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Sunday, 22 December, 2024
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मंत्री का संकेत, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां बीपीसीएल के लिए नहीं लगा सकेंगी बोली

मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने देश की दूसरी सबसे बड़ी सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनी बीपीसीएल और सबसे बड़ी जहाजरानी कंपनी शिपिंग कॉरपोरेशन आफ इंडिया (एससीआई) में सरकार की समूची हिस्सेदारी बेचने की मंजूरी दी है.

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नई दिल्ली : सरकार ने संकेत दिया है कि इंडियन आयल कॉरपोरेशन (आईओसी) तथा सार्वजनिक क्षेत्र की अन्य कंपनियों को भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) में हिस्सेदारी खरीदने के लिए बोली लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. बीपीसीएल के अधिग्रहण के लिए किसी भी खरीदार को करीब 90,000 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ सकते हैं.

मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने बुधवार को देश की दूसरी सबसे बड़ी सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनी बीपीसीएल और सबसे बड़ी जहाजरानी कंपनी शिपिंग कॉरपोरेशन आफ इंडिया (एससीआई) में सरकार की समूची हिस्सेदारी बेचने की मंजूरी दी है. इसके अलावा कंटेनर कॉरपोरेशन आफ इंडिया (सीसीआई) के निजीकरण का भी फैसला किया गया है.

इसके साथ ही सरकार ने चुनिंदा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों में अपनी हिस्सेदारी को घटाकर 51 प्रतिशत से नीचे लाने की मंजूरी दी है.

प्रधान ने बृहस्पतिवार को संवाददाताओं से कहा, ‘2014 से ही हमारी सोच रही है कि सरकार का काम कारोबार करना नहीं है.’

उन्होंने कहा कि हमारे पास दूरसंचार और विमानन जैसे दो-तीन क्षेत्रों के उदाहरण हैं जहां निजी क्षेत्र की भागीदारी से उपभोक्ताओं के लिए कीमत घटी है और दक्षता बढ़ी है. साथ ही उन्हें बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हो पा रही हैं.

बीपीसीएल का अधिग्रहण करने वाले खरीदार को देश की 14 प्रतिशत कच्चा तेल शोधन क्षमता और ईंधन विपणन ढांचे का करीब 25 प्रतिशत मिलेगा. भारत को दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता ऊर्जा बाजार माना जाता है.

हालांकि, बीपीसीएल की बिक्री उसके पोर्टफोलियो से नुमालीगढ़ रिफाइनरी को निकालने के बाद की जाएगी. नुमालीगढ़ रिफाइनरी को किसी सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई को सौंपा जाएगा.

प्रधान ने कहा, ‘नुमालीगढ़ रिफाइनरी की स्थापना असम समझौते के तहत की गई थी. यह सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई बनी रहेगी. असम के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से नुमालीगढ़ रिफाइनरी का सार्वजनिक चरित्र कायम रखने का आग्रह किया है, जिसे स्वीकार कर लिया गया है.’

पेट्रोलियम मंत्री ने हालांकि यह नहीं बताया कि आईओसी या आयल इंडिया को इस इकाई के अधिग्रहण की अनुमति दी जाएगी या नहीं. आईओसी और आयल इंडिया की पहले से नुमालीगढ़ रिफाइनरी में हिस्सेदारी हैं और दोनों उसे कच्चे तेल की आपूर्ति भी करती हैं.

प्रधान ने कहा, ‘इसके ब्योरे पर काम चल रहा है. वित्त मंत्री ने कहा है कि बीपीसीएल का निजीकरण इसी वित्त वर्ष में होगा. हमें उम्मीद है कि तय समयसीमा में इसे पूरा कर लिया जाएगा.’

यह पूछे जाने पर क्या सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों को सरकार की 53.29 प्रतिशत हिस्सेदारी के अधिग्रहण को बोली लगाने की अनुमति दी जाएगी, प्रधान ने कहा, ‘विनिवेश प्रक्रिया का ब्योरा तय किया जाएगा. लेकिन जब मैं कहता हूं कि कारोबार करना सरकार का काम नहीं है, तो यह भविष्य की संभावित कार्रवाई का संकेत हो सकता है.’

बीपीसीएल के शेयर के मौजूदा मूल्य के हिसाब से सरकार की 53.29 प्रतिशत हिस्सेदारी का मूल्य 62,000 करोड़ रुपये बैठेगा. इसके अलावा अधिग्रहण करने वाली कंपनी को अल्पांश शेयरधारकों से 26 प्रतिशत अतिरिक्त हिस्सेदारी लेने के लिए खुली पेशकश लानी होगी. इस पर 30,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे.

सरकार ने पिछले साल हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (एचपीसीएल) में अपनी समूची हिस्सेदारी ओएनजीसी को 36,915 करोड़ रुपये में बेची थी. प्रधान ने कहा कि बीपीसीएल का निजीकरण क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने की नीति का हिस्सा है.

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