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Tuesday, 22 July, 2025
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धनखड़ के अचानक इस्तीफा देने से अटकलों का बाज़ार गर्म

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नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा) जगदीप धनखड़ द्वारा सोमवार रात अचानक उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने से ऐसी अटकलों का बाज़ार गर्म हो गया है कि क्या यह ‘स्वास्थ्य’ कारणों से दिया गया या इसके पीछे ‘कुछ और वजह’ है।

आमतौर पर, किसी उच्च पदस्थ व्यक्ति के हटने पर उनकी प्रशंसा की जाती है लेकिन सत्तारूढ़ गठबंधन की ओर से ऐसा कुछ नहीं था, जो इस बात का संकेत है कि शायद सरकार उनके हटने से खुश है। हालांकि विपक्ष की ओर से उनके बारे में अच्छे शब्द कहे गए। विपक्षी सदस्यों ने पिछले साल उनके कथित पक्षपात को लेकर उन्हें पद से हटाने के लिए एक नोटिस पर हस्ताक्षर किए थे।

धनखड़ ने सोमवार को सदन को सूचित किया था कि भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को पद से हटाने के लिए उन्हें 63 विपक्षी सांसदों की ओर से एक नोटिस मिला है।

यह नोटिस न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने के लिए लोकसभा में द्विदलीय प्रस्ताव लाने की सरकार की योजना के विरुद्ध था। इसके साथ ही सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए और भी शर्मनाक स्थिति पैदा हो गई क्योंकि यह पूरी तरह से विपक्ष द्वारा पेश किया गया था।

सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों ने तुरंत कदम उठाते हुए भाजपा और उसके सहयोगी दलों के कई राज्यसभा सदस्यों से एक दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करवाए। इस संबंध में कुछ सदस्यों ने कहा कि यह ऐसे ही एक नोटिस के लिए था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उच्च सदन में इस कवायद के पीछे केवल विपक्षी सदस्य ही नहीं हैं।

कई अन्य हस्ताक्षरकर्ताओं ने चुप्पी साधे रखी, वहीं कुछ ने कहा कि उन्हें विवरण की जानकारी नहीं है क्योंकि उन्होंने एक ऐसे दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए थे जिसमें मामले का विवरण नहीं था। इससे यह अनुमान लगाया गया कि यह धनखड़ से संबंधित था। हालांकि, कुछ वरिष्ठ नेताओं ने जोर दिया कि ऐसा यह सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किया गया था कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सांसद भी न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने के नोटिस का हिस्सा हों।

धनखड़ से सरकार की अप्रसन्नता का एक और संकेत सोमवार शाम 4.30 बजे राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में सदन के नेता जे.पी. नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू की अनुपस्थिति थी। कार्य मंत्रणा समिति में विभिन्न दलों के सदस्य होते हैं और यह सदन के एजेंडे पर निर्णय लेती है।

धनखड़ की अध्यक्षता में यह बैठक इसलिए हुई क्योंकि पिछली बैठक में सदन के एजेंडे पर कोई निर्णय नहीं हो सका था। पिछली बैठक में नड्डा और रीजीजू शामिल हुए थे।

कांग्रेस नेता और राज्यसभा सदस्य जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में अनुमान लगाया कि दोपहर एक बजे से शाम 4.30 बजे के बीच स्पष्ट रूप से कुछ गंभीर बात हुयी, जिसके कारण नड्डा और रीजीजू ‘जानबूझकर’ कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में शामिल नहीं हुए। उन्होंने दावा किया कि यह बात धनखड़ को अच्छी नहीं लगी।

नड्डा ने संवाददाताओं से कहा कि वे दोनों आधिकारिक कार्य में व्यस्त थे और उन्होंने राज्यसभा के सभापति के कार्यालय को इसकी सूचना दे दी थी।

कुछ भाजपा सदस्यों ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे को शून्यकाल के दौरान ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सरकार पर तीखा हमला करने की अनुमति देने के धनखड़ के फैसले की भी आलोचना की, जबकि सरकार ने पहले ही इस मुद्दे पर चर्चा की बात की थी।

धनखड़ (74) ने सोमवार रात 9.25 बजे स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि वह ‘‘स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने’’ के लिए तत्काल प्रभाव से पद छोड़ रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को छोड़कर, सत्ता पक्ष के अधिकतर वरिष्ठ नेताओं ने कोई भी टिप्पणी करने से परहेज किया।

मोदी ने ‘एक्स’ पर संक्षिप्त पोस्ट में कहा, ‘‘श्री जगदीप धनखड़ जी को भारत के उपराष्ट्रपति सहित कई भूमिकाओं में देश की सेवा करने का अवसर मिला है। मैं उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं।’’

लंबे समय से धनखड़ के कटु आलोचक रहे विपक्षी सांसद कपिल सिब्बल ने उन्हें राष्ट्रवादी और देशभक्त बताया। वरिष्ठ वकील सिब्बल ने कहा कि धनखड़ चाहते थे कि दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए विपक्ष और सरकार मिलकर काम करें।

कई नेताओं का मानना है कि धनखड़ और सरकार के बीच संबंध समय के साथ तनावपूर्ण हो गए होंगे, लेकिन इन मतभेदों के कारणों के संबंध में अभी कोई स्पष्टता नहीं है।

भाषा अविनाश प्रशांत

प्रशांत

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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