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Friday, 15 November, 2024
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हताशा, अपनों की तलाश और पड़ोसियों का बदला- हल्द्वानी में घटना के दिन कुछ ऐसा था मंज़र

उत्तराखंड के हल्द्वानी में 'अवैध' मस्जिद को ढहाए जाने के बाद हुई झड़पों में 5 लोगों की जान चली गई. मृतकों के परिवार अपनों को खोजने और बदला लेने की भावना से भरे पड़ोसियों का कहानियां सुनाते हैं.

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हल्द्वानी: कथित तौर पर गुरुवार को हल्द्वानी में ‘अवैध’ मस्जिद/मदरसा को ध्वस्त करने के जिला प्रशासन के फैसले के खिलाफ जवाबी कार्रवाई में भीड़ द्वारा जलाए गए जेसीबी अर्थमूवर्स के टुकड़ों से अभी भी धुंएं निकल रहे हैं. हालांकि, शहर का बनभूलपुरा इलाका, जहां झड़प हुई थी, अब शांत हो गया है.

अब, दुखी परिवार प्रशासन द्वारा लगाए गए कर्फ्यू के बीच बनभूलपुरा की संकरी गलियों तक सीमित होकर एकान्त मौन में शोक मना रहे हैं. दोबारा फिर से हिंसा न हो इसके लिए पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के जवान पूरी तरह से सतर्क हैं.

दिप्रिंट हिंसा में मारे गए लोगों के परिवारों संपर्क किया. जबकि कुछ लोग इस बात को लेकर दुख व्यक्त कर रहे हैं कि आखिर क्यों उन्होंने अपने परिवार के लोगों के उस शाम बाहर जाने दिया, वहीं एक व्यक्ति का यह भी कहना था उनके पड़ोसी ने बदले की भावना उनके परिवार के एक सदस्य की हत्या करदी.

Torched vehicles at Malik ka Bagicha in Haldwani Banbhoolpura area | Suraj Singh Bisht | ThePrint
हलद्वानी बनभूलपुरा क्षेत्र के मलिक का बगीचा में वाहनों में आग लगा दी गई | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट

8 फरवरी को, हल्द्वानी नगर निगम, नैनीताल जिला प्रशासन और स्थानीय पुलिस की टीमें मलिक का बगीचा में “अवैध” मस्जिद/मदरसा को ढहाने के लिए पहुंचीं, जिसके प्रतिरोध में स्थानीय लोगों ने पथराव किया. हिंसा में पांच लोगों की जान चली गई और पुलिस और सहायक बलों के कर्मियों सहित सौ से अधिक घायल हो गए.

मृतकों में 24 वर्षीय प्रकाश कुमार भी शामिल था, जो उसी दिन नौकरी की तलाश में बिहार से हल्द्वानी आया था.

उत्तराखंड राज्य सरकार ने हिंसा की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं, जिसकी अध्यक्षता कुमाऊं मंडल के आयुक्त दीपक रावत करेंगे. उनसे अगले 15 दिनों में रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है.


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‘बस एक काम निपटाने गया था’

गफूर बस्ती की शिम्मी के लिए, 8 फरवरी की हिंसा ने उनके परिवार को दोहरा झटका दिया – उन्होंने एक ही झटके में अपने पति, 45 वर्षीय जाहिद हुसैन और 18 वर्षीय बेटे मोहम्मद अनस को खो दिया. झड़प में गोली लगने से उन दोनों की मौत हो गई.

जाहिद उस दिन रोजमर्रा के काम से अपनी पोती के लिए दूध खरीदने के लिए घर से निकले थे. शिम्मी ने दिप्रिंट को बताया, “मेरे पति गुरुवार रात 8 बजे दूध खरीदने के लिए घर से निकले. उन्हें एक फोन आया था और वह फोन पर बात करते हुए ही चले गए.”

जब अनस ने सुना कि उसके पिता बाहर निकले हैं, तो वह चिंतित हो गया और उनकी तलाश करने लगा. इसके तुरंत बाद, यह खबर जाहिद के बड़े बेटे मोहम्मद अमान तक पहुंची कि उसके पिता को गोली मार दी गई है और वह उनकी तलाश में निकल पड़ा. उन्होंने उसे ढूंढा और उन्हें लेकर अस्पताल पहुंचा लेकिन वहां पहुंचने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.

इस बीच, जाहिद के बहनोई मोहसिन अंसारी को उसके लापता परिवार के सदस्यों के बारे में पता चला और वह भी उन्हें तलाश करने लगा. उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “मुझे पता चला कि मेरे जीजा को गोली मार दी गई है और मैंने उनकी तलाश शुरू कर दी, लेकिन इस दौरान मैंने देखा कि मेरे भांजे अनस को भी गोली मार दी गई है और वह पास के चौराहे पर पड़ा था. पहले तो मैं उसके पास जाने की हिम्मत नहीं जुटा सका, लेकिन फिर मैं दौड़कर उसके पास गया. अनस मदद के लिए चिल्ला रहा था. अस्पताल पहुंचने पर उसे मृत घोषित कर दिया गया.”

जाहिद की बड़ी बहन गुड्डो के मुताबिक, उसके भाई को सीने में और भतीजे अनस को जांघ में गोली मारी गई. उनकी सास मुमताज बेगम ने कहा कि गफूर बस्ती का हिंसा से कोई लेना-देना नहीं है.

इस बीच, शिम्मी अपने बेटे के साथ बिताए अपने आखिरी पलों के बारे में सोचकर गमगीन है.

उसने रोते हुए कहा, “अनस ने नए कपड़े खरीदे थे. उसने उन्हें पहना और मुझे दिखाया और पूछा, ‘कैसा लग रहा हूं, अम्मी?’, और मैंने उससे कहा कि तुम बहुत अच्छे लग रहे हो. अब देखो क्या हुआ है.”

‘बदला’

8 फरवरी की शाम करीब 7 बजे फहीम कुरैशी अपने भाइयों के साथ मलिक का बगीचा से महज 100 मीटर की दूरी पर स्थित बनभूलपुरा की लाइन नंबर 16 स्थित अपने घर की छत पर बैठा था, तभी उसकी नजर पड़ोसी संजय सोनकर और उसके दो बेटों और राजू नाम का एक व्यक्ति पर पड़ी जिसे उन्होंने उनके वाहन को जलाने की कोशिश करते हुए देखा.

फहीम के चचेरे भाई जावेद ने दिप्रिंट को बताया कि जब फहीम ने सोनकर को अपने टाटा मैजिक मिनी पिकअप वाहन पर पेट्रोल छिड़कने से रोकने की कोशिश की, तो सोनकर ने उसे गोली मार दी.

जावेद ने कहा, “घटनास्थल पर मौजूद मेरे चचेरे भाइयों ने सोनकर को गोलीबारी करते देखा.”

उन्होंने कहा, “सोनकर ने 15 दिन पहले फहीम के बड़े भाई को भी धमकी दी थी कि वह उसे मार डालेगा. मेरा एक चचेरा भाई इस अपराध का चश्मदीद गवाह है,”

जावेद के मुताबिक, फहीम और सोनकर के बीच दुश्मनी करीब छह महीने पहले एक दीवार को लेकर शुरू हुई थी.

अपने घर के बाहर एक ऐसे क्षेत्र की बाड़ लगाने के लिए जहां नशीली दवाओं के उपयोगकर्ता कथित तौर पर उद्यम करेंगे. सोनकर, जो जावेद के अनुसार “अवैध गतिविधियों” में शामिल है, ने निर्माण पर आपत्ति जताई.

फहीम ने अपने घर के बाहर संकरी गली में उस एरिया को घेरने के लिए एक दीवार बनवाई थी, जहां कथित तौर पर नशीली दवाओं का सेवन करने वाले आते थे. जावेद ने दिप्रिंट को बताया, “हमने सोनकर की संलिप्तता के बारे में सिटी मजिस्ट्रेट और एसडीएम से शिकायत की है और कहा है कि उसने सड़कों पर अशांति फैलाकर और हिंसा के ज़रिए मेरे चचेरे भाई से अपना बदला लिया.”

Deserted Haldwani streets after the violence | Suraj Singh Bisht | ThePrint
हिंसा के बाद सुनसान पड़ी हलद्वानी की सड़कें | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट

जावेद ने सोनकर के ऊपर पहले भी मुस्लिम समुदाय पर धार्मिक रूप से अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था, लेकिन उन्होंने इसके बारे में कभी कुछ नहीं किया, क्योंकि आप “अपने पड़ोसियों को चुन और बदल नहीं सकते”.

जब दिप्रिंट ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान विशेष रूप से फहीम कुरेशी के परिवार के आरोपों के बारे में पूछा तो नैनीताल के एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा ने कहा है कि सभी मामलों से जुड़े हर आरोप की जांच की जा रही है.

‘पीठ में गोली मारी गई’

बंदूक की गोली से मरने वाला एक अन्य व्यक्ति मोहम्मद शाबान था, जो बनभूलपुरा के आज़ाद नगर इलाके की लाइन नंबर 9 में रहता था. 21 वर्षीय शाबान पढ़ाई कर रहा था और अपने परिवार द्वारा चलाए जाने वाले जनरल स्टोर पर भी काम करता था.

उनके बहनोई मोहम्मद उस्मान का कहना है कि जब उन्होंने यह खबर सुनी तो वह मेरठ में थे. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “मैंने सुना था कि शाबान के पैर में रबर की गोली लगी है. लेकिन वास्तविकता इससे कहीं ज्यादा भयावह निकली.”

Mohammed Usman, brother-in-law of deceased Mohammad Shaban | Photo by Suraj Singh Bisht, ThePrint
मृतक मोहम्मद शाबान के बहनोई मोहम्मद उस्मान | फोटो: सूरज सिंह बिष्ट । दिप्रिंट

उस्मान के मुताबिक, शाबान 8 फरवरी को अपने बड़े भाई मोहम्मद शादान की तलाश में गया था, तभी उसकी पीठ में गोली मार दी गई. उन्होंने कथित तौर पर दम तोड़ दिया, जबकि स्थानीय लोग, जो उन्हें अस्पताल ले जाने की कोशिश कर रहे थे, उनको पुलिस ने रोक दिया.

चारों स्थानीय मृतक लोगों का अंतिम संस्कार शुक्रवार को किया गया. कुमार का शव उनके परिवार को सौंप दिया गया है, जो रविवार को इसे अपने गृहनगर आरा वापस ले गए.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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