नई दिल्ली: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों के पुनर्निर्धारण के लिए परिसीमन आयोग के गठन संबंधी केंद्र के फैसले को चुनौती देते हुए कश्मीर के दो निवासियों ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है.
श्रीनगर निवासी हाजी अब्दुल गनी खान और डॉ. मोहम्मद अयूब मट्टू द्वारा दायर याचिका में यह घोषणा करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में सीटों की संख्या 107 से बढ़ाकर 114 (पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में 24 सीटों सहित) करना संवैधानिक प्रावधानों जैसे कि अनुच्छेद 81, 82, 170, 330 और 332 और विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 63 के तहत वैधानिक प्रावधानों के विपरीत है.
याचिका में दलील दी गई कि अगर पांच अगस्त, 2019 को भारत के साथ जम्मू और कश्मीर राज्य को सम्मिलित करना था, तो परिसीमन प्रक्रिया देश में एक राष्ट्र और एक संविधान के ‘नए आदेश’ को नकार देती है.
इसमें कहा गया है, जबकि भारत के संविधान के अनुच्छेद 170 में यह प्रावधान है कि देश में अगला परिसीमन 2026 के बाद किया जाएगा, फिर इसके लिए जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश को क्यों चुना गया है?
याचिका में कहा गया है कि अंतिम परिसीमन आयोग का गठन 12 जुलाई 2002 को परिसीमन अधिनियम, 2002 की धारा 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए 2001 की जनगणना के बाद पूरे देश में इस कवायद को करने के लिए किया गया था और आयोग ने पांच जुलाई 2004 के पत्र के माध्यम से संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों के साथ विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के लिए दिशानिर्देश और कार्यप्रणाली जारी की थी.
याचिका के अनुसार,‘यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और पुडुचेरी के केंद्र शासित प्रदेशों सहित सभी राज्यों की विधानसभाओं में मौजूदा सीटों की कुल संख्या, जैसा कि 1971 की जनगणना के आधार पर तय की गई है, वर्ष 2026 के बाद होने वाली पहली जनगणना तक अपरिवर्तित रहेगी.’
गौरतलब है कि छह मार्च, 2020 को केंद्र सरकार, कानून और न्याय मंत्रालय (विधान विभाग) ने परिसीमन अधिनियम, 2002 की धारा 3 के तहत अधिकार का प्रयोग करते हुए एक अधिसूचना जारी की थी जिसमें एक वर्ष की अवधि के लिए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड राज्य में विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के उद्देश्य से सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में एक परिसीमन आयोग का गठन किया गया था.
यह भी पढ़ें: शी का चीन सिर्फ यूक्रेन या ताइवान में ही नहीं उलझा है, कोई रूसी रिश्ते में रोड़ा भी डाल रहा
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.