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Friday, 22 November, 2024
होमदेशकई राज्यों में 'अग्निपथ योजना' के खिलाफ दूसरे दिन भी जारी प्रदर्शन, विपक्ष ने साधा केंद्र सरकार पर निशाना

कई राज्यों में ‘अग्निपथ योजना’ के खिलाफ दूसरे दिन भी जारी प्रदर्शन, विपक्ष ने साधा केंद्र सरकार पर निशाना

बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट कर अग्निपथ भर्ती योजना को गरीब और ग्रामीण युवाओं के भविष्य के साथ खुला खिलवाड़ बताया है.

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नई दिल्ली: गुरुवार को देश के कई राज्यों में आर्मी भर्ती के कैंडिडेट्स ने अग्निपथ भर्ती योजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. युवा दो दिन से लगातार अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. गुरुवार को दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, और बिहार में युवा सड़कों पर उतरे हैं.

कैंडिडेट्स मांग कर रहे हैं कि सेना में संविदा पर भर्ती करने, अधिकतर को बिना पेंशन और ग्रेजुएटी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की केंद्र द्वारा शुरू की गई अग्निपथ योजना को वापस ले.

कैंडिडेट्स का कहना है कि वो भारतीय सेना के लिए नई भर्ती योजना के तहत शुरू किए गए परिवर्तनों से नाखुश हैं. खासतौर से सेवा की लंबी अवधि, जल्दी रिटायर होने वालों के लिए कोई पेंशन प्रावधान नहीं है और 17.5 से 21 आयु रोक जो अब उनमें से कई को अयोग्य बनाता है.

दिल्ली के नांगलोई में ट्रेन रोककर उम्मीदवारों ने अग्निपथ योजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.

बिहार के मुंगर, आरा, जहानाबाद समेत कई जिलों में कैंडिडेट्स ने हाईवे और रेलवे ट्रेक को जाम कर दिया. इस दौरान कई ट्रेनें रोक दी गईं.

बिहार में कुछ ट्रेनों को भी आग के हवाले कर दिया गया है. उधर आरा जिले में कथित प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा बलों पर पथराव किया.

जहानाबाद में कई युवाओं ने विरोध प्रदर्शन के दौरान ट्रेन को रोक दी.

एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘हम कड़ी मेहनत करने के बाद सेना में भर्ती होते हैं. पीएम मोदी निर्णय ले रहे हैं कि 4 साल की नौकरी होगी. किस हिसाब से 4 साल की नौकरी होगी क्योंकि 8 महीने की ट्रेनिंग और 6 महीने की छुट्टी होगी तो लगभग 3 साल में हम देश की क्या रक्षा करेंगे. यह फैसला वापस लेना होगा.’

एक दूसरे प्रदर्शनकारी ने हा कि हम चार साल काम करने के बाद कहां जाएंगे? हम चार की सर्विस करने के बाद बेघर हो जाएंगे. तो हमने सड़कें जाम कर दी हैं. अब देश के तेताओं को पता चल जाएगा कि लोग जागरूक हो गए हैं.

मुंगेर के प्रदर्शन में शामिल एक उम्मीदवार ने कहा, ‘हम मांग करते हैं कि भर्ती पहले की तरह की जाएं, टूर ऑफ ड्यूटी (टीओडी) को वापस लिया जाए और परीक्षा पहले की तरह आयोजित की जाए। सिर्फ 4 साल के लिए सेना में कोई नहीं जाएगा.’

उधर, छपरा में कार्यक्रम के विरोध में युवकों ने टायर जलाकर बस में तोड़फोड़ की.

बक्सर जिले में 100 से अधिक की संख्या में रेलवे स्टेशन पहुंचे युवा पटरियों पर बैठ गए जिससे पटना जाने वाली जनशताब्दी एक्सप्रेस की आगे की यात्रा लगभग 30 मिनट तक बाधित रही.

प्रदर्शनकारियों ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा मंगलवार को घोषित योजना के खिलाफ नारेबाजी की.

बुधवार को मुजफ्फरपुर शहर में बड़ी संख्या में सेना में भर्ती के उम्मीदवारों ने चक्कर मैदान के चारों ओर सड़कों पर टायर जलाकर अपनी नाराजगी जाहिर की. इस मैदान में उम्मीदवार बड़ी संख्या में शारीरिक परीक्षण के लिए आते हैं.

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे सशस्त्र बलों के लिए आवश्यक शारीरिक परीक्षण पास कर चुके हैं लेकिन पिछले दो साल से कोई भर्ती नहीं हुई है. उन्होंने सेना में भर्ती की पुरानी व्यवस्था बहाल करने की मांग की.

बुधवार को ही बेगूसराय जिले में हर हर महादेव चौक पर एनसीसी के कुछ छात्रों और सेना में भर्ती की तैयारी कर रहे युवाओं ने टायर जलाकर नेशनल हाईवे 31 को जाम कर अपना विरोध दर्ज कराया.

बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को अग्निपथ भर्ती योजना को मंजूरी दी थी जो भारतीय युवाओं को चार साल की अवधि के लिए सशस्त्र बलों के नियमित कैडर में सेवा करने का मौका देती है.

इस योजना को सशस्त्र बलों के एक युवा प्रोफाइल को सक्षम करने और ‘जोश’ और ‘जज्बा’ का एक नई लीज देने के लिए डिज़ाइन किया गया है, साथ ही एक अधिक तकनीक-प्रेमी सशस्त्र बलों की ओर एक परिवर्तनकारी बदलाव ला रहा है – जो वास्तव में है समय की जरूरत है.

चयन सशस्त्र बलों का अनन्य क्षेत्राधिकार होगा. इस साल कुल 46 हजार अग्निशामकों की भर्ती की जाएगी.


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‘बीजेपी सरकार सेना भर्ती को अपनी प्रयोगशाला क्यों बना रही है?’

युवाओं के सड़कों पर उतर जाने के बाद विपक्षी पार्टियां भी केंद्र सरकार पर लगातार निशाना साध रही हैं.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि युवाओं की ‘अग्निपरीक्षा’ मत लीजिए.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘न कोई रैंक, न कोई पेंशन, न 2 साल से कोई डायरेक्ट भर्ती, न 4 साल के बाद स्थिर भविष्य, न सरकार का सेना के प्रति सम्मान, देश के बेरोज़गार युवाओं की आवाज़ सुनिए, इन्हें ‘अग्निपथ’ पर चला कर इनके संयम की ‘अग्निपरीक्षा’ मत लीजिए, प्रधानमंत्री जी.’

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट किया कि केंद्र की मोदी सरकार सैन्य भर्ती को लेकर खानापूर्ति और लापरवाह वाला रवैया अपना रही है.

उन्होंने लिखा, ‘देश की सुरक्षा कोई अल्पकालिक या अनौपचारिक विषय नहीं है, ये अति गंभीर और दीर्घकालिक नीति की अपेक्षा करती है. सैन्य भर्ती को लेकर जो ख़ानापूर्ति करनेवाला लापरवाह रवैया अपनाया जा रहा है, वो देश और देश के युवाओं के भविष्य की रक्षा के लिए घातक साबित होगा. ‘अग्निपथ’ से पथ पर अग्नि न हो.’

उधर, बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट कर अग्निपथ भर्ती योजना को गरीब और ग्रामीण युवाओं के भविष्य के साथ खुला खिलवाड़ बताया है. गुरुवार को मायावती ने ट्वीट किया, ‘इनका (उम्मीदवार) मानना है कि सेना व सरकारी नौकरी में पेंशन लाभ आदि को समाप्त करने के लिए ही सरकार सेना में जवानों की भर्ती की संख्या को कमी के साथ-साथ मात्र चार साल के लिए सीमित कर रही है, जो घोर अनुचित तथा गरीब व ग्रामीण युवाओं व उनके परिवार के भविष्य के साथ खुला खिलवाड़ है.’

मायावती ने केंद्र सरकार से मांग की कि वो इस योजना को लेकर अपने फैसले पर फिर से विचार करें.

उन्होंने आगे लिखा, ‘देश में लोग पहले ही बढ़ती गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी एवं सरकार की गलत नीतियों व अहंकारी कार्यशैली आदि से दुःखी और त्रस्त हैं, ऐसे में सेना में नई भर्ती को लेकर युवा वर्ग में फैली बेचैनी अब निराशा उत्पन्न कर रही है. सरकार तुरंत अपने फैसले पर पुनर्विचार करे, बीएसपी की यह मांग.’

कांग्रेस सचिव प्रियंका गांधी ने बुधवार को ट्वीट करके सवाल किया कि बीजेपी सरकार सेना भर्ती को अपनी प्रयोगशाला क्यों बना रही है?

उन्होंने लिखा, ‘भाजपा सरकार सेना भर्ती को अपनी प्रयोगशाला क्यों बना रही है? सैनिकों की लंबी नौकरी सरकार को बोझ लग रही है? युवा कह रहे हैं कि ये 4 साला नियम छलावा है। हमारे पूर्व सैनिक भी इससे असहमत हैं. सेना भर्ती से जुड़े संवेदनशील मसले पर न कोई चर्चा, न कोई गंभीर. सोच-विचार. बस मनमानी?’

वहीं, बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया, ‘अगर देश के सबसे बड़े नियोक्ताओं भारतीय रेलवे और सेना में भी नौकरियां ठेके और प्रशासनिक सेवा में ‘लेटरल एंट्री’ के नाम पर दी जाने लगेंगी तो युवा क्या करेंगे.’

उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘क्या युवा पढ़ाई और चार वर्षों की संविदा नौकरी भविष्य में बीजेपी के पूंजीपति मित्रों के व्यावसायिक ठिकानों की रखवाली के लिए करेंगे.’

पहले भी हुए हैं बिहार में विरोध प्रदर्शन 

इसी साल जनवरी में भी बिहार समेत कई राज्यों के युवाओं ने कई दिनों तक रेलवे भर्ती बोर्ड की परीक्षा प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था.

इस दौरान भी प्रदर्शनकारियों ने कई स्थानों पर रेल पटरियों पर धरना दिया जिससे राज्य में ट्रेनों की आवाजाही बाधित हो गई थी. विरोध प्रदर्शन के कारण कई ट्रेनों को रद्द कर दी गईं थीं.

प्रदर्शनकारियों ने दावा किया था कि 2019 में जारी आरआरबी अधिसूचना में केवल एक परीक्षा का उल्लेख किया गया था. उन्होंने अधिकारियों पर छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया था.

परीक्षा परिणाम 15 जनवरी को घोषित होने के बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया था.

उस समय रेल मंत्रालय ने एक स्पष्टीकरण जारी किया था जिसमें कहा गया था कि अधिसूचना में दूसरे चरण की परीक्षा का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया था. सीबीटी के पहले चरण की परीक्षा सभी उम्मीदवारों के लिए एक सामान्य परीक्षा थी.


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