नयी दिल्ली, 28 अगस्त (भाषा) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने चीन के साथ सीमा गतिरोध पर संसद में चर्चा कराने में कथित ‘‘झिझक और अपारदर्शिता’’ के लिए मोदी सरकार की आलोचना की और बीजिंग के साथ भारत के समग्र संबंधों पर एक विस्तृत चर्चा की आवश्यकता पर बल दिया।
तिवारी ने यह आरोप भी लगाया कि रक्षा और विदेश मंत्रालय संसदीय छानबीन से मुक्त हैं।
उन्होंने 1962 के भारत-चीन सीमा युद्ध के दौरान संसद में चर्चा होने का उदाहरण दिया और इस बात का उल्लेख किया कि 1971 में जब पाकिस्तान के साथ लड़ाई चल रही थी तो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संसद को जानकारी दी थी।
तिवारी पिछले कई सत्रों से संसद में चीन के विषय पर चर्चा कराने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने 17वीं और वर्तमान लोकसभा में भी इस विषय पर कार्यास्थगन के कई नोटिस दिए हैं।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘अपारदर्शिता का यह दृष्टिकोण, यह दिखावा करने की कोशिश करना कि सब कुछ ठीक है… मुझे नहीं लगता कि इससे देश को मदद मिलेगी।’’
चीन के साथ वर्तमान सीमा मुद्दे का उल्लेख करते हुए तिवारी ने कहा, ‘‘आपके पास 50,000-60,000 सैनिक हैं जो आंखों में आंखें डालकर डंटे हुए हैं और दूसरी ओर आपका चीन के साथ व्यापार संबंध है, जो वास्तव में बढ़ते व्यापार घाटे के साथ भारत के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है।’’
कांग्रेस नेता ने यह कहा कि चीन के साथ भारत के समग्र संबंधों पर एक विस्तृत चर्चा की आवश्यकता है।
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हक माधव
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