नई दिल्ली: स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी सूची के अनुसार मेट्रो सिटी दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद के साथ अभी भी रेड ज़ोन में हैं और 3 मई के बाद लॉकडाउन में रहेंगे.
सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को लिखे पत्र में स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन ने रेड, ऑरेंज और ग्रीन क्षेत्रों में पड़ने वाले जिलों की एक सूची दी है.
‘यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि रोकथाम के लिए वायरस के चेन को तोड़ दिया जा सके. सूदन ने पत्र में कहा कि वायरस के फैलने और कनफर्म्ड केस मिलना रेड और ग्रीन दोनों ज़िलों में शुरू हुआ है.’
नई सूची के अनुसार रेड जोन में 130 जिले, ऑरेंज जोन में 284 जिले और ग्रीन जोन में 319 जिले हैं. दो सप्ताह पहले जारी की गई सूची में 170 जिले रेड, 207 ऑरेंज के और 353 ग्रीन जिले थे.
सूची ‘डायनामिक’ है, हर सप्ताह अपडेट की जाएगी
नए जिलों को घटनाओं, अतीत की तुलना में दोगुनी दर, राज्य में परीक्षण, निगरानी और प्रतिक्रिया जैसे कारकों को शामिल करने के साथ वर्गीकृत किया गया है.
पत्र ने कहा गया है कि यह सूची ‘डायनामिक’ है और हर हफ्ते या उससे पहले अपडेट की जाएगी. बढ़ती रिकवरी दर को देखते हुए जिलों के वर्गीकरण में बदलाव आया है. जिन जिलों ने पिछले 28 दिनों के बजाय 21 दिनों में एक नए मामले की सूचना नहीं दी है -अब उन्हें ग्रीन जोन कहा जाएगा.
पत्र में कहा गया है कि राज्य फील्ड फीडबैक और अतिरिक्त विश्लेषण के आधार पर अतिरिक्त रेड या ऑरेंज क्षेत्र जोड़ सकते हैं, लेकिन मंत्रालय द्वारा निर्दिष्ट रेड या ऑरेंज की श्रेणी को रिलैक्स नहीं दे सकते हैं.
यूपी, महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा रेड जोन हैं
सभी राज्यों में 19 जिलों के साथ उत्तर प्रदेश, 14 के साथ महाराष्ट्र और 12 के साथ तमिलनाडु में सबसे ज्यादा रेड जोन हैं.
आगरा, लखनऊ, मेरठ, वाराणसी उत्तर प्रदेश में, मुंबई, ठाणे, पुणे, नागपुर महाराष्ट्र में और चेन्नई, मदुरै, वेल्लोर तमिलनाडु में रेड जोन में शामिल शहरों में से हैं.
दिल्ली के उपनगर फरीदाबाद और गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) भी रेड जोन में हैं, जबकि गुड़गांव और गाजियाबाद ऑरेंज जोन में हैं.
गुजरात में अहमदाबाद, वडोदरा और सूरत रेड जोन में हैं जबकि कर्नाटक में बेंगलूरु अर्बन, बेंगलुरु रूरल और मैसूरु है.
कन्टेनमेंट रणनीति
जिलों को एक नियंत्रण क्षेत्र का परिसीमन करना होगा, जो शहरी क्षेत्रों में कॉलोनियों, मुहल्लों, नगरपालिका वार्डों या पुलिस स्टेशनों और ग्रामीण क्षेत्रों में गांवों, गांवों के समूहों या समूहों में होगा. नियंत्रण क्षेत्र के आसपास के क्षेत्रों को बफर जोन के रूप में चिह्नित किया जाएगा.
कन्टेनमेंट क्षेत्र के जिलों को परिधि की रणनीति जारी रखनी होगी, जिसमें परिधि नियंत्रण, मामलों की सक्रिय निगरानी, मामलों का परीक्षण और संपर्क करने की प्रक्रिया शामिल है.
बफर जोन के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं में आईएलआई जैसे बीमारियों और गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी मामलों की निगरानी करनी होगी.
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