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सोमवार, 23 जून, 2025
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दिल्ली पुलिस फिल्म के जरिये ‘पूर्वोत्तर के लोगों को गले लगाओ’ का संदेश दे रही

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(अंजलि पिल्ले)

नयी दिल्ली, 29 जुलाई (भाषा) दिल्ली पुलिस ने एक नई पहल शुरू की है जिसका आदर्श वाक्य है, आइए पूर्वोत्तर के लोगों के प्रति भेदभाव को ”पूरी तरह रोकें”। इसके तहत दिल्ली पुलिस ने एक लघु फिल्म तैयार की है जो पूर्वोत्तर वासियों को गले लगाने और उनकी असुरक्षा की भावना को समाप्त करने की बात करती है।

15 मिनट की यह फिल्म बृहस्पतिवार को दूरदर्शन (डीडी) असम पर प्रसारित की गई और जल्द ही दिल्ली पुलिस और उसके अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के यूट्यूब चैनल पर रिलीज़ की जाएगी।

दिल्ली में रहने वाली त्रिपुरा की पत्रकार मधुमिता चक्रवर्ती द्वारा लिखी गई इस फिल्म में ओलंपियन मैरी कॉम, मीराबाई चानू और लवलीना बोरगोहेन जैसी पूर्वोत्तर की कई जानी-मानी हस्तियां हैं। फिल्म में पूर्वी राज्य के लोगों के लिए दिल्ली पुलिस द्वारा की गयी विभिन्न पहलों का भी उल्लेख किया गया है।

फिल्म की पटकथा के मुताबिक, ”जब पूर्वोत्तर क्षेत्र के भारतीय नागरिक ओलंपिक और अन्य प्रतिष्ठित टूर्नामेंटों में पदक जीतते हैं तो देश तालियां बजाता है। हम हर दिन उनकी सेवाओं का आनंद लेते हैं। फिर भी हम में से कई लोग हमारे बारे में फैलाई गई गलत सूचना आपत्तिजनक नाम…चिंकी, मोमो, नेपाली, बहादुर, कोरोना…पर आपत्ति जताने के लिए खड़े नहीं होते हैं।”

फिल्म में दिखाया गया है कि, ”शिक्षा और रोजगार के उद्देश्य से देश भर के महानगरों और कस्बों में रहने वाले पूर्वोत्तर राज्यों, लद्दाख और दार्जिलिंग के कई भारतीय नागरिकों को इस तरह की अपमानजनक टिप्पणियों के साथ संबोधित किया जाता है। यह नस्लीय भेदभाव है जो राष्ट्रीय एकीकरण की प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।”

चक्रवर्ती का कहना है कि मंगोलिया के लोगों जैसे चेहरे-मोहरे वालों को अधिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है।

उन्होंने ”पीटीआई-भाषा” से कहा, ”मैं भी पूर्वोत्तर से आती हूं लेकिन मेरा चेहरा मंगोलिया के लोगों जैसा नहीं है, जबकि ऐसी विशेषताओं वाले लोगों को बहुत अधिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है।”

वह कहती हैं कि उनके करीबी लोगों ने भेदभाव का सामना किया और उनके ऊपर अपमानजनक टिप्पणी की गयी। उन्होंने कहा, हालांकि, अब चीजें थोड़ी बदल गई हैं।

संयुक्त पुलिस आयुक्त (सुरक्षा) हिबू तमांग के अनुसार, ”फिल्म का उद्देश्य पूर्वोत्तर के लोगों के लिए दिल्ली पुलिस द्वारा की गई पहल के बारे में जागरूकता पैदा करना है। हमारी एक विशेष इकाई है ‘उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के लिए विशेष पुलिस इकाई (एसपीयूएनईआर) और हम दिल्ली में अपने लोगों की सहायता और खासकर छात्रों के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं। वह जब भी दिल्ली आते हैं तो हमारी इकाई की मदद ले सकते हैं। उनकी सहायता के लिए हमारे पास एक समर्पित टीम और हेल्पलाइन नंबर 1093 है।”

पूर्वोत्तर के लिए दिल्ली पुलिस के हेल्पलाइन नंबर पर छुरा घोंपने, हत्या, दुर्घटना, वेतन का भुगतान न करने, किराए के मुद्दों, भेदभाव से लेकर अपमानजनक शब्दों के इस्तेमाल से संबंधित मामलों से संबंधित रोजाना कम से कम पांच कॉल आती हैं।

उन्होंने कहा, ”अगर किसी भी वर्ग या किसी विशेष क्षेत्र के लोग असुरक्षित महसूस करते हैं, तो वह हम तक पहुंच सकते हैं…।”

दिल्ली पुलिस दिल्ली में रहने वाले पूर्वोत्तर के लोगों के लिए फिल्म की विशेष स्क्रीनिंग की भी योजना बना रही है।

भाषा फाल्गुनी पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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