चेन्नई, नौ मार्च (भाषा) द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) सांसदों ने लोकसभा सीटों के परिसीमन के मुद्दे पर तमिलनाडु के अधिकारों को सुनिश्चित करने की दिशा में काम करने का रविवार को संकल्प लिया और कहा कि जनसंख्या आधारित परिसीमन से न सिर्फ दक्षिणी राज्यों बल्कि ओडिशा और पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्य भी प्रभावित होंगे।
सोमवार को संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण के शुरू होने से पूर्व पार्टी अध्यक्ष एवं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन की अध्यक्षता में द्रमुक सांसदों की एक बैठक हुई।
बैठक में संसद में परिसीमन मुद्दे को उठाने का निर्णय लेते हुए प्रस्ताव पारित किए गए। हिंदी ‘थोपने’ सहित अन्य मुद्दे भी उठाए जाएंगे।
द्रमुक इस बात पर जोर दे रही है कि लोकसभा सीट के जनसंख्या आधारित परिसीमन से तमिलनाडु की मौजूदा सीट कम हो जाएंगी और वह चाहती है कि परिसीमन 1971 की जनगणना के आधार पर किया जाए।
सांसदों ने कहा कि केंद्र ने इस मुद्दे पर ‘‘स्पष्ट प्रतिक्रिया’’ नहीं दी है और भ्रम पैदा कर रहा है तथा स्टालिन को समझ आ गया है कि जनसंख्या नियंत्रण उपायों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए तमिलनाडु और अन्य दक्षिणी राज्यों को ‘‘सजा’’ दी जा रही है।
सांसदों ने कहा, ‘‘इस बैठक में इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री स्टालिन के सभी प्रयासों में उनका समर्थन करने और इसे संसद में उठाने तथा यह सुनिश्चित करने का संकल्प लिया गया कि तमिलनाडु को एक भी लोकसभा सीट न गंवानी पड़े।’’
इसके अलावा, द्रमुक सांसदों ने आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और पंजाब के राजनीतिक दलों से समर्थन जुटाने और उन्हें इस मुद्दे पर केंद्र के खिलाफ संघर्ष का हिस्सा बनाने का संकल्प लिया। ऐसा अंदेशा है कि परिसीमन के बाद उपरोक्त सभी राज्यों को लोकसभा की कुछ सीट गंवानी पड़ सकती हैं।
इस उद्देश्य के लिए, द्रमुक सांसद गठबंधन दलों के अपने सहयोगियों के साथ समन्वय करेंगे।
भाषा खारी नरेश
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