नई दिल्ली : ऐसा प्रतीत हो रहा है कि ममता बनर्जी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राजनीतिक जादू अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी चलता नजर आ रहा है और दोनों राष्ट्रीय राजधानी में 1,797 अनाधिकृत कालॉनियों को कानूनी मान्यता देने के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करने की दिशा में काम करते दिख रहे हैं. सूत्रों के अनुसार, दोनों के बीच मधुरता देखी जा रही है क्योंकि इन कालॉनियों को कानूनी मान्यता देने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी का इंतजार है.
सूत्रों ने कहा कि शहरी विकास मंत्रालय द्वारा तैयार मसौदा कैबिनेट नोट दिल्ली सरकार को भेज दिया गया है और उसने इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं भेज दी हैं.
इसका समय खासतौर पर महत्वपूर्ण है क्योंकि दिल्ली में कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं.
नोट के अनुसार, कालॉनियों की मैपिंग दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) करेगा वहीं दिल्ली सरकार का राजस्व विभाग संपत्तियों का पंजीकरण करेगा. दिल्ली सरकार ने अपने बयान में कहा था कि केंद्रीय मंत्रिमंडल जैसे ही कॉलिनियों को अधिकृत करने के लिए अपनी मंजूरी देगा, राजस्व विभाग रजिस्ट्री कर सकेगा.
दिल्ली में भूमि संबंधी मामले केंद्र सरकार के अंतर्गत आते हैं और दिल्ली सरकार द्वारा नवंबर 2015 में एक अध्यादेश पारित करने के बाद से यह मामला लंबित है.
एक जनवरी 2015 की कट-ऑफ तारीख के साथ केंद्र और दिल्ली सरकार ने 1,797 कालॉनियों की सूची जारी की है. इन कालॉनियों की मैपिंग भी केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच विवाद के मुद्दों में से एक रहा है जो अब सुलझता प्रतीत हो रहा है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी में गृह, वित्त और शहरी विकास मंत्रालयों की अनुमति चाहिए. तैयार किया जा रहा कैबिनेट नोट कानूनी पुनरीक्षण की प्रक्रिया में है और इसके बाद मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल सकती है. निर्णय को जल्दी लागू करने के लिए इस संबंध में अध्यादेश लाने का रास्ता भी अपनाया जा सकता है.