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Saturday, 11 May, 2024
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केरल ट्रेन आगजनी वाले शख्स को पुलिस ने किया गिरफ्तार, जलने का इलाज कराने के लिए गया था अस्पताल

केरल ट्रेन आगजनी के आरोपी दिल्ली के शख्स को तब पकड़ा गया जब वह जलने का इलाज कराने की कोशिश के बाद अस्पताल से भाग गया

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नई दिल्ली: “वह पिछले शुक्रवार सुबह (31 मार्च) घर से यह कहकर निकला था कि वह अपने पिता की दुकान पर जा रहा है.” फिर रिपोर्ट आई, एक रिश्तेदार ने कहा, कि 27 वर्षीय शाहरुख सैफी की पहचान रविवार की केरल ट्रेन आगजनी के मुख्य आरोपी के रूप में की गई थी.

महाराष्ट्र के आतंकवाद-रोधी दस्ते ने मंगलवार को रत्नागिरी से सैफी को कोझिकोड से निकली एक चलती ट्रेन में कथित रूप से ज्वलनशील लिक्विड फेंकन और साथ के यात्रियों को आग लगाने के आरोप में गिरफ्तार किया. केरल पुलिस के मुताबिक, रहमत एम (42), उनकी दो साल की भतीजी जहरा और केपी नौफिक (39) की जान बचाने के लिए ट्रेन से कूदने के बाद मौत हो गई.

उसकी गिरफ्तारी के बाद से, दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में सैफी के घर में रिश्तेदारों और पड़ोसियों की भीड़ लगी हुई है, लोग टीवी स्क्रीन से चिपके हुए हैं. मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर का रहने वाला यह परिवार करीब दो दशक पहले यहां आया था. सैफी अपने दो छोटे भाइयों और माता-पिता के साथ इमारत के भूतल पर रहते थे. तीन मंजिला इमारत के बाकी हिस्से पर उनके पैतृक रिश्तेदारों का कब्जा है.

जांच से जुड़े लोगों के मुताबिक, केरल की घटना के बाद सैफी कथित तौर पर अजमेर जाने वाली ट्रेन से महाराष्ट्र पहुंचा और रत्नागिरी के कलांबनी रेलवे स्टेशन पर उतर गया. वह अपनी खुद की जली हुई चोटों (कथित तौर पर आगजनी में लगी) का इलाज कराने के लिए एक अस्पताल गया, लेकिन पुलिस द्वारा पता लगाए जाने के डर से वहां से भी “भाग गया”.

महाराष्ट्र पुलिस के अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि हालांकि, पुलिस को सूचना मिली कि एक संभावित संदिग्ध हड़बड़ी में अस्पताल से जा रहा है और उसे रत्नागिरी रेलवे स्टेशन पर पकड़ लिया गया.

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एक रिश्तेदार नसरीन (वह केवल अपने पहले नाम का उपयोग करती है) ने कहा, “पुलिस के अनुसार, वह उस लिक्विड के साथ केरल पहुंचा और कुछ लोगों के ऊपर फेंक दिया जिससे तीन लोगों की जान चली गई. उसे खुद भी चोटें आई हैं. हमें कैसे पता चलेगा कि उसने यह अपने दम पर किया? उसकी किसी से कोई लड़ाई नहीं हुई है. वह ज्यादा बात नहीं करता था और बहुत सारे सवाल पूछे जाने पर घबरा जाता था. वह ज्यादातर अपने आप में ही रहता है,”

परिवार के अनुसार, सैफी को कोई शौक नहीं था – वह अपने छोटे चचेरे भाइयों के साथ समय बिताता था. एक ओपन स्कूल से 12वीं कक्षा की शिक्षा पूरी करने के बाद, उसने अपने पिता की तरह लगभग तीन साल पहले एक बढ़ई के रूप में काम करना शुरू किया. नाम न छापने की शर्त पर एक रिश्तेदार ने बताया कि वह अपने बढ़ईगीरी के वीडियो अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड करना पसंद करता था.

हर दिन, वह नोएडा की दुकान पर या तो अपने पिता के साथ बाइक से जाता था या थोड़ी देर बाद जाता था, यह इस बात पर निर्भर करता था कि वह कब जागता था. उसके परिवार के अनुसार उसे खाली बढ़ईगिरी के काम में रुचि थी. कहा जाता है कि उसकी कारपेंटरी ने भी पुलिस को सैफी पर शक करने के लिए प्रेरित किया था क्योंकि कथित तौर पर अपराध स्थल पर पाए गए एक बैग में डिजाइन और ‘शाहरुख सैफी, कारपेंटर’ नाम के कागजात थे.

घटनाओं का सिलसिला

नसरीन के मुताबिक, सैफी पिछले शुक्रवार की सुबह यह कहकर घर से निकला था कि वह दुकान जा रहा है. “उसने नहाया, अपना लंच बॉक्स उठाया और चला गया. उस समय उसने नीले रंग की टी-शर्ट और जींस पहन रखी थी. लेकिन वह वहां कभी नहीं पहुंचा. उसके पिता ने सोचा कि वह उस दिन उसका काम करने का मन नहीं है और केवल शाम को उसका हालचाल लेने के लिए फोन किया. रात तक, हमने उसकी तलाश शुरू कर दी थी और उसके दोस्तों से आसपास पूछा, लेकिन वह नहीं मिला.’

रविवार को, परिवार ने गुमशुदगी की शिकायत के साथ दिल्ली में स्थानीय पुलिस से संपर्क किया. इस पर एक सामान्य डायरी एंट्री उसी दिन की गई थी. दिप्रिंट के पास सामान्य डायरी एंट्री की एक प्रति है. दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि सैफी का कोई पिछला आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है.

ज़मीला (जो केवल अपने पहले नाम का उपयोग करती है) ने अपने बेटे सैफी के बारे में कहा, “वह किसी को चोट नहीं पहुंचाएगा. कोई नहीं जानना चाहता कि वह कैसे गायब हो गया और अचानक रत्नागिरी में चोटों के साथ पाया गया.”

महाराष्ट्र पुलिस के अधिकारियों के अनुसार, उन्हें आगे की पूछताछ के लिए गुरुवार को कोझिकोड ले जाया गया था, क्योंकि उन्होंने केरल ट्रेन घटना की कथित तौर पर जिम्मेदारी ली थी.

जब दिप्रिंट ने गुरुवार को सैफी के परिवार से मुलाकात की, तो उन्हें केरल ट्रेन हादसे में सैफी के मुख्य संदिग्ध होने पर विश्वास नहीं हुआ. उन्होंने यह भी दावा किया कि वे पिछले शुक्रवार से उसकी तलाश कर रहे हैं.

मीडिया और आम जनता द्वारा सैफी के बारे में जानकारी मांगे जाने से तंग आकर कुछ पड़ोसियों ने खुद को परिवार से दूर कर लिया है. हालांकि, अगली गली में रहने वाले जाकिर ने कहा, ‘मैं इस परिवार को सालों से जानता हूं. यह लड़का हमारे सामने बड़ा हुआ है … वह सही दिमागी हालत में ऐसा नहीं करेगा.”

परिवार ने कहा कि पुलिस ने सैफी के पिता, फकरुद्दीन (वह केवल एक नाम का उपयोग करता है), उनके भाइयों, एक दोस्त और एक चचेरे भाई से पूछताछ की. दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के अधिकारियों ने दिप्रिंट से इसकी पुष्टि की.

“उन्होंने हमारे फोन जब्त कर लिए हैं. वे घर आए लेकिन कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला. हम एक सामान्य, निम्न मध्यम वर्गीय परिवार से हैं. हमारा किसी राजनीतिक संगठन से कोई लेना-देना नहीं है.’

महाराष्ट्र पुलिस ने कहा कि वह व्यक्ति “मानसिक रूप से परेशान” लग रहा था क्योंकि उसका बयान “संगत नहीं” था. पुलिस टीमों ने अपराध स्थल से एक बैग बरामद किया था – उसके परिवार ने दिप्रिंट को बताया कि यह सैफी का था – जिसमें एक ज्वलनशील लिक्विड, एक मोबाइल फोन और कुछ नोट्स था.

जांचकर्ताओं के अनुसार, कथित तौर पर हमले में इस्तेमाल किया गया लिक्विड बढ़ई द्वारा फर्नीचर को पॉलिश करने में इस्तेमाल किया जाने वाला घोल प्रतीत होता है. उन्होंने कहा कि फोरेंसिक जांच के बाद लिक्विड की प्रकृति की पुष्टि की जाएगी.

महाराष्ट्र पुलिस के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, “वह पिछले तीन दिनों में इस बात का जवाब नहीं दे सका कि वह कहां था. उसका बयान सुसंगत नहीं था और वह मानसिक रूप से परेशान लग रहा था. हमें उसके कब्जे से उसका पहचान पत्र मिला, जिससे उसकी पहचान की गई.”

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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