नयी दिल्ली, 16 मई (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने नौ साल की एक बच्ची का यौन उत्पीड़न करने के जुर्म में एक व्यक्ति को सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है और कहा है कि बच्चों की देखभाल करना तथा उन्हें दुराचारियों से बचाना समाज की जिम्मेदारी है। यह घटना 2022 में हुई थी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुशील बाला डागर ने 32 वर्षीय व्यक्ति के खिलाफ सजा पर दलीलें सुनीं, जिसे पॉक्सो अधिनियम की धारा 10 (गंभीर यौन हमला) और 12 (यौन उत्पीड़न) के तहत दोषी ठहराया गया था।
अतिरिक्त लोक अभियोजक योगिता कौशिक दहिया ने कहा कि दोषी ने बच्ची के जननांगों को यौन इरादे से छुआ और उसे अश्लील सामग्री दिखाई, इसलिए वह इस ‘‘घृणित और निंदनीय’’ अपराध के लिए किसी भी सहानुभूति का हकदार नहीं है।
अदालत ने 14 मई के आदेश में कहा, ‘‘यह पूरे समाज की जिम्मेदारी है कि वह अपने बच्चों की देखभाल करे और यौन शोषण करने वालों के हाथों शारीरिक एवं मनोवैज्ञानिक शोषण से उनकी रक्षा करे।’’
इसने कहा, ‘‘बचपन में यौन शोषण के मनोवैज्ञानिक घाव कभी नहीं मिटते और वे व्यक्ति को हमेशा सताते रहते हैं, जिससे उनका समुचित शारीरिक और मनोवैज्ञानिक विकास बाधित होता है। यौन अपराध दोषी के लिए एक अलग कृत्य हो सकता है, हालांकि, उक्त कृत्य एक मासूम बच्चे के जीवन पर गहरा प्रभाव डालता है।’’
अदालत ने दोषी को पॉक्सो अधिनियम की धारा 10 के तहत सात वर्ष तथा धारा 12 के तहत तीन वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने तीन लाख रुपये का मुआवजा दिए जाने का निर्देश भी दिया।
भाषा
शुभम नेत्रपाल
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