नई दिल्ली: गुरुवार को जम्मू कश्मीर के लिए परिसीमन आयोग ने अपनी अंतिम रिपोर्ट जारी करते हुए कई अहम सिफारिशें की हैं. रिपोर्ट में प्रवासी कश्मीरियों और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से विस्थापित लोगों के लिए अतिरिक्त सीटें देने की सिफारिश की है.
सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में परिसीमन आयोग ने बैठक की जिसमें जम्मू-कश्मीर के लिए परिसीमन आदेश को अंतिम रूप दिया गया.
इसके लिए गजट अधिसूचना भी जारी कर दी गई है और यह आदेश केंद्र सरकार द्वारा घोषित तारीख से प्रभावी होगा.
अंतिम परिसीमन आदेश के मुताबिक केंद्र शासित प्रदेश के 90 विधानसभा क्षेत्रों में से 43 जम्मू क्षेत्र का और 47 कश्मीर क्षेत्र का हिस्सा होगा.
केंद्र शासित प्रदेश में सीटों की संख्या 83 से बढ़ाकर 90 करने का प्रस्ताव रखा है. इसके अलावा, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पीओके में 24 सीटें हैं, जो हमेशा रिक्त रहती हैं.
पहली बार नौ सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित की गई हैं जिनमें छह जम्मू में और तीन कश्मीर घाटी में होंगी. सात सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित की गई हैं.
तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य के संविधान ने विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान नहीं किया था.
सभी पांच संसदीय क्षेत्रों में पहली बार समान संख्या में विधानसभा सीटें होंगी. परिसीमन के उद्देश्य से जम्मू और कश्मीर को एक इकाई के रूप में माना गया है.
प्रेस रिलीज में कहा गया है, ‘एक संसदीय क्षेत्र को घाटी में अनंतनाग क्षेत्र और जम्मू के राजौरी और पुंछ को मिलाकर बनाया गया है. इस पुनर्गठन से हर एक संसदीय क्षेत्र में 18 विधानसभा क्षेत्रों की संख्या बराबर होगी.
स्थानीय प्रतिनिधियों की मांग को ध्यान में रखते हुए कुछ विधानसभा क्षेत्रों के नाम भी बदल दिए गए हैं.
प्रेस रिलीज में कहा गया है कि पटवार सर्कल सबसे निचली प्रशासनिक इकाई है जिसे तोड़ा नहीं गया है. सभी विधानसभा क्षेत्र संबंधित जिले की सीमा में रहेंगे.
आयोग ने सिफारिश की है कि विधानसभा में कश्मीरी प्रवासियों के समुदाय से कम से कम दो सदस्यों (उनमें से एक महिला होनी चाहिए) होने चाहिए . इसने कहा कि ऐसे सदस्यों को केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी की विधानसभा के मनोनीत सदस्यों की शक्ति के साथ शक्ति दी जा सकती है.
मार्च 2020 में गठित आयोग को पिछले साल, एक साल का विस्तार दिया गया था. मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा और जम्मू-कश्मीर के राज्य चुनाव आयुक्त, परिसीमन आयोग के पदेन सदस्य हैं. फरवरी में, आयोग का कार्यकाल फिर से दो महीने के लिए बढ़ाया गया. पहले इसका कार्यकाल छह मार्च को समाप्त होना था.
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