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शनिवार, 3 मई, 2025
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महाराष्ट्र के देवगिरी किले में आग के बाद ज्वलनशील सामग्री पर रोक लगाने की मांग : इंटैक

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छत्रपति संभाजीनगर, 17 अप्रैल (भाषा) प्रसिद्ध देवगिरी किले में हाल में लगी आग की घटना के बाद भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक धरोहर न्यास (इंटैक) ने पर्यटकों को किसी भी प्रकार की ज्वलनशील सामग्री साथ ले जाने से रोकने की मांग की है।

इंटैक की एक टीम ने बुधवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीक्षण पुरातत्वविद् से मुलाकात कर इस संबंध में एक ज्ञापन सौंपा।

देवगिरी किले को दौलताबाद किले के नाम से भी जाना जाता है। यह किला महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर जिले में स्थित है और पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र है।

यह किला छत्रपति संभाजीनगर शहर से 16 किलोमीटर दूर है और नौवीं से 14वीं सदी तक यादव वंश की राजधानी रहा था।

इस किले में आठ अप्रैल को आग लग गई थी, जिससे किले का एक बड़ा हिस्सा प्रभावित हुआ था और वहां मौजूद बंदरों समेत अन्य वन्यजीवों को नुकसान पहुंचा था।

इंटैक ने ज्ञापन में दावा किया है कि किले के सबसे ऊपरी हिस्से पर स्थित बरादरी की छत पर उगी घास में आग लगने के बाद यह घटना हुई, जिससे लकड़ी के ढांचे भी चपेट में आ गए।

इंटैक ने कहा है कि किले के भीतर उगने वाली घास और पेड़ों को नियमित रूप से हटाया जाना चाहिए।

संगठन ने सुझाव दिया है कि गर्मियों की शुरुआत से पहले नियमित सफाई अभियान चलाकर घास, सूखी टहनियां और प्लास्टिक के कचरे को हटाया जाना चाहिए।

इंटैक ने कहा है कि किला परिसर में प्रवेश करने वाले प्रत्येक व्यक्ति की जांच की जानी चाहिए, ताकि सिगरेट, माचिस, लाइटर, बीड़ी या कोई अन्य ज्वलनशील सामग्री परिसर में न लाई जा सके।

ज्ञापन में प्लास्टिक की बोतलें ले जाने पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।

इसके साथ ही महाराष्ट्र अग्नि सुरक्षा एवं जीवन सुरक्षा उपाय अधिनियम, 2006 का पालन सुनिश्चित किए जाने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया है।

संगठन ने कहा है कि आपात स्थिति में पानी के छोटे टैंकरों को किसी भी हिस्से तक पहुंचाने के लिए रास्तों का निर्माण और उनका नियमित रखरखाव किया जाना चाहिए।

भाषा राखी नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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