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Thursday, 7 November, 2024
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टूटी सड़कें, गंदी नालियां- गुजरात में नहीं बदल पाई ‘सूरत’ तो दिल्ली मॉडल का राग अलाप रही है AAP

आप गुजरात में सूरत को अपना लॉन्च पैड बनाना चाहती थी. लेकिन राज्य में चुनाव से पहले ज्यादातर विकास परियोजनाओं पर अमल न कर पाने की वजह से वह उन्हें प्रचारित नहीं कर पाएंगे.

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सूरत: सूरत शहर के वार्ड 17 में खोली खादी में ठहरे हुए पानी के आसपास ढेरों मच्छर भिनभिना रहे हैं. बाजार के बीचों बीच बहते हुए इस गंदे, बदबूदार नाले के दोनों ओर मैटल की शीट लगी है और मानसून से पहले इसमें से कीचड़ भी निकाल दिया गया है. लेकिन इसके बावजूद चारों ओर हवा में फैली बदबू आपको यहां बिना सांस रोके खड़े नहीं होने देगी.

फिर भी आम आदमी पार्टी के पार्षद इस गंदे पुराने ‘नाले’ को अपनी ‘जीत’ बता रहे हैं. उनके मुताबिक, भविष्य बेहतर दिख रहा है. वार्ड 17 के चार पार्षदों में से एक विपुलभाई ने कहा, ‘हमने सूरत नगर निगम को इस नाले के पुनर्विकास के लिए 162 करोड़ रुपये का फंड जारी करने के लिए मजबूर किया है.’

आम आदमी पार्टी के 120 सदस्यीय सूरत नगर निगम में 24 पार्षद हैं. गुजरात में किसी भी निर्वाचित निकाय में आप का यह एकमात्र महत्वपूर्ण प्रतिनिधित्व है. गुजरात के सौराष्ट्र इलाके में पार्टी को घर-घर में लोकप्रिय बनाने के लिए इन्हीं कार्यकर्ताओं के कंधों पर जिम्मेदारी रखी गई है. और इस प्रचार अभियान का आंशिक दारोमदार उस काम पर टिका है जिसे ये पार्षद सूरत में आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं. उनके द्वारा किए गए विकास कार्यों को पार्टी के ‘विज्ञापन’ में इस्तेमाल किया जाएगा.

हालांकि पार्षद जिन स्थानीय योजनाओं को अपनी जीत बताते हुए राग अलाप रहे हैं, वो अभी तक जमीन पर साकार होती नहीं दिख रही हैं. बीच सड़क पर लगे बिजली के खंभे आज भी खतरा बने हुए हैं, ज्यादातर स्कूलों में अभी भी बेंच नहीं हैं और निश्चित रूप से, ‘नाला’ हमेशा की तरह गंदा और बदबूदार है. लेकिन समय से आगे चलते हुए आप को इसमें से गुलाबों की खुशबु आने लगी है. नवंबर में गुजरात में चुनाव होने है लेकिन हो सकता है कि खोली खादी जब तक ‘फोटो खिंचवाने’ के लिए तैयार न हो.

सूरत में शहरी प्रशासन का दावा

आम आदमी पार्टी के पार्षद जमीन पर काम कर रहे हैं. वह लोगों की शिकायतों को सुनकर और सत्तारूढ़ भाजपा के ‘निरंकुश तरीकों’ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करके अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में लगे हैं.

खुली नालियां, स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र, स्कूलों में बुनियादी ढांचे की बेहतरी और दिल्ली के शासन मॉडल सूरत के लोगों का दिल जीतने के लिए आम आदमी पार्टी की आवाज इन्हीं सबके इर्द-गिर्द गूंजती रहती है.

लोकनीति-सीएसडीएस के गुजरात राज्य समन्वयक महाश्वेता जानी का कहना है कि सूरत गुजरात में आप के लिए एंट्री प्वाईंट है और पार्टी के सदस्य शहर में मिले सीमित जनादेश का बेहतर तरीके से इस्तेमाल करने में लगे हैं. उन्होंने तर्क दिया कि कांग्रेस निगम चुनावों से पहले पाटीदार समुदाय के सदस्यों को टिकट देने में विफल रही और उन वोटों को आप ने अपनी तरफ कर लिया. तब से उन्होंने हार नहीं मानी. वह कहते हैं, ‘ उनके निगम पार्षद जमीन से जुड़कर काम करने में जुटे हुए हैं. वो लोगों से बात कर रहे हैं, उनकी समस्याएं सुन रहे हैं. नगर निगम चुनावों में आक्रामक रूप से भाजपा को पीछे धकेलने में लगे हैं. यह कुछ ऐसा है जो कांग्रेस ने कभी नहीं किया.’

पार्टी के पार्षदों का दावा है कि वे एक दशक से ज्यादा समय से लंबित नागरिक मुद्दों को सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. वार्ड नंबर 17 में सभी चार पार्षद आप पार्टी से हैं. यहां स्वातिबेन बेहतर अस्पताल सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रही हैं. और उन्हें 100 बिस्तरों वाले अस्पताल के लिए एसएमसी से मंजूरी भी मिल गई है.

एक अन्य पार्षद दावा करते हैं कि विपुलभाई महात्मा गांधी प्राथमिक विद्यालय के लिए आप ने स्कूल को पेंट करने, अब तक फर्श पर बैठने वाले छात्रों के लिए बेंच खरीदने और बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए 40 लाख रुपये से ज्यादा निवेश किए हैं. आप के मुताबिक, यह पहला मौका है जब पार्षदों के निजी कोष से किसी स्कूल का विकास किया गया है. दिप्रिंट ने इस दावे की पुष्टि के लिए मेयर हिमाली बेन से संपर्क किया था, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला.

पार्षदों ने इलाके की लो लूमिंग हाई-टेंशन तारों की ओर भी इशारा किया. उनके अनुसार, जल्द ही उन्हें वहां से हटा दिया जाएगा और यह उनके प्रयासों का नतीजा होगा. पार्षदों का दावा है कि दशकों से कच्ची सड़कों पर चलते आए निम्न-आय वाले समुदाय को अब आप के प्रयासों से पक्की सड़कें मिल गई हैं. विपुलभाई के अनुसार, ‘ आप पार्षदों की वजह से सूरत में सड़क के बीच में खड़े किए गए अठारह हाई-टेंशन पोल भी जल्द ही हटा लिए जाएंगे.’

एसएमसी में आप की मौजूदगी को एक साल से ज्यादा का समय हो गया है. इसके बावजूद इनमें से अधिकांश मसलों का समाधान अभी तक नहीं हुआ है. स्वातिबेन इसके लिए पिछले साल की कोविड की नुकसानदायक लहर को जिम्मेदार मानती है.

विपुलभाई और स्वातिबेन दोनों स्थानीय मसलों पर काम करने वाली हस्तियां हैं जिन्हें यहां रहने वाले लोग और दुकानदार काफी मान-सम्मान देते हैं. उन्होंने भाजपा की काम करने की शैली को आजमाया और इलाके में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज की है. लेकिन क्या यह सद्भावना आगामी चुनावों में वोटों में तब्दील होगी?


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स्थानीय लोगों को समझाना एक मुश्किल काम

यहां तक कि योजनाओं का फायदा उठाने वाले भी राज्य के चुनावों में आप को वोट देने से हिचकिचा रहे हैं. वराछा के एक निवासी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, ‘ सालों से हम ‘कच्ची’ सड़कों पर चल रह थे. लेकिन एक साल के भीतर आप ने हमारे लिए इन्हें पक्की सड़कों में बदल दिया. उन्होंने अच्छा काम किया है.’ लेकिन जब राज्य के चुनावों में वोट देने की बात आई, तो उन्होंने इसके लिए अभी तक अपना मन नहीं बनाया है. उन्होंने कहा, ‘मैंने हमेशा भाजपा को वोट दिया है, और मुझे इस साल अपना वोट बदलने के लिए अपने आपको मनाने में सड़क बनाने से ज्यादा समय लगेगा.’

कुछ का मानना है कि भाजपा की वजह से ही ये अच्छे काम हो पाए हैं. जबकि अन्य का दावा है कि उन्हें कोई बदलाव नहीं नजर आ रहा है. इलाके में साड़ी की कढ़ाई का काम करने वाली हर्षा बेन ने कहा, ‘आप के चार पार्षद (वार्ड 17 में) काम नहीं कर पा रहे हैं, अगर भाजपा का एक भी कार्यकर्ता होता तो काम जल्दी हो जाते’ उन्होंने बताया, ‘मैंने निगम चुनावों में आप को वोट देकर गलती की है. मेरा वोट राज्य चुनावों में भाजपा को ही जाएगा.’

भाजपा भी आप की सफलता के दावों का झुठलाने के लिए तत्पर बैठी है. बीजेपी सूरत के महासचिव घनश्याम भाई ने उनके दावों को खारिज करते हुए कहा, ‘आम आदमी पार्टी केवल झूठ पर काम करती है. वे गुजरात के स्कूलों के बारे में जो बातें कह रहे हैं, वह झूठी हैं. यहां शिक्षा मुफ्त दी जा रही है और स्कूलों ने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है. उनका कहना है कि वे मुफ्त स्वास्थ्य सेवा देंगे, लेकिन आयुष्मान कार्ड पहले से मौजूद हैं. यहां बिजली के कनेक्शन भी मजबूत हैं और बिजली सस्ती है. मतदाता अंधे नहीं हैं. वे उनके झूठ को देख सकते हैं. आप पार्टी कहीं भी हमारे साथ मुकाबले में नहीं है.’

राज्य चुनावों में संभावनाएं

लेकिन आप पार्टी को इन आलोचकों और आलोचनाओं से कोई फर्क नहीं पड़ता है. वो अडिग बनी हुई है. सूरत आप के जिलाध्यक्ष महेंद्र नवादिया का कहना है कि पार्टी की योजना पूरे सौराष्ट्र पर अपनी पकड़ मजबूत करने की है. इसकी विधानसभा की लगभग 50 सीटें हैं. उन्होंने विश्वास के साथ कहा, ‘हम सौराष्ट्र में 70-80 प्रतिशत सीटें जीतने जा रहे हैं, जिसमें पाटीदार समुदाय का वर्चस्व भी शामिल है.’

वैसे शहरी शासन के मुद्दों को उठाने से गुजरात में इस पार्टी को मदद नहीं मिल सकती है. इस मैदान में न केवल वे नए हैं, बल्कि सांप्रदायिक मतदाताओं वाले भाजपा के वोट बैंक को तोड़ना भी मुश्किल होगा. जानी को भी इन बाधाओं का अहसास है. राज्य के मीडिया पर भाजपा का नियंत्रण उनके प्रयासों को बर्बाद कर रहा है. वह स्वीकार करते हुए कहते हैं, ‘आप को पैनल चर्चा के लिए भी नहीं बुलाया गया. भाजपा की तुलना में मीडिया में उनकी उपस्थिति न के बराबर है.’

वोट बैंक सांप्रदायिक आधार पर बंटे हुए हैं. यही वजह है कि भाजपा आम आदमी पार्टी को किसी भी खतरे के रूप में नहीं देखती है. भाजपा के एक सूत्र ने कहा, ‘आप ने सिर्फ मुस्लिम वोटों को अपनी तरफ किया है और कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगाई है.’ भाजपा को केवल सूरत की दो सीटों की चिंता है और इससे ज्यादा कुछ नहीं. जानी ने भी इस कड़वी सच्चाई को स्वीकार किया कि सूरत में आप के प्रदर्शन से शहरी इलाकों में पार्टी को मदद मिल सकती है, लेकिन वह ग्रामीण मतदाताओं की नजरों में अपनी चमक बिखेरने में नाकाम रहेगी.

वैसे ग्रामीण मतदाताओं को लुभाने के लिए आम आदमी पार्टी पूरे गुजरात में ‘ग्रामीण बैठक’ कर रही है. वहां जाकर वे दिल्ली, पंजाब और सूरत में अपने काम का विज्ञापन कर रहे हैं. नवादिया ने कहा, ‘हम लोगों को उन सड़कों के बारे में बता रहे हैं जो हमने बनाई हैं, जिन अस्पतालों की योजना बनाई है और जिन स्कूलों में हमने सुधार किए हैं, उनके बारे में उन्हें बता रहे हैं.’

कांग्रेस का भी मानना है कि आम आदमी पार्टी के नगरपालिका चुनाव जीतने का एकमात्र कारण उनकी टिकट बांटते समय की गई गलतिया थीं. गुजरात राज्य विधानसभा में विपक्ष के पूर्व नेता अर्जुन मोधवाडिया ने कहा, ‘जिला पंचायत, नगर परिषद आदि की गिनती की जाए तो गुजरात में 6,000 निर्वाचित उम्मीदवार है. सूरत में सिर्फ एक क्षेत्र में आप के 23 निर्वाचित प्रतिनिधि हैं. उनसे कोई खतरा नहीं है.’

सत्ता विरोधी लहर हालांकि आम आदमी पार्टी की मदद कर सकती है. कुछ निवासियों का कहना है कि खोली खादी गंदी हो सकती है, लेकिन कम से कम इसे ढकने का एक ‘पक्का’ वादा तो है. अगर ऐसा है तो ‘आप’ के लिए नाले के आसपास की बदबू में छिपे गुलाबों को ढूंढ़ना शायद गलत नहीं है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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