भोपाल, 17 मार्च (भाषा) वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश के सभी छह क्षेत्रों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दबदबा रहा और उसने राज्य की 29 संसदीय सीट में से 28 पर जीत हासिल की तथा इस बार भी वह अपना प्रदर्शन दोहराने की कोशिश करेगी।
भाजपा पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह क्षेत्र छिंदवाड़ा पर भी कब्जा करने की कोशिश करेगी, जो 2019 के चुनाव में कांग्रेस द्वारा मध्य प्रदेश में जीती गई एकमात्र सीट थी। राज्य के छह क्षेत्रों में विकास और रोजगार से संबंधित मुद्दे भाजपा और कांग्रेस के प्रमुख मुद्दे रहे हैं।
भाजपा ने राज्य की सभी 29 सीट के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, जबकि कांग्रेस ने अब तक 10 सीट पर अपने उम्मीदवारों के नामों का एलान किया है।
कुल 29 सीट में से पांच अनुसूचित जनजाति के लिए और चार अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं। 2019 के चुनाव में ये सभी सीट भाजपा ने जीती थीं।
राज्य में मुख्यत: छह क्षेत्र हैं- ग्वालियर-चंबल, मध्य क्षेत्र (भोपाल), मालवा-निमाड़, महाकौशल, विंध्य और बुंदेलखंड। मालवा-निमाड़ क्षेत्र में सबसे ज्यादा आठ लोकसभा सीट हैं।
1. ग्वालियर-चंबल: कभी डकैतों से प्रभावित माना जाने वाला यह क्षेत्र अब विकास की ओर बढ़ चुका है।
भाजपा नीत सरकार ने पिछले साल उत्तर प्रदेश के आगरा से जोड़ने वाले एक एक्सप्रेसवे को मंजूरी दी थी।
देश में चीता को फिर से बसाने की सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत श्योपुर जिले के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों के आगमन ने क्षेत्र में, विशेष रूप से पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्रों में रोजगार के रास्ते भी खोल दिए हैं।
गुना इस क्षेत्र के प्रमुख लोकसभा क्षेत्रों में से एक है, जहां से भाजपा ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को मैदान में उतारा है, जो मार्च 2020 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे।
इस क्षेत्र के अन्य लोकसभा क्षेत्र मुरैना, भिंड (एससी) और ग्वालियर हैं।
2. मध्य क्षेत्र (भोपाल): इस क्षेत्र में राज्य की राजधानी भोपाल और नर्मदापुरम सहित इसके आसपास के क्षेत्र शामिल हैं।
इस क्षेत्र में पांच लोकसभा सीट शामिल हैं-भोपाल, विदिशा, राजगढ़, बैतूल (एसटी) और नर्मदापुरम।
भाजपा ने इस बार भोपाल से अपनी मौजूदा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर का टिकट काटकर पूर्व महापौर आलोक शर्मा को मैदान में उतारा है।
विदिशा में भाजपा ने अपने वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मैदान में उतारा है, जो पहले भी इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
विकास और रोजगार उन प्रमुख मुद्दों में से हैं जो इस क्षेत्र में चुनाव परिणाम को प्रभावित करते हैं।
3. मालवा-निमाड़: यह क्षेत्र कृषि गतिविधियों के लिहाज से महत्वपूर्ण है और इसमें तीन प्रमुख आदिवासी क्षेत्र खरगोन, रतलाम और धार शामिल हैं।
राज्य की वाणिज्यिक राजधानी इंदौर देश में साफ-सफाई के मामले में सबसे अव्वल शहर है। प्रमुख सर्राफा व्यापार केंद्र रतलाम तथा उज्जैन और ओंकारेश्वर के प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग इस क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं।
इस क्षेत्र में आठ लोकसभा सीट हैं- इंदौर, देवास (एससी), उज्जैन (एससी), मंदसौर, खंडवा, खरगोन (एसटी), रतलाम (एसटी) और धार (एसटी)।
इस क्षेत्र में चुनाव प्रचार में किसानों, आदिवासियों, रोजगार और मजदूरों के विस्थापन से संबंधित मुद्दे हावी रहने की संभावना है।
भाजपा ने इंदौर से अपने मौजूदा सांसद शंकर लालवानी को मैदान में उतारा है।
4. बुंदेलखंड: इस क्षेत्र में पन्ना की प्रसिद्ध हीरे की खदानें, विश्व धरोहर स्थल खजुराहो और पन्ना टाइगर रिजर्व हैं।
इस क्षेत्र में चार लोकसभा सीट शामिल हैं – सागर, दमोह, टीकमगढ़ (एससी) और खजुराहो।
केन-बेतवा नदी को जोड़ने की परियोजना को मंजूरी देना एक महत्वपूर्ण कदम है जिसका उद्देश्य क्षेत्र में पानी की कमी, विशेषकर सिंचाई सुविधाओं की समस्या का समाधान करना है।
भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद वी डी शर्मा को खजुराहो से दूसरी बार टिकट दिया है और टीकमगढ़ से केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार को मैदान में उतारा है।
5. महाकौशल: यह क्षेत्र पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का गढ़ माना जाता है, जिनके बेटे नकुलनाथ परिवार के गृह क्षेत्र छिंदवाड़ा से मौजूदा सांसद हैं।
महाकौशल आठ जिलों-जबलपुर, छिंदवाड़ा, कटनी, सिवनी, नरसिंहपुर, मंडला, डिंडोरी और बालाघाट में फैला हुआ है।
स्थानीय निवासी क्षेत्र के पिछड़ेपन पर शिकायत करते हुए कहते हैं कि जबलपुर विकास के मामले में एक समय रायपुर (छत्तीसगढ़) और नागपुर (महाराष्ट्र) से बहुत आगे था, लेकिन अब यह शहर इंदौर और भोपाल से भी पीछे है।
इस क्षेत्र में पांच लोकसभा सीट हैं-जबलपुर, मंडला (एसटी), शहडोल (एसटी), बालाघाट और छिंदवाड़ा। मंडला से भाजपा ने मौजूदा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते को मैदान में उतारा है।
कांग्रेस ने नकुलनाथ को छिंदवाड़ा से फिर से उम्मीदवार बनाया है, इस सीट का प्रतिनिधित्व उनके पिता कमलनाथ नौ बार कर चुके हैं।
6. विंध्य: उत्तर प्रदेश की सीमा से लगा यह क्षेत्र मध्य प्रदेश के नौ पूर्वी जिलों – रीवा, शहडोल, सतना, सीधी, सिंगरौली, अनुपपुर, उमरिया, मैहर और मऊगंज में फैला हुआ है।
इसमें तीन लोकसभा सीट शामिल हैं-सतना, रीवा और सीधी। इस क्षेत्र के प्रमुख मुद्दों में विकास और रोजगार शामिल है।
भाषा आशीष संतोष
संतोष
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