नयी दिल्ली, छह सितंबर (भाषा) छात्र कार्यकर्ता मीरान हैदर ने राष्ट्रीय राजधानी में फरवरी 2020 में भड़के साम्पद्रायिक दंगों की कथित व्यापक साजिश को लेकर आतंक रोधी कानून ‘यूएपीए’ के तहत अपने खिलाफ दर्ज एक मामले में जमानत अर्जी दिल्ली उच्च न्यायालय से शुक्रवार को वापस ले ली।
हैदर के वकील ने न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया की पीठ को बताया कि चूंकि पुलिस ने अपनी जांच पूरी कर ली है इसलिए वह जमानत के लिए मामले की सुनवाई कर रही अदालत का रुख करेंगे।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की युवा इकाई के नेता एवं जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र हैदर तथा उमर खालिद और शरजील इमाम सहित कई अन्य पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फरवरी 2020 के दंगों के कथित ‘‘सूत्रधार’’ रहने का मामला दर्ज किया गया था। दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे।
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़की थी।
अप्रैल 2020 में गिरफ्तारी के बाद से हिरासत में रखे गए हैदर ने 2022 में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। उसने मामले में उसे जमानत देने से इनकार करने वाली अधीनस्थ अदालत के आदेश को चुनौती दी थी। तब से यह मामला लंबित है।
दिल्ली पुलिस ने उसकी जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि वह जामिया समन्वय समिति (जेसीसी) का समन्वयक था, जो ‘‘हर चक्का जाम की वजह’’ थी। पिछले महीने, अधीनस्थ अदालत ने मानवीय आधार पर हैदर को 10 दिन की अंतरिम जमानत दी थी।
भाषा सुभाष नरेश
नरेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.