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Monday, 23 December, 2024
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पूर्वोत्तर दिल्ली में हिंसा के बाद कुछ ने बदला आशियाना तो कुछ अपने ही घर में कैद हुए, मुसलमान मारे गए तो हिंदू भी नहीं बचा

हिंसा की शुरुआत रविवार को हुई जिसके बाद से ही लोगों का पूर्वोत्तर दिल्ली के इलाक़ों से पलायन जारी है. लोग अपने गांव या रिश्तेदारों के पास जा रहे हैं. कई लोगों ने बातचीत में कहा कि जान सलामत रही तो मकान फिर बना लेंगे.

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नई दिल्ली: पूर्वोत्तर दिल्ली में पिछले चार दिनों से चल रही हिंसा के बाद का मंज़र बेहद डरावना है. दंगाइयों ने बिना किसी फर्क के मोहल्ले, घर, स्कूल से लेकर धार्मिक स्थलों तक को अपनी हिंसा का शिकार बनाया और क्या मकान, क्या दुकान आग के हवाले कर दिया है. राजधानी के मुस्तफाबाद और खजूरी ख़ास जैसे इलाक़ों में मुस्लिम और हिंदू समुदाय की संपत्तियों को जमकर नुकसान पहुंचाया गया है. आलम ये है कि घरों की खिड़कियों से लेकर गाड़ियों में बैठे लोग ‘पिंजरे’ में क़ैद नज़र आ रहे हैं.

अर्धसैनिक बलों और दिल्ली पुलिस की भारी तैनाती के बीच लोग घरों और गलियों की ग्रिल में क़ैद हैं. इन सबके बीच भारी तनाव का माहौल बरकरार है. राजधानी के मुस्लिम बहुल मुस्तफ़ाबाद इलाक़े में एक जली हुई मस्जिद के बाहर खड़े एक युवा ने कहा, ‘पूरे इलाक़े को तबाह कर दिया. ये सब कपिल मिश्रा ने जो ज़हर उगला था उसके बाद हुआ. शर्ज़ील इमाम को बिहार से गिरफ़्तार कर के ले आते हैं. लेकिन दिल्ली में दंगा भड़काने वाले मिश्रा को लेकर अभी तक जांच कर रहे हैं.’

क्या हिंदू, क्या मुसलमान दोनों ही कौमों के लोगों का कहना है कि अब तक मिश्रा को भी उनके बयान को लेकर गिरफ्तार कर लिया जाना चाहिए था. पूर्वोत्तर दिल्ली के जिन इलाक़ों में भारी हिंसा हुई है उनमें मुस्तफ़ाबाद, खजूरी ख़ास, चांद बाग़, बाबरपुर, मौजपुर, ज़ाफ़राबाद और सीलमपुर जैसे इलाक़े शामिल हैं.


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‘हमारी मस्जिद जला दी, उसको न्यूज़ में दिखाओ’

मुस्तफ़ाबाद में मौजूद लोग छतों और खिड़कियों से पक्षियों की तरह झांकते नज़र आते हैं और बार-बार चीख़ कर अपील करते हैं- ‘हमारी मस्जिद जला दी, उसको न्यूज़ में दिखाओ’. इलाक़े में मौजूद जामा मस्जिद में लगाई गई आग बुझ तो गई हैं लेकिन इसकी गर्माहट अभी भी बरकरार है. इन सबकी वजह से भय का आलम ऐसा है कि लोग बड़ी मुश्किल से मीडिया से सीधे मुंह बात करने को तैयार हो रहे हैं.

डर और दहशत का आलम ये है कि अगर कोई दोनों हाथ पीछे की ओर मोड़कर चल रहा है तो लोगों को लग रहा है कि सामने वाले के हाथों में कोई हथियार ना हो और लोग तुरंत चीख उठते हैं, ‘भाई, हाथ में क्या है? कुछ नहीं तो दोनों हाथ आगे कर लें.’

हिंसा की शुरुआत रविवार को हुई जिसके बाद से ही लोगों का इन इलाक़ों से पलायन जारी है. लोग अपने गांव या रिश्तेदारों के पास जा रहे हैं. कई लोगों ने बातचीत में कहा कि जान सलामत रही तो मकान फिर बना लेंगे. डरे हुए लोगों का ये पलायन बुधवार को भी देखने को मिला.

पुलिस का एक चेहरा ये भी

हिंसाग्रस्त इलाक़ों में पुलिस स्थानीय नेताओं की मदद से गली और चौराहों पर खड़े लोगों को वापस उनके घरों में भेज रही है. जो लोग सुरक्षाकर्मियों की नहीं सुनते उनके ऊपर हल्की-फुल्की लाठी भी भाजी जा रही है. इन्हीं सब के बीच एक कश्मीरी छात्र जब अपनी किसी परीक्षा के लिए निकलने की कोशिश कर रहा था तो पुलिस ने उसे ज़ोर देकर पीछे जाने को कहा लेकिन जब उसने बताया कि उसकी परीक्षा है तो पुलिस ने उसे पीसीआर वैन में बिठाकर इलाक़े से बाहर भिजवाया.

ऐसे ही लोग किश्तों में बड़ी मुश्किल से यहां से निकलने की कोशिश कर रहे हैं. मुस्तफ़ाबाद से ऐसे कुछ लोग एक गाड़ी में इलाक़ा छोड़ते दिखे. पुलिस और सीआरपीएफ़ ने पूछताछ के बाद मुश्किल से इन लोगों को इलाका छोड़ने दिया. इनमें से एक व्यक्ति ने कहा, ‘बड़ी मुश्किल से जान बचाई है, अभी यहां रहने की हिम्मत नहीं हो रही.’ यहां से जा रहे लोगों ने कहा कि हालात सामान्य हुए तो लौटने की सोचेंगे.

लोगों को भरोसा दिलाने के लिए नेताओं के साथ घूम रही है पुलिस

ऐसे डर के माहौल में भरोसा पैदा करने के लिए मुस्तफ़ाबाद के निगम पार्षद मारुफ को दिल्ली पुलिस ने अपने साथ इलाक़े में घुमाकर लोगों को भरोसा दिलाया कि किसी तरह की चिंता की कोई बात नहीं है. लेकिन भरोसा क़ायम करने के इस प्रायस के बीच 41 साल के सतीश सोलंकी दौड़ते हुए दिल्ली पुलिस के पास आए और कहा, ‘मंगलवार को मेरा घर जला दिया. घर तो जल गया लेकिन स्कूटी और कार अभी भी फंसी है, वो निकलवा दो.’

उन्होंने दिप्रिंट से कहा कि हिंसा की रात पुलिस ने उन्हें वहां से निकाला. वो वहां पत्नी और तीन बच्चों के साथ रहते थे. उनका आरोप है कि वहां के लोगों ने उनका पूरा घर लूट लिया. सतीश के परिवार वालों ने कहा, ‘हमने जिन्हें बचाया उन्होंने ही हमारा घर जला दिया.’


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हिंदू बहुल इलाक़े बृजपुरी में रहने वाले 52 साल के अशोक सोलंकी ने कहा, ‘हम 300 के क़रीब थे वो और वो 5000. हमने फिर भी उनका डटकर मुक़ाबला किया.’ दोनों ही पक्षों का एक-दूसरे पर गोलीबारी का आरोप है और दोनों ही पक्ष पूछते हैं कि सामने वाले हथियार कहां से लाए.

ऐसे आरोपों के बीच यहां की अनगिनत गलियां पूरी तरह से ईंट के टुकड़ों से पटी पड़ी हैं जिसकी वजह से इनका रंग लाल हो गया है. एंबुलेंस से लेकर फ़ायर ब्रिगेड और अन्य गाड़ियां यहां से बड़ी मुश्किल से गुज़र पा रही हैं. ऐसी ही एक गली के बाहर खड़े 45 साल के स्थानीय निवासी सुनील वत्स ने कहा, ‘कबीर नगर में जो सीएए से जुड़ा विरोध प्रदर्शन चल रहा था उसे पथराव और पुलिस वालों के सहारे किया गया. उसी से हिंसा भड़की.’ कबीर नगर बाबरपुर इलाके में पड़ता है जहां कपिल मिश्रा रविवार को पहुंचे थे जिसके बाद हिंसा भड़कने का आरोप है.

कड़वाहट के बीच हिंदू-मुस्लिम एकता की भी बात

चार दिनों तक चली बदस्तूर हिंसा से उपजी कड़वाहट के बीच कुछ जगहों पर हिंदू-मुस्लिम एकता की बात भी हो रही है और ऐसे मार्च निकालने की भी योजना बनाई जा रही है जिससे शांति की स्थिति पैदा हो. दिल्ली हाईकोर्ट ने सीएम अरविंद केजरीवाल से कहा है कि वो राज्य में विश्वास बहाली का प्रयास करें.

इन सबके बीच जिस बाबरपुर और जाफरबाद से तनाव की शुरुआत हुई वहां अभी सन्नाटा छाया है. सीएए समर्थकों को प्रशासन ने मंगलवार दोपहर में ही हटा दिया था. सीएए विरोधियों को भी रात में वहां से हटा दिया गया. इन तमाम इलाक़ों में मौजूद पुलिस बलों और अर्धसैनिक बलों ने दिप्रिंट से कहा, ‘सरकार ने उनके हाथों को बांधे रखा था.’


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खजूरी ख़ास इलाक़े की सुरक्षा में तैनात दिल्ली पुलिस के एक जवान ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, ‘जैसे ही हमारे हाथ खोले गए, आज़ादी लेने और देने वाले दोनों ही ग़ायब हो गए.’ इन सबके बीच रह रहकर छिटपुट हिंसा की जानकारी भी मिल रही है और कई बार देखते ही देखते इन इलाकों में भीड़ इकट्ठा हो जाती है जो सुरक्षा बलों के हड़काने पर फुर्र भी हो जाती है.

ऐसे माहौल में राजधानी में चार दिनों से जारी हिंसा के बीच सुरक्षा बल बार-बार इस बात का भरोसा दिलाते हैं कि अब कोई अनहोनी नहीं होगी.

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