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Saturday, 22 June, 2024
होमदेश‘शुक्ला का घर तोड़ना राजनीति से प्रेरित’: सीधी के ब्राह्मणों का पेशाब कांड के आरोपी के परिवार को समर्थन

‘शुक्ला का घर तोड़ना राजनीति से प्रेरित’: सीधी के ब्राह्मणों का पेशाब कांड के आरोपी के परिवार को समर्थन

अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज ने पेशाबकांड के आरोपी प्रवेश शुक्ला के घर को तोड़ने के खिलाफ याचिका दायर करने का फैसला लिया है. जबकि, समुदाय का एक अन्य लोग सोशल मीडिया पर पीड़ित परिवार के लिए समर्थन जुटा रहे हैं.

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भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सीधी में पेशाब करने की घटना के आरोपी प्रवेश शुक्ला के खिलाफ मामला दर्ज करने और गिरफ्तार करने के कुछ दिनों बाद, जिले का ब्राह्मण समुदाय उसके परिवार को उस घर के पुनर्निर्माण में मदद करने के लिए आगे आया है. प्रवेश शुक्ला का घर उसके खिलाफ कार्रवाई के तहत तोड़ दिया गया था.

प्रवेश शुक्ला की “पंडित” के रूप में पहचान तब सामने आई जब पीड़ित आदिवासी व्यक्ति दशमत रावत ने भी शुक्रवार को उनकी रिहाई की मांग की. स्थानीय मीडिया से बात करते हुए रावत ने कहा कि शुक्ला को अपनी गलती का एहसास हो गया है. रावत ने सरकार से अपने आखिरी अनुरोध में उन्हें छोड़ देने की मांग की. रावत की मांग भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) विधायक के कथित सहयोगी को एक छोटी सी राहत है. जैसा कि रावत के एक वायरल वीडियो में दिखाया गया है, वह कहते हैं, “वह हमारे गांव के पंडित हैं और इसीलिए, मैं इससे ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता. मेरी मांग है कि सरकार उन्हें रिहा कर दे.”

प्रवेश शुक्ला का वीडियो 4 जुलाई को वायरल हो गया था, जिसमें वह रावत के ऊपर पेशाब कर रहा था. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मामले का संज्ञान लेते हुए शुक्ला के खिलाफ सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया था. शुक्ला के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत मामला दर्ज किया गया था. उन्हें बुधवार तड़के गिरफ्तार किया गया और दोपहर तक प्रशासन ने सीधी के कुबरी गांव में शुक्ला के घर का एक ‘अवैध हिस्सा’ ढहा दिया था.

शुक्ला के परिवार ने घर गिराने का काफी विरोध किया था और उनके पिता रमाकांत शुक्ला ने प्रशासन से पूरे परिवार को उसके कृत्य के चलते दंडित न करने की गुहार लगाई थी.

अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज (एबीबीएस) के राज्य अध्यक्ष पंडित पुष्पेंद्र मिश्रा ने शुक्ला के घर पर जेसीबी चलाने और उसे गिराने की आलोचना की और परिवार की आर्थिक सहायता आश्वासन दिया. अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज (एबीबीएस) की मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना जैसे राज्यों में मजबूत स्थिति है.

मिश्रा ने 6 जुलाई को एक प्रेस नोट में कहा, “ब्राह्मण समुदाय शुक्ला के कृत्य की कड़ी निंदा करता है लेकिन किसी व्यक्ति के कृत्य के लिए किसी और को दंडित करना सही नहीं है. मैं उनके परिवार को पूरी मदद का आश्वासन देता हूं.”

इस बीच, ब्राह्मण समुदाय के एक अन्य व्यक्ति ने शुक्ला के परिवार के लिए सार्वजनिक समर्थन जुटाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया है. शुक्रवार देर रात फेसबुक पर अपलोड होने के बाद से अविनाश तिवारी नाम के एक युवक के चार मिनट के वीडियो को 600 से अधिक बार शेयर किया गया है और लगभग 1.20 लाख लोगों ने देखा है.

उज्जैन में एमपी इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस रिसर्च के निदेशक प्रोफेसर यतींद्र सिसौदिया के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में राज्य में कई जाति-आधारित संगठन सामने आए हैं, जिनमें से सभी खुद को स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, “कुछ ब्राह्मण संगठन हो सकते हैं जो सरकारी कार्रवाई पर आपत्ति जता रहे हों लेकिन यह समुदाय को एकजुट करने और अपनी राजनीति स्थापित करने का उनका एक तरीका है.”

इस बात पर जोर देते हुए कि महज 5 फीसदी आबादी होने के बावजूद, ब्राह्मण राज्य में राजनीति को प्रभावित करते हैं, उन्होंने कहा, “ब्राह्मण एक प्रभावशाली समुदाय हैं लेकिन वे सत्तारूढ़ बीजेपी के पारंपरिक मतदाता भी हैं. विधानसभा चुनाव में सीधी की घटना से पार्टी को समुदाय के समर्थन पर असर पड़ने की संभावना नहीं है.”

सीधी के एक सामाजिक कार्यकर्ता और वकील उमेश तिवारी ने कहा कि जिले में ऊंची जातियों में ब्राह्मण और ठाकुर शामिल हैं. उन्होंने कहा, “यहां ठाकुर पारंपरिक रूप से कांग्रेस के मतदाता हैं जबकि ब्राह्मण बीजेपी के साथ हैं. यह समीकरण इस बार भी कायम रहेगा.”


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समर्थन जुटाने वाली ताकत?

एबीबीएस के राज्य प्रमुख मिश्रा ने एबीबीएस के सभी एमपी जिला प्रभारियों को भी शुक्ला के परिवार की हर संभव मदद करने का निर्देश दिया है. प्रेस नोट में उन्होंने यह भी बताया कि सीधी जिला इकाई ने शुक्ला परिवार को 51,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी है.

शनिवार को दिप्रिंट से बात करते हुए उन्होंने कहा कि एबीबीएस विध्वंस को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर करेगा. उन्होंने कहा, “वह घर शुक्ला का नहीं था और उसका संयुक्त परिवार वहां रहता था. सरकार उस घर को कैसे गिरा सकती है.” 

इस बीच, बघेली भाषा में काम करने वाले 30 वर्षीय थिएटर कलाकार तिवारी ने दिप्रिंट से कहा, “कोई भी प्रवेश शुक्ला के द्वारा किए कृत्य को उचित नहीं ठहरा रहा है, लेकिन घर गिराना एक राजनीतिक कदम था. ऐसा नहीं है कि शुक्ला फरार था और उन्होंने उस पर आत्मसमर्पण करने का दबाव बनाने के लिए उसका घर तोड़ दिया.”

तिवारी ने आगे कहा, “शुक्ला ने जो किया उसके लिए परिवार को सज़ा क्यों दी जाए? उनकी बहन सीएम से अनुरोध करती रही कि वह उसे अपनी बहन समझें और उसे बेघर न करें, लेकिन प्रशासन ने उसकी एक न सुनी.”

उन्होंने कहा कि समुदाय के लोगों में गुस्सा है और उन्हें लगता है कि सरकार की कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है.

तिवारी ने कहा, “मैं कोई राजनीतिक व्यक्ति नहीं हूं लेकिन मैं बता सकता हूं कि सही और गलत क्या है और राजनीति क्या है. दशमत रावत को बुलाने और उनके पैर धोने की सभी तस्वीरें शेयर की गई. सरकार को इसका जवाब मिलेगा. वीडियो को केवल इसलिए काफी शेयर किया जा रहा है क्योंकि यह लोगों को पसंद आ रहा है.”

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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