नई दिल्ली: सूचना का अधिकार (आरटीआई) का झंडा बुलंद करने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग ने एक ‘तुगलकी फरमान’ जारी किया है. इस फरमान में सरकारी अधिकारियों को प्रेस या सोशल मीडिया पर कोई भी जानकारी या विचार साझा करने के लिए मना किया गया है.
दिल्ली सरकार के द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि कुछ दिनों पूर्व पीडब्ल्यूडी विभाग से संबंधित विभाग की परियोजना से संबंधित समाचार अखबारों में प्रकाशित हुए थे. यह समाचार अधिकारियों के नाम नहीं छापने की शर्त पर प्रकाशित हुए थे.
इन खबरों के छपने के बाद दिल्ली सरकार ने हरकत में आते हुए आदेश में सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए आदेश जारी कर उन्हें सीसीएस (कंडक्ट) नियम-1964 याद दिलाया है. इस नियम के तहत कोई भी सरकारी मुलाजिम नाम न छापने पर किसी भी तरह के मीडिया को जानकारी साझा नहीं कर सकता है.
इसके अलावा सोशल मीडिया के माध्यम ट्विटर, फेसबुक और व्हाट्सएप पर भी जानकारी नहीं दे सकते है. अगर किसी भी जानकारी को साझा करना है तो पहले संबधित अधिकारी से अनुमति लेनी होगी.
आदेश में सख्ती से निर्देश दिया है कि इस नियम का ख्याल रखे. जो इन नियमों का पालन नहीं करेगा या उल्लंघन करते हुए पाया गया तो उनके खिलाफ सख्ती से कार्रवाई भी की जा सकती है.
इस मामले में जब दिप्रिंट को दिल्ली सरकार से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है. वहीं, आम आदमी प्रवक्ता ने फोन पर बात करने पर कहा कि उन्हें इस मामले के बारे में नहीं पता. सरकार या पार्टी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया आती है तो ख़बर को अपडेट किया जाएगा.
हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त मंत्रालय में भी पत्रकारों की एंट्री पर रोक लगाने की बात सामने आई थी. इस पाबंदी के तहत पीआईबी अधिमान्य पत्रकार ही अधिकारियों से मिल सकते हैं. वो जब उन्होंने पहले से समय मांग रखा हो. हालांकि, इस मामले में बवाल मचने के बाद वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि ऐसा कोई औपचारिक आदेश नहीं पास किया गया है.