
इसी संभावना का जिक्र करते हुए फ़ोरम ने सरकार से अनुरोध किया कि कम से कम 30-40 प्रतिशत कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की अनुमति दी जाए.
“जिन दफ़्तरों में पहले से ही डिजिटल इंडिया की सुविधाएं हैं, उन्हें आंशिक WFH लागू करने की अनुमति दी जा सकती है, बिना काम की क्षमता पर असर डाले. इससे ट्रैफिक जाम कम होगा, प्रदूषित हवा के संपर्क में कमी आएगी और इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े खर्च भी बचेंगे, जबकि कामकाज जारी रहेगा,” पत्र में कहा गया.
इसी तरह, फ़ोरम ने अलग-अलग ऑफिस समय की भी सलाह दी. पत्र में कहा गया, “रिपोर्टिंग टाइम में कम से कम दो घंटे का अंतर रखा जा सकता है. अभी लाखों कर्मचारी पीक आवर्स में एक ही मेट्रो लाइनें इस्तेमाल करते हैं, जिससे लंबी कतारें लगती हैं और प्रदूषित हवा के संपर्क में ज्यादा समय बिताना पड़ता है.”
कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के तहत इस हफ्ते एक सलाह जारी की थी, जिसमें सभी सरकारी और निजी संगठनों को कहा गया था कि वे स्टैगर्ड वर्क टाइम और कम से कम आधे स्टाफ के लिए वर्क फ्रॉम होम लागू करें.
इसके बाद दिल्ली सरकार ने एक नोटिस जारी किया, जिसमें कहा गया कि विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों से कहा गया है कि वे अपने आधे कर्मचारियों को WFH देने की व्यवस्था सुनिश्चित करें.
नवंबर के अधिकतर दिनों में हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ या ‘गंभीर’ श्रेणी में रही है. डॉक्टरों ने लोगों को सलाह दी है कि जितना हो सके लंबे समय तक प्रदूषित हवा के संपर्क में आने से बचें.
मंगलवार को फ़ोरम ने सरकार से यह भी अनुरोध किया कि डिजिटल फ़ाइल प्रोसेसिंग, वर्चुअल मीटिंग और ऑनलाइन वर्कफ़्लो मैनेजमेंट को बढ़ावा दिया जाए ताकि कर्मचारी अलग-अलग जगहों से काम करें तब भी काम प्रभावित न हो. “कोविड-19 के दौरान ऐसी डिजिटल कार्यप्रणाली की सफलता साफ दिखाई दी थी, जब ज्यादातर गैर-संवेदनशील और गैर-जरूरी काम बिना रुकावट घर से ही चलते रहे,” फ़ोरम ने कहा.
एक CSS अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि वे “अभूतपूर्व” संख्या में ऐसे मामलों को देख रहे हैं जिनमें लोग अस्वस्थ महसूस कर रहे हैं और सांस से जुड़ी समस्याओं की शिकायत कर रहे हैं.
अधिकारी ने कहा, “यह कोविड-19 जितनी ही बड़ी आपात स्थिति है, और हमें कर्मचारियों पर दबाव कम करने के लिए उस डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को सक्रिय करना चाहिए जो हमने बनाया है.”
उन्होंने यह भी कहा, “हम कैसे कह सकते हैं कि हम ‘डिजिटल इंडिया’ हैं, जब कर्मचारियों को इस खतरनाक वातावरण में WFH नहीं दिया जा सकता.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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