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Friday, 11 April, 2025
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दिल्ली पुलिस का नया ‘शिष्टाचार’ दस्ता ‘एंटी-रोमियो’ नहीं बनना चाहता

दिल्ली पुलिस ने सभी 15 पुलिस जिलों में ‘कमजोर जगहों’ पर ‘शिष्टाचार’ दस्तों की शुरुआत की गई है. टीमें रात 9 बजे तक दो शिफ्टों में काम करती हैं, रात की गश्त अभी शुरू होनी है.

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नई दिल्ली: मंगलवार की शाम के 4:30 बज रहे हैं और दिल्ली पुलिस के जवान गोविंदपुरी मेट्रो स्टेशन के बाहर के इलाके की निगरानी कर रहे हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ड्राइवर यात्रियों को परेशान न करें.

हेड कांस्टेबल अजय कुमार सड़क पर ई-रिक्शा ड्राइवर्स को निर्देश देते हैं, “भागो और उन्हें (यात्रियों को) घेरो मत. अपने एरिया में खड़े रहो”. कुछ ड्राइवर अभी भी अधिकारियों को चकमा देकर यात्रियों की तरफ बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें तुरंत काबू कर लिया जाता है.

मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर 2 से करीब 50 मीटर की दूरी पर, जैसे ही एक डीटीसी बस आती है, सादे कपड़ों में सजी महिला कर्मियों सहित पुलिस की आधी टीम बस स्टॉप के दोनों कॉर्नर पर खड़ी हो जाती है.

अचानक, हेड कांस्टेबल सुरेंदर पाल स्टॉप पर खड़े तीन लोगों को पकड़ कर उन्हें पुलिस वाहन में डाल देते हैं. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “वह संदिग्ध लग रहे थे. वह उस सड़क पर खड़े थे जहां बस आने वाली थी और उनका बस को कहीं और ले जाने का कोई इरादा नहीं था. मैंने उन्हें कुछ वीडियो बनाते और डिपो पर इंतजार कर रही महिलाओं को देखते हुए देखा.”

दिल्ली पुलिस की जवान यात्रियों से बात करती हुई | फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट
दिल्ली पुलिस की जवान यात्रियों से बात करती हुई | फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट

इस बीच, एक दूसरी कांस्टेबल, रेणु, बस में चढ़ती हैं ताकि यह सुनिश्चित कर सके कि पुरुष महिलाओं के लिए निर्धारित सीटों पर न बैठें.

वे महिला यात्रियों से कहती हैं, “हम ‘शिष्टाचार’ दस्ते से हैं. हम आपकी मदद करने के लिए यहां हैं. अगर आप किसी को आपका पीछा करते, आपको घूरते, अश्लील इशारे करते या यहां तक कि आपको असहज महसूस करते हुए देखें, तो कृपया हमें 1097, 1091 या 1098 पर सूचित करें.”

साथ ही, “आपकी पहचान गुप्त रखी जाएगी.”

पिछले महीने, दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय राजधानी के सभी 15 पुलिस जिलों में ‘शिष्टाचार’ दस्ते शुरू किए. गोविंदपुरी मेट्रो स्टेशन के पास का इलाका दक्षिण पूर्व जिले में पहचाने गए प्रमुख हॉटस्पॉट में से एक था. यह दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार के सत्ता में आने के एक महीने बाद हुआ है. अपने चुनाव पूर्व वादों में, भाजपा ने कहा था कि वह सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से दस्ते बनाएगी.

लेकिन सड़क पर ऐसे ‘स्क्वाड्स’ के विचार को लेकर कुछ आशंकाएं हैं.

कुछ लोगों को ये उत्तर प्रदेश पुलिस के एंटी-रोमियो स्क्वाड की तरह लगते हैं. 2017 में योगी आदित्यनाथ द्वारा सत्ता संभालने के बाद गठित की गई इन टीमों पर छेड़छाड़ रोकने की आड़ में युवाओं को परेशान करने का आरोप है. हालांकि, दिल्ली पुलिस के शिष्टाचार दस्तों के कई अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि उन्हें सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वह अपनी नैतिकता और आचार-विचार को जनता पर न थोपें और केवल महिलाओं की सुरक्षा पर ध्यान दें.

हेड कांस्टेबल अनिल कुमार ने कहा, “हमें चेतावनी दी गई है कि हम कपल्स या लोगों को बेतरतीब ढंग से परेशान न करें. यह केवल छेड़छाड़-रोधी दस्ता नहीं है. यह उससे कहीं ज़्यादा है. इसका उद्देश्य पीछा करना, उत्पीड़न, छीना-झपटी, छेड़छाड़ और अन्य सड़क अपराधों को रोकना है.”


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मोरल पुलिस की ड्यूटी नहीं

दिप्रिंट से बात करते हुए एडिशनल डीसीपी (दक्षिण पूर्व) ऐश्वर्या शर्मा ने कहा, “हमने महिलाओं की सुरक्षा में सुधार के उद्देश्य से दिल्ली में इन दस्तों की शुरुआत की.”

वे बताती हैं, “कमज़ोर जगहों की पहचान राजधानी के प्रत्येक जिले में कई फैक्टर्स के आधार पर की गई थी, जिसमें एरिया से की गई पीसीआर कॉल की संख्या, स्ट्रीट लाइट और सीसीटीवी कैमरों की संख्या और वहां कितनी भीड़ है.”

हर पुलिस जिले में कम से कम दो दस्ते हर रोज़ दो शिफ्टों में काम करते हैं — दोपहर 12 से 3 बजे और शाम 5 से 9 बजे तक.

हर दस्ता सात से आठ पुलिस स्टेशन क्षेत्रों को कवर करता है.

डीसीपी शर्मा ने कहा, “वे स्कूल, कॉलेज, बाज़ार, मेट्रो स्टेशन आदि के बाहर तैनात रहते हैं. इस दस्ते में शामिल पुलिसकर्मियों को अन्य कानून-व्यवस्था के कामों से छूट दी गई है, ताकि वह अपना पूरा समय इसी काम में लगा सकें.”

हालांकि, वर्तमान में ये दस्ते केवल दिन में ही काम करते हैं. रात में, रात्रि गश्ती दल होते हैं. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि यह अभी पहली स्टेज है. “हमारे पास अभी रात में दस्ते को तैनात करने के लिए स्टाफ नहीं है. वक्त के साथ चीज़ें बदलेंगी और बेहतर होंगी.”

हर दस्ते में चार हेड कांस्टेबल, एक सब-इंस्पेक्टर, एक इंस्पेक्टर और चार महिला पुलिसकर्मी हैं — उनमें से कुछ सादे कपड़ों में हैं.

शिष्टाचार दस्ता सड़क पर महिलाओं से बात करते हुए | फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट
शिष्टाचार दस्ता सड़क पर महिलाओं से बात करते हुए | फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट

सभी कर्मियों को दो सत्रों में ट्रेनिंग दी गई है — एक पहल के कानूनी पहलुओं पर और दूसरा इसे कैसे लागू किया जाए, इस पर. यह पूछे जाने पर कि वह कैसे सुनिश्चित करते हैं कि ड्यूटी पर मौजूद पुलिसकर्मी लोगों के साथ दुर्व्यवहार न करें और कपल्स को परेशान न करें, मध्य जिले के एक दस्ते के इंस्पेक्टर मुकेश कुमार ने कहा, “मैं अपनी टीम से रिपोर्ट लेता हूं और हम अपने संबंधित एसीपी और डीसीपी के साथ रोज़ाना रिव्यू करते हैं.”

कुमार के अनुसार, वह कपल्स को नहीं रोकते. “हमारी ड्यूटी उन्हें मोरल पुलिस बनाना नहीं है. हम केवल तभी पूछताछ करेंगे जब कोई स्कूली बच्चा सादे कपड़ों में किसी व्यक्ति के साथ जाए और वह भी तभी जब वह व्यक्ति हमें संदिग्ध लगे.”


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जन जागरूकता पैदा करना

दिल्ली पुलिस स्कूलों और कॉलेजों में प्रोग्राम के ज़रिए से महिलाओं की सुरक्षा के बारे में जन जागरूकता पैदा करने की कोशिश कर रही है, साथ ही दस्ते जिस क्षेत्र में गश्त कर रहे हैं, वहां लोगों से बात कर रही है. कुमार ने कहा, “अलग-अलग हॉटस्पॉट पर तैनात हमारी टीम महिलाओं के समूहों से बात करके जागरूकता फैलाती है. साथ ही, उनके साथ मौजूद पुरुषों को भी जानकारी दी जाती है.”

चांदनी चौक के सीता राम बाज़ार में शक्ति प्रेमवती पब्लिक स्कूल में जागरूकता कार्यक्रम | फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट
चांदनी चौक के सीता राम बाज़ार में शक्ति प्रेमवती पब्लिक स्कूल में जागरूकता कार्यक्रम | फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट

कुमार ने अपनी टीम के साथ चांदनी चौक के सीता राम बाज़ार में शक्ति प्रेमवती पब्लिक स्कूल में ऐसा ही एक कार्यक्रम आयोजित किया. कुमार ने छठी से दसवीं तक की छात्राओं और शिक्षकों से कहा, “किसी को भी आपको असहज महसूस नहीं करवाना चाहिए. अगर कोई भी आपके साथ गलत व्यवहार करता है, तो हमें सूचित करें. हम आपकी मदद के लिए मौजूद हैं. कृपया अपने टीचर्स, पैरेंट्स और हमें सूचित करें.”

यह पूछे जाने पर कि क्या वह पुरुष छात्रों से भी बात करते हैं, इंस्पेक्टर ने कहा, “यह पहली स्टेज है, जहां हम महिलाओं और लड़कियों को उनके अधिकारों के बारे में बताने पर फोकस कर रहे हैं. अभी इसका प्राइमरी फोकस महिलाओं में उनके खिलाफ अपराधों की रिपोर्ट करने का आत्मविश्वास बढ़ाना है. हम लड़कों के लिए अन्य सत्र भी आयोजित करेंगे.”

ये सत्र दिल्ली के स्कूलों और कॉलेजों में संबंधित अधिकारियों के समन्वय से आयोजित किए जाते हैं. उनकी टीम ने सीता राम बाज़ार इलाके में महिलाओं के समूहों को रोककर महिलाओं की सुरक्षा के बारे में बात की.

एक महिला इंस्पेक्टर से कहती हैं, “सर, कृपया कुछ करें. यहां पुरुष शराब पीकर रात में उपद्रव करते हैं.” महिला कांस्टेबल उन्हें हेल्पलाइन और इमरजेंसी नंबरों के बारे में बताती हैं.

जब वह वहां पहुंचती हैं, तो वह सड़क के किनारे अपनी मोटरसाइकिलों पर बैठे कुछ पुरुषों को ऐसा न करने की हिदायत देती हैं. इस बीच, दो अन्य महिला कांस्टेबल, जो सादे कपड़ों में हैं, भीड़ में घुलने-मिलने की कोशिश करती हैं और दुकानों के पास से निगरानी रखती हैं.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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