नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के इलाकों में हवा की गति में अपेक्षाकृत सुधार होने से शनिवार को प्रदूषण के स्तर में आंशिक गिरावट दर्ज की गई.
हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा तय मानकों से अब भी पीएम2.5 का स्तर 80 गुना तक अधिक है.
दिल्ली और आसपास के इलाकों में लगातार पांचवे दिन जहरीली धुंध की मोटी परत छाई रही. डॉक्टरों ने इस स्थिति पर चिंता जताई है क्योंकि उनका मानना है कि इससे बच्चों और बुजुर्गों को सांस और आंख की समस्या हो सकती है.
पीएम2.5 का बारिक कण हैं जो सांस प्रणाली में प्रवेश कर स्वास्थ्य समस्या उत्पन्न कर सकते हैं. दिल्ली और आसपास के कई इलाकों में में पीएम2.5 कण का जमाव सरकार द्वारा तय सुरक्षित स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से सात से आठ गुना अधिक बना हुआ है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक पांच ग्राम प्रति घन मीटर के मुकाबले यह 80 से 100 गुना तक अधिक है.
दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में हवा की गुणवत्ता में गत एक सप्ताह से गिरावट आई है और यह स्थिति तापमान में कमी, हवाओं की मंद गति, प्रदूषकों के स्थिर होने और फसलों की कटाई के बाद पड़ोसी राज्य पंजाब एवं हरियाणा में पराली जलाने से उत्पन्न हुई है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक 27 अक्टूबर से तीन नवंबर के बीच दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 200 से अधिक अंकों तक बढ़ गया है, जो शुक्रवार को ‘अति गंभीर’ श्रेणी (450 से ऊपर) में पहुंच गया. 24 घंटे का औसत एक्यूआई हर दिन शाम चार बजे दर्ज किया जाता है. दिल्ली में शुक्रवार को एक्यूआई 468 दर्ज किया गया जिसमें शनिवार को आंशिक सुधार दर्ज किया गया और यह 415 रहा.
दिल्ली में शुक्रवार को 24 घंटे का औसम एक्यूआई 12 नवंबर 2021 के 471 के बाद सबसे खराब दर्ज किया गया. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के अन्य हिस्सों में वायु गुणवत्ता दिल्ली जैसी रही. गाजियाबाद में एक्यूआई 394, नोएडा में 408 , ग्रेटर नोएडा में 490, फरीदाबाद में 438 और गुरुग्राम में 404 दर्ज किया गया.
एक्यूआई शून्य से 50 के बीच ‘अच्छा’, 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है. दुनिया के राजधानी शहरों में दिल्ली की वायु गुणवत्ता सबसे खराब है.
शिकागो विश्वविद्यालय स्थित ऊर्जा नीति संस्थान (ईपीआईसी) द्वारा अगस्त में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदूषण की वजह से दिल्ली वालों की आयु करीब 12 साल कम हो रही है.
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