नई दिल्ली: नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान एयरलाइन टिकट बुक करने वाले यात्री तत्काल रिफंड के हकदार हैं.
सोमवार को शीर्ष अदालत के समक्ष पेश हलफनामे में डीजीसीए ने कहा कि ‘एयरलाइनों को इस तरह के टिकट बुक नहीं करने चाहिए थे.’
केंद्र सरकार और डीजीसीए की ओर से 9 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सरकार को यह स्पष्ट करने के लिए कहा गया था कि क्या वह कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान यात्रा के लिए बुक किए गए हवाई टिकटों का पूरा रिफंड देने को तैयार है या नहीं.
पीएम नरेंद्र मोदी के द्वारा 24 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा करने के बाद उड़ानों सहित सभी तरह की यात्रा को रोक दिया गया था. इसलिए, उस समय अधिकांश एयरलाइंस ने यात्रियों को क्रेडिट शेल में रखा था. क्रेडिट शेल एक ओपन टिकट है, जिसके माध्यम से एक यात्री अगले सात महीनों से एक वर्ष के भीतर यात्रा कर सकता है.
हालांकि, दो महीने बाद, 25 मई से देश में उड़ान का संचालन फिर से शुरू हो गया था.
सबमिशन के अनुसार, जिन यात्रियों ने 24 मई तक के, लॉकडाउन से पहले बुक किए गए टिकटों के मामले में भी क्रेडिट शेल और इंसेंटिव स्कीम के तहत रिफंड किया जाएगा.
25 मई के बाद यात्रा के लिए किसी भी समय बुक किए गए टिकटों के लिए डीजीसीए ने कहा कि वापसी सीएआर द्वारा नियंत्रित की जाएगी.
सीएआर रद्द करने के लिए कई दिशानिर्देश देता है. इसमें प्रस्थान के निर्धारित समय से कम से कम दो सप्ताह पहले यात्री को सूचित करना होता है, जिसमें वैकल्पिक उड़ान की व्यवस्था या यात्री को स्वीकार्य के रूप में धनवापसी शामिल है.
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क्रेडिट शेल का उपयोग नहीं होने पर ब्याज के साथ वापसी
हलफनामे में कहा गया है कि यदि जिस यात्री के नाम से टिकट बुक किया गया है, वह 31 मार्च 2021 तक क्रेडिट शेल का उपयोग नहीं करता है, तो एयरलाइन को उस एजेंट को ब्याज के साथ (जिसके खाते से टिकट बुक किया गया था) उसको राशि वापस करनी होगी.
शपथ पत्र में कहा गया है, इसके अलावा किराए के रिफंड को वापस करते समय पैसा उसी खाते में वापस होगा, जहां से यह प्राप्त किया गया था. जैसे कि क्रेडिट कार्ड या नेट बैंकिंग के माध्यम से भुगतान किया गया है.
इसलिए यदि टिकट को टूर ऑपरेटर, एजेंट या ओटीटी के माध्यम से बुक किया गया था, तो धनवापसी के मामले में पैसा उसी टूर ऑपरेटर या एजेंट के खाते में वापस जाएगा जिसके खाते से टिकट खरीदे गए थे.
हालांकि, टिकट यात्री के नाम पर रहेगा और वह एजेंट को भुगतान कर सकता है यदि वह क्रेडिट शेल का उपयोग करता है तो.
अदालत एक गैर-लाभकारी संगठन, प्रवासी कानूनी सेल के द्वारा अप्रैल में वकील जोस अब्राहम के माध्यम से द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
एनजीओ ने बताया था कि यात्रियों को निर्धारित अवधि के भीतर क्रेडिट शेल का लाभ उठाने का इरादा नहीं था और इसके बदले उन्हें पूर्ण धन वापसी दी जानी चाहिए.
13 जून को, सुप्रीम कोर्ट ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय को निर्देश दिया था कि वह उन यात्रियों को वापस करने का एक तरीका खोजे, जिनकी उड़ानें लॉकडाउन होने के कारण रद्द कर दी गई थीं.
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