scorecardresearch
Thursday, 26 December, 2024
होमदेशदिल्ली में यमुना में मल मूत्र संबंधी प्रदूषण खतरनाक स्तर पर

दिल्ली में यमुना में मल मूत्र संबंधी प्रदूषण खतरनाक स्तर पर

Text Size:

कॉपी में सुधार के साथ रिपीट)

(फाइल फोटो के साथ)

नयी दिल्ली, 11 दिसंबर (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी में यमुना नदी में प्रदूषण का स्तर 2020 की तुलना में उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है तथा असगरपुर में इसमें मल मूत्र से होने वाले प्रदूषण की सांद्रता प्रति 100 मिलीलीटर पर 79,00,000 ईकाई (एमपीएन) तक पहुंच गई है। असगपुर में ही यमुना दिल्ली से बाहर निकलती है।

नवंबर के लिए जारी नवीनतम जल गुणवत्ता रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी है।

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के आंकड़ों से पता चला है कि यह आंकड़ा अक्टूबर में दर्ज किए गए शीर्ष स्तर से मेल खाता है, जो दिसंबर 2020 के बाद से सबसे अधिक सांद्रता थी।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार मल मूत्र संबंधी प्रदूषण के प्रतीक ‘फीकल कोलीफॉर्म’ की मान्य सीमा प्रति 100 मिलीलीटर पर 2500 इकाई है।

मल मूत्र संबंधी प्रदूषण के उच्चतम स्तर का अंतिम दर्ज उदाहरण दिसंबर 2020 है जब सांद्रता प्रति 100 मिलीलीटर पर 120 करोड़ इकाई तक पहुंच गई थी।

डीपीसीसी की मासिक गुणवत्ता रिपोर्ट के अनुसार यमुना पल्ला में दिल्ली में प्रवेश करती है और वहां ‘फीकल कोलीफॉर्म’ 1100 इकाई प्रति 100 मिलीलीटर है और जब नदी आगे बढ़ती है जो उसमें मल संबंधी सांद्रता जलमल वाली नालियों के यमुना में गिरने के कारण बढ़ती चली जाती है। डीपीसीसी राष्ट्रीय हरित अधिकरण के निर्देश पर यह रिपोर्ट जारी करती है।

नदी के पानी में घुली ऑक्सीजन (डीओ) का स्तर पल्ला (6.1 मिलीग्राम/लीटर) और वजीराबाद (5.2 मिलीग्राम/लीटर) में स्वीकार्य सीमा के भीतर बताया गया, जो जलीय जीवन को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

हालांकि, आईएसबीटी पुल पर ऑक्सीजन स्तर घटकर शून्य हो गया है और दिल्ली से बाहर निकलने तक वह शून्य ही रहा। शून्य डीओ स्तर आमतौर पर मृत नदी पारिस्थितिकी तंत्र का संकेत है।

भाषा

राजकुमार नरेश

नरेश

राजकुमार

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments