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Friday, 10 May, 2024
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दिल्ली में दमघोंटू प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को लगाई फटकार

वायु प्रदूषण पर शीर्ष अदालत ने कहा, यह जीवन के मौलिक अधिकार का घोर उल्लंघन है. विभिन्न राज्य सरकारें और नागरिक निकाय अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल रहे हैं.'

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नई दिल्ली : दिल्ली में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण के स्तर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को आड़े-हाथों लिया है. शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है कि उसने इस समस्या से निपटने के लिए अब तक क्या किया है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार के ऑड-ईवन फार्मूले को लागू करने की भी आलोचना की है.

वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यह जीवन के मौलिक अधिकार का घोर उल्लंघन है. विभिन्न राज्य सरकारें और नागरिक निकाय अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल रहे हैं.’ सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा, ‘कारें कम प्रदूषण पैदा करती हैं. इस ऑड-ईवन से आपको (दिल्ली) क्या मिल रहा है?’

अरुण मिश्रा ने सख्त लहजे में कहा कि हम राज्य के मुख्य सचिव को तलब करेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि जो ग्राम प्रधान, स्थानीय अधिकारी, पुलिस पराली के जलाने पर नियंत्रण नहीं कर पाते हैं, उन्हें उनके पोस्ट से हटा दिया जाना चाहिए.

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मिश्रा ने दिल्ली सरकार से कहा कि ऑड-ईवन योजना के पीछे क्या लॉजिक है? डीजल कारों पर प्रतिबंध लगाना समझ में आता है, मगर इस ऑड-ईवन का क्या मतलब है.

कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली हर साल घुट रही है और हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं. हर साल ऐसा हो रहा है और 10-15 दिनों तक जारी रहता है. सभ्य देशों में ऐसा नहीं होता है. जीवन का अधिकार सबसे महत्वपूर्ण है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘यह वह तरीका नहीं है जिससे हम रह सकते हैं.’ कोर्ट ने कहा, ‘केंद्र सरकार और राज्य सरकार को कुछ करना चाहिए’ पर कुछ किया नहीं जा रहा. ये कुछ ज्यादा हो गया. कोई भी कमरा इस शहर में रहने के लिए सुरक्षित नहीं है, यहां तक कि घरों में भी. हम इसके कारण अपने जीवन के बहुमूल्य वर्ष खो रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्थिति गंभीर है, केंद्र और दिल्ली सरकार क्या करना चाहती हैं? इस प्रदूषण को कम करने के लिए क्या करने का इरादा है? सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा से भी कहा है कि वे पराली जलाना कम करें.

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