नई दिल्ली: खुफिया ब्यूरो के कर्मचारी अंकित शर्मा, जिनकी पिछले महीने पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों के दौरान हत्या कर दी गई थी. अंकित की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार 12 बार छूरा घोंपा गया और कुल 51 चोटें आई थीं.
यह समाचार चैनलों, अखबारों और राजनेताओं द्वारा किए गए दावों के खिलाफ है कि शर्मा को 400 से अधिक बार चाकू मारा गया और उनकी आंत बाहर खींच ली गई.
आईबी कर्मचारी का शव दिल्ली के चांद बाग इलाके में 26 फरवरी को एक नाले में मिला था.
शर्मा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार- जिसे कि दिप्रिंट द्वारा एक्सेस किया गया था- शर्मा को 12 चाकू के घाव हैं. सबसे बड़ा घाव जिसका माप 5x1x7 सेमी था और उसके पैर के बाईं ओर भी चोट के निशान थे, अन्य घाव उनकी जांघों, कूल्हे, पीठ, छाती, हाथ और रीढ़ पर थे.
हालांकि रिपोर्ट से पता चलता है कि शर्मा के पूरे शरीर पर चाकू से वार किया गया था, ज्यादातर चाकू के घाव उनकी पीठ और रीढ़ पर ध्यान रखकर मारे गए थे.
छूरे के घावों के अलावा, छह ‘बड़े घाव’ हैं जो कि एक तेज धार वाले हथियार का उपयोग करके मारे गए थे. उसके माथे पर सबसे बड़ा घाव था, जिसकी माप ‘8.0X1.0 (सेमी में) था.
दोनों घाव एक तेज हथियार से किए गए थे – इस मामले में एक चाकू का उपयोग किया गया था- लेकिन दोनों के बीच गहराई का अंतर है. यदि घाव की गहराई, घाव की लंबाई से अधिक है, तो इसे एक चाकू से घाव कहा जाता है, अन्यथा इसे एक जख्म के घाव के रूप में जाना जाता है.
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घाव एक धारदार हथियार से किया गया हो सकता है कट या स्लैश (जो गहरा नहीं होता) हो सकता है.
ज्यादा पीटा गया था
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि शर्मा को बेरहमी से पीटा गया था, जिसके कारण उन्हें 33 चोटें लगी थीं और एक साथ कई बार छुरा घोंपा गया था.
शर्मा के सिर और चेहरे पर 13 घावों के निशान हैं, जो कि किसी व्यक्ति के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद या ‘ब्लंट ऑब्जेक्ट’ द्वारा पीटे जाने के कारण होते हैं.
एक फॉरेंसिक विशेषज्ञ ने नाम न बताने कि शर्त पर कहा कि अगर किसी व्यक्ति ने लगातार एक घाव बनाए रखा है, तो इसका मतलब है कि उसे एक कुंद वस्तु से जबर्दस्ती मारा गया था, जो पहले त्वचा के टिश्यू और फिर मांसपेशियों को नुकसान पहुंचाता है.’ ‘ये चोटें एक प्रभाव छोड़ सकती हैं, लेकिन ये स्टैब या कट नहीं है.’
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि शर्मा ने सात ‘रेलवे ट्रैक कंट्यूजन’ को सहा, जो कि लाल से बैगनी रंग के थे और आकार में 14×2 सेमी थे. ये घाव ज्यादातर उसके ऊपरी शरीर और जांघों पर थे.
फॉरेंसिक विशेषज्ञ ने यह भी कहा कि ये चोटें तभी होती हैं जब एक व्यक्ति को कुंद वस्तु खासकर एक ‘बेलनाकार, लम्बी वस्तु’ से पीटा जाता है.
विशेषज्ञ ने कहा रेलवे कंट्यूजन्स घाव है, जब एक व्यक्ति को छड़ी, लाठी या डंडों जैसी बेलनाकार वस्तुओं द्वारा बार-बार पीटा जाता है. इन चोटों के कारण जब सूजन होती है, तो शरीर पर नीले, बैगनी या लाल निशान छोड़ते हैं. आम आदमी की भाषा में उन्हें ‘छिल जाना’ कहा जाता है.
इन चोटों के अलावा, शर्मा को चार ‘कंट्यूजन्स इंजरी’, पांच एल और वी के आकार के घाव और ‘मल्टिपल एब्जॉर्प्शन’ के चार सेट भी थे.
ये घाव काले और नीले रंग के होते हैं जो निरंतर होते हैं यदि किसी व्यक्ति को एक कुंद वस्तु द्वारा जबर्दस्ती मारा जाता है.
जबकि शर्मा के जांघों, पैरों और कंधों पर सबसे अधिक घाव पाए गए थे, पर मुख्य घाव उनके चेहरे और सिर पर थे.
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