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Friday, 22 November, 2024
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पहलवानों का 38 दिनों बाद जंतर-मंतर पर धरना खत्म किया गया, दिल्ली पुलिस बोली- प्रदर्शन के लिए अलग जगह दी जाएगी

पहलवानों ने 23 अप्रैल को भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर अपना आंदोलन फिर से शुरू किया था.

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नई दिल्ली: पिछले एक महीने से जंतर-मंतर पर चल रहे पहलवानों का धरना अब समाप्त कर दिया गया है. सोमवार सुबह दिल्ली पुलिस ने पहलवानों के धरना व मार्च को समाप्त करने का ऐलान किया.

दिल्ली पुलिस ने कहा, रविवार को प्रदर्शनकारियों ने उनसे किए गए सभी अनुरोधों के बावजूद कानून का उल्लंघन किया. इसलिए धरने को समाप्त करने का निर्णय लिया गया है. अगर पहलवान भविष्य में फिर से धरने के लिए आवेदन देते हैं, तो उन्हें जंतर-मंतर के अलावा किसी अन्य उपयुक्त स्थान पर अनुमति दी जाएगी.

दिल्ली पुलिस की प्रवक्ता सुमन नलवा ने कहा, “कल के प्रदर्शन को लेकर पहलवानों से बात-चीत की गई पर इन्होंने कुछ भी सुनने से मना कर दिया था उसके बाद इन्हें हिरासत में लेना पड़ा. हमने शांतिपूर्ण तरीके से इन्हें हिरासत में लिया है… अगर ये कहीं और प्रदर्शन करने की इजाजत मांगेंगे तो इजाजत दी जा सकती है लेकिन इन्हें जंतर-मंतर पर बैठने नहीं दिया जाएगा.”

पुलिस ने कहा कि जंतर-मंतर पर 109 प्रदर्शनकारियों सहित पूरी दिल्ली में 700 लोगों को हिरासत में लिया है.

उन्होंने आगे कहा, “हमने पिछले 38 दिनों से जंतर-मंतर पर विरोध कर रहे पहलवानों को हर संभव सुविधाएं प्रदान कीं. लेकिन कल सभी अनुरोधों के बावजूद उन्होंने कानून का उल्लंघन किया जिसकी वजह से उन्हें हमने हिरासत में लिया गया और शाम तक रिहा कर दिया.”

नलवा ने आगे कहा कि कल बहुत ही महत्वपूर्ण दिन था..समय भी काफी महत्वपूर्ण था. कल नई संसद का इनोगरेशन था, लॉ एंड ऑर्डर को लेकर बहुत ही खास दिन था बार बार समझाने के बाद भी जब पहलवान नहीं माने और सुनने से इनकार कर दिया जिसके बाद हमें डिटेन का ऑर्डर दिया गया. तब हमारी विमेन फोर्स ने इन पहलवानों को हिरासत में लिया उसके बाद उन्हें शाम तक रिलीज कर दिया गया.

महिला पहलवानों से सख्ती बरती जाने के मामले को सिरे से खारिज करते हुए नलवा ने कहा कि हमने कोई सख्ती नहीं बरती है ये सभी पिछले 38 दिनों से यहां बैठे हुए हैं. हम इन्हें हर सुविधा प्रदान कर रहे हैं लेकिन जब 28 तारीख का दिन पूरे देश और दिल्ली पुलिस के लिए महत्वपूर्ण था और मना करने के बाद भी उन्होंने हमारी नहीं सुनी तो हमें ये कदम उठाना पड़ा.

‘एक नया इतिहास लिखा जा रहा है’

विनेश फोगाट ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए दिल्ली पुलिस की आलोचना की.

शाम को रिहा होने क बाद विनेश फोगाट ने ट्वीट कर कहा, “दिल्ली पुलिस को यौन शोषण करने वाले बृज भूषण के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज करने में 7 दिन लगते हैं और शांतिपूर्ण आंदोलन करने पर हमारे ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज करने में 7 घंटे भी नहीं लगाए. क्या इस देश में तानाशाही शुरू हो गई है ? सारी दुनिया देख रही है सरकार अपने खिलाड़ियों के साथ कैसा बर्ताव कर रही है. एक नया इतिहास लिखा जा रहा है.

अधिकारी के मुताबिक, पहलवानों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 188 (लोक सेवक के आदेश की अवज्ञा), 186 (लोक सेवक के कर्तव्य निर्वहन में बाधा डालना) और 353 (सरकारी कर्मचारी पर हमला या आपराधिक बल का उपयोग) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.

उन्होंने बताया कि आईपीसी की धारा 352 (गंभीर उकसावे के अलावा हमला या आपराधिक बल प्रयोग), 147 (दंगा) और 149 (गैरकानूनी रूप से जमा होना) तथा सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम की धारा तीन भी इसमें शामिल है.

पहलवान साक्षी मलिक ने  विनेश फोगाट और संगीता फोगाट की वाहन में मुस्कुराते हुए फोटो शेयर करते हुए कहा, जो ऐसा कर रहे हैं उन्हें तनिक भी शर्म नहीं है.भगवान ऐसे लोगों को कैसे बनाता है? परेशान लड़कियों के चेहरों पर मुस्कान बिखेरती है. मुझे नहीं लगता कि उनके पास भी दिल होता है. वे हमें बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं.

उन्होंने आगे कहा, “कभी सोचा नहीं था कुश्ती की रिंग में लड़ते लड़ते एक दिन इंसाफ़ के लिए ऐसे सड़कों पर भी लड़ना पड़ेगा…. देश की बेटियां बहुत मज़बूत हैं, जब विदेश में मेडल जीत सकती हैं तो अपने देश में इंसाफ़ की लड़ाई भी जीत के ही मानेंगी.”

रिटायर्ड आईपीएस ऑफिसर के ट्वविटर से हुआ एक ट्वीट जिसमे गोली मारने की बात कही गई है. उस ट्वीट को शेयर करते हुए बजरंग पुनिया ने कहा, ये आईपीएस ऑफिसर हमें गोली मारने की बात कर रहा है. भाई सामने खड़े हैं, बता कहां आना है गोली खाने… क़सम है पीठ नहीं दिखाएँगे, सीने पे खाएंगे तेरी गोली. यो ही रह गया है अब हमारे साथ करना तो यो भी सही.

क्या था मामला

गौरलतब है कि, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया को दिल्ली पुलिस ने रविवार को सुरक्षा घेरा तोड़कर महिला ‘महापंचायत’ के लिए नए संसद भवन की ओर बढ़ने की कोशिश करने के बाद कानून और व्यवस्था के उल्लंघन के लिए हिरासत में ले लिया था. इसके बाद जंतर मंतर पर से उनका सामान हटाते हुए कहा कि अब उन्हें यहां लौटने नहीं दिया जायेगा.

नये संसद भवन से महज तीन किलोमीटर दूर धरनास्थल जंतर मंतर पर अफरा तफरी मची रही. पुलिस ने पहलवानों को चेताया था कि वे संसद की तरफ नहीं जाएं लेकिन वे आगे बढ़े जिसके बाद झड़प हुई. पहलवानों और पुलिस अधिकारियों ने एक-दूसरे को धक्का दिया और विनेश फोगाट, उनकी बहन संगीता फोगाट और साक्षी ने बैरिकेड तोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश की.

इसके बाद पहलवानों को जबरदस्ती बसों में बैठाकर अलग-अलग स्थलों पर भेज दिया गया था. पुलिस ने इसके बाद पहलवानों के अन्य सामान के साथ चारपाई, गद्दे, कूलर, पंखे और तिरपाल की छत को हटा दिया.

जिसके बाद महिला पहलवानों को शाम को छोड़ दिया गया था विपक्षी दलों ने पहलवानों के साथ कथित बदसलूकी को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा ,‘‘ राज्याभिषेक पूरा हुआ – अहंकारी राजा सड़कों पर कुचल रहा जनता की आवाज.” वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि चैम्पियनों के साथ इस तरह का बर्ताव शर्मनाक है.

पहलवानों ने 23 अप्रैल को भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर अपना आंदोलन फिर से शुरू किया था. बृजभूषण पर एक नाबालिग सहित कई महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न का आरोप लगा है. पहलवानों ने आज महिला महापंचायत बुलाई थी जिसकी अनुमति नहीं दी गई थी.


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