नई दिल्ली: फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट से बिना किसी शर्त एक हलफनामे के माध्यम से माफी मांगी. उन्होंने साल 2018 में भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी गौतम नवलखा को हाउस अरेस्ट से मुक्त करने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश और उड़ीसा हाई कोर्ट के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस मुरलीधर के खिलाफ टिप्पणी की थी.
हालांकि, जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और तलवान सिंह की पीठ ने जोर देकर कहा कि अग्निहोत्री 16 मार्च को अगली सुनवाई के लिए व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहें.
पीठ ने अपनी टिप्पणी में कहा, ‘हम उनसे (अग्निहोत्री से) अदालत में उपस्थित रहने के लिए कह रहे हैं क्योंकि वह अवमाननाकर्ता हैं. अगर वो व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहकर पछतावा व्यक्त करें तो क्या उन्हें इसमें कोई कठिनाई है?पछतावा हमेशा एक हलफनामे के माध्यम से व्यक्त नहीं किया जा सकता है.’
बता दें कि 1 अक्टूबर 2018 को, न्यायमूर्ति मुरलीधर की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने नवलखा को नजरबंदी से मुक्त कर दिया था, और भीमा कोरेगांव हिंसा मामले के सिलसिले में उन्हें पुणे स्थानांतरित करने हेतु महाराष्ट्र पुलिस को उन्हें ट्रांजिट रिमांड पर भेजने के एक स्थानीय अदालत के आदेश को भी रद्द कर दिया था.
अदालत के इस आदेश के तुरंत बाद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विचारक, स्वदेशी जागरण मंच के सह-संयोजक और भारतीय रिज़र्व बैंक के पार्ट टाईम सदस्य, एस. गुरुमूर्ति ने एक लेख ट्वीट किया था, जिसका शीर्षक था: ‘दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति मुरलीधर के गौतम नवलखा के साथ संबंधों का खुलासा क्यों नहीं किया गया?
यह लेख ‘दृष्टिकोण’ नाम के ब्लॉग में प्रकाशित हुआ. इसके बाद अग्निहोत्री ने एक ट्वीट करते हुए न्यायमूर्ति मुरलीधर की ओर से पक्षपात का आरोप लगाया था. इसी के साथ दक्षिणपंथी पत्रिका ‘स्वराज्य’ के सलाहकार संपादक आनंद रंगनाथन ने भी इस आदेश के खिलाफ ट्वीट किया था.
‘अदालत को बदनाम करने की कोशिश’
एडवोकेट राजशेखर राव की तरफ से लिखे गए एक पत्र के बाद, अदालत ने साल 2018 में अग्निहोत्री, रंगनाथन, गुरुमूर्ति, स्वराज्य पत्रिका और अन्य के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की थी.
राव ने निवेदित किया था कि इस लेख की विषय वस्तु और ट्वीट्स अदालत को बदनाम करने और न्यायिक प्रक्रिया में बाधा डालने का प्रयास हैं.
जस्टिस हेमा कोहली और योगेश खन्ना की पीठ ने अक्टूबर 2018 में कहा था , ‘हमने फाइल में रखे गए दस्तावेजों का अवलोकन किया है और इस बात से संतुष्ट हैं कि लेख के लेखक/बयान देने वाले और वे लोग जो इस अदालत के एक वर्तमान न्यायाधीश के खिलाफ निंदनीय आरोप लगाते हुए वीडियो बनाने/अपलोड करने के लिए जिम्मेदार हैं, उन सभी के खिलाफ न्यायालय की आपराधिक अवमानना हेतु नोटिस जारी करने के लिए एक प्रथम दृष्टया मामला मौजूद है.’
उस आपत्तिजनक लेख के लेखक देश कपूर ने साल 2019 में बिना शर्त माफी मांग ली थी और अपने ब्लॉग को हटाने के लिए तैयार हो गए थे, जिसके बाद उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही वापस ले ली गई थी.
फिर 19 सितंबर, 2022 को, अदालत ने अग्निहोत्री, रंगनाथन और ‘स्वराज्य’ पत्रिका सहित अन्य के खिलाफ एकपक्षीय, यानी बिना उनकी सुनवाई के, मामला आगे बढ़ाने का फैसला किया. ऐसा तब हुआ था जब नोटिस मिलने के बावजूद उत्तरदाताओं की ओर से कोई भी पेश नहीं हुआ था .
उसके बाद अग्निहोत्री ने भी माफी मांगी थी और कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति के लिए एक आवेदन भी दायर किया. अपने हलफनामे में, उन्होंने निवेदित किया था कि उन्होंने माननीय न्यायाधीश के खिलाफ अपने ट्वीट हटा दिए थे.
हालांकि, जब मामला सुनवाई के लिए अदालत के सामने आया, तो एमिकस क्यूरी (न्याय मित्र) अरविंद निगम ने अदालत से कहा कि यह निवेदन गलत हो सकता है, क्योंकि ट्विटर के हलफनामे के अनुसार, हो सकता है सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने खुद ही अग्निहोत्री के ट्वीट डिलीट किया हो, न कि स्वयं फिल्म निर्माता ने.
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(अनुवाद: रामलाल खन्ना)
(संपादन: अलमिना खातून)
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