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Sunday, 6 October, 2024
होमदेशकोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए कैदियों की अंतरिम जमानत-पैरोल की अवधि बढ़ाई : दिल्ली हाईकोर्ट

कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए कैदियों की अंतरिम जमानत-पैरोल की अवधि बढ़ाई : दिल्ली हाईकोर्ट

अदालत ने कहा, 'हम केवल इस बात से चिंतित हैं कि रिहा किए गए (जमानत या पैरोल पर) कैदियों के वापस आने पर कहीं जेल में कैदियों के बीच संक्रमण न फैल जाए.'

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नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि जेलों में बंद कैदियों में कोविड-19 महामारी का प्रसार रोकने के लिए अंतरिम जमानत और पैरोल पर रिहा कैदियों को मिली राहत की अवधि बार बार बढ़ाई जा रही है.

अदालत ने कहा, ‘हम केवल इस बात से चिंतित हैं कि रिहा किए गए (जमानत या पैरोल पर) कैदियों के वापस आने पर कहीं जेल में कैदियों के बीच संक्रमण न फैल जाए.’

मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल, न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पूर्ण पीठ ने एक दोषी की अर्जी पर यह स्पष्टीकरण दिया. इस दोषी की अंतरिम जमानत की अवधि एकल न्यायाधीश की पीठ ने यह कहते हुये नहीं बढ़ाई थी कि उच्च न्यायालय का 13 जुलाई का आदेश उसके मामले में लागू नहीं होता है. अदालत ने 13 जुलाई के आदेश में ऐसी सभी राहतों को 31 अगस्त तक बढ़ा दिया था.

एकल न्यायाधीश की पीठ ने कहा था कि 13 जुलाई का आदेश केवल उन लोगों के लिए लागू है जो उच्चाधिकार समिति (एचपीसी) द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार अंतरिम जमानत या पैरोल के लिए पात्र हैं.

जेलों में कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए वहां कैदियों की भीड़ को कम करने के लिए उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर उच्चाधिकार समिति का गठन किया गया है.

वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से शुक्रवार को सुनवाई के दौरान, पूर्ण पीठ ने कहा कि यह जमानत और पैरोल की अवधि बढ़ाने का निर्देश प्रत्येक मामले में लागू नहीं होता है.

अदालत ने कहा, ‘कृपया एचपीसी के निर्देशों के साथ इसे (पूर्ण पीठ के आदेश) भ्रमित न करें.’

पीठ ने आगे कहा कि विस्तार आदेश पारित कर दिया गया है क्योंकि जेल महानिदेशक का कहना है कि जेलों में काफी भीड़ है और अगर जेलों में भीड़ कम नहीं की जाती है तो वहां कोविड-19 के प्रसार को रोकना मुश्किल होगा.

पीठ ने कहा कि हालांकि उसके 13 जुलाई के आदेश में कोई अस्पष्टता नहीं थी, लेकिन यह इसे और स्पष्ट करेगा.

मुख्य याचिका 24 अगस्त को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है जब पीठ यह तय करेगी कि अंतरिम आदेशों को आगे बढ़ाया जाए या नहीं.

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