सोनीपत: नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का रविवार को भी सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन रहा. रविवार को हुई बैठक के बाद किसान संगठनों ने कहा कि किसान बुराड़ी नहीं जाएंगे और वहां मौजूद अपने साथियों को भी वापस बुलाएंगे. साथ ही दिल्ली जाने वाले सभी रास्तों को बाधित करने की बात भी कही गई.
किसानों ने रविवार को सिंघु व कुंडली बॉर्डर के दिल्ली जाने के वैकल्पिक मार्गों को भी बाधित करना शुरू कर दिया है.
किसान जत्थेबंदियों की बैठक में आज कई अहम फैसले लिए गए, जिनमें दिल्ली की सीमा पर ही बैठे रहने और बुराड़ी के मैदान में जाने से साफ इंकार किया गया.
उन्होंने कहा कि अब फौरी तौर पर आंदोलनकारी दिल्ली की सीमाओं को पांच तरफ से बंद करेंगे. साथ ही किसान जत्थेबंदियों की एक साझा समिति बनाई गई है जोकि आगे से सभी रणनीतिक फैसले लेगी.
बैठक में यह सहमति भी जताई गई कि किसान आंदोलन के मंच पर किसी भी राजनैतिक दल के नेता को बोलने की इजाजत नहीं दी जाएगी. इसके अलावा, हरियाणा में किसानों पर हुए कथित अत्याचार पर भी रोष व्यक्त किया गया.
भाकियू के हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने एक बयान में कहा कि किसानों का अब बुराड़ी जाने का कोई इरादा नहीं है. सरकार ने पहले लाठियां मारीं, पानी की बौछारें कीं और अश्रु गैस के गोले छोड़े.
उन्होंने कहा कि अंबाला से लेकर यहां तक हम पर 30-32 केस दर्ज किए जा चुके हैं. हत्या का केस तक हम पर दर्ज किया गया है. हमें डर है कि जाट आरक्षण की तरह अब कुछ असामाजिक तत्व हमारे बीच न घुस जाएं और कोई अनहोनी न कर दें. इसलिए हम सतर्क हैं.
गुरनाम सिंह ने कहा कि अब हरियाणा का किसान भी हमारा साथ देने के लिए चल पड़ा है. किसान संगठन पहले ही कह चुके हैं कि वे दिल्ली घेरने आए हैं, न की दिल्ली में घिर जाने के लिए. गृह मंत्री अमित शाह अगर बुराड़ी आकर बात करना चाहते हैं तो हम नहीं मानेंगे.
किसान जत्थेबंदियों का कहना है कि अगर सरकार किसानों की मांग को लेकर गंभीर है, तो उन्हें शर्तें रखना बंद करना चाहिए. सरकार को ऐसा सोचना बंद करना चाहिए कि उनके बयान किसानों को कानून के फायदों के बारे में स्पष्टीकरण दे सकते हैं. साथ ही कहा कि हमारी मांगें स्पष्ट हैं और सरकार समाधान के साथ सामने आए.