scorecardresearch
Saturday, 20 April, 2024
होमदेशदिल्ली हाईकोर्ट 30 नवंबर को समलैंगिक विवाहों को मान्यता दिलाने की याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई करेगा

दिल्ली हाईकोर्ट 30 नवंबर को समलैंगिक विवाहों को मान्यता दिलाने की याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई करेगा

याचिका में कहा गया SC के सहमति से अप्राकृतिक संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर किए जाने के बावजूद समलैंगिक विवाह संभव नहीं है.

Text Size:

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने समलैंगिक जोड़ों की उन दो याचिकाओं समेत अलग-अलग याचिकाओं को अंतिम सुनवाई के लिए सोमवार को 30 नवंबर के लिए लिस्टिड कर दिया जिनमें विशेष हिंदू और विदेशी विवाह कानूनों के तहत समलैंगिक विवाहों को मान्यता देने का अनुरोध किया गया है.

चीफ मजिस्ट्रेट डी एन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने मामले में पक्षकारों को जवाब और प्रतिवाद दाखिल करने के लिए समय दिया और इसे 30 नवंबर को अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया.

पहली याचिका में अभिजीत अय्यर मित्रा समेत तीन लोगों ने तर्क दिया है कि सुप्रीम कोर्ट के दो वयस्कों के बीच सहमति से अप्राकृतिक संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर किए जाने के बावजूद समलैंगिक विवाह संभव नहीं है. याचिका में हिंदू विवाह अधिनियम (एचएमए) और विशेष विवाह अधिनियम (एसएमए) के तहत उन्हें मान्यता देने की घोषणा करने का अनुरोध किया गया है.

दो अन्य याचिकाओं में से एक विशेष विवाह कानून के तहत शादी करने के अनुरोध को लेकर दो महिलाओं ने दाखिल की है जबकि दूसरी याचिका दो पुरुषों की है जिन्होंने अमेरिका में शादी की लेकिन विदेशी विवाह अधिनियम (एफएमए) के तहत उनकी शादी के पंजीकरण से इनकार कर दिया गया.


यह भी पढ़ें: LGBT समुदाय के लोगों ने कहा- धारा-377 रद्द होने से हम अपराधी तो नहीं रहे, पर समाज की सोच न बदली


एक और याचिका में ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (ओसीआई) के विदेशी मूल के पति या पत्नी को लिंग या यौन अभिविन्यास की परवाह किए बिना ओसीआई रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करने की इजाजत देने का अनुरोध किया गया है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

याचिकाकर्ता एक विवाहित समलैंगिक जोड़ा है- जॉयदीप सेनगुप्ता, एक ओसीआई और रसेल ब्लेन स्टीफंस, एक अमेरिकी नागरिक और मारियो डेपेन्हा, एक भारतीय नागरिक और एक क्वीर राइट्स कार्यकर्ता हैं जो रटगर्स विश्वविद्यालय, अमेरिका में पीएचडी कर रहे हैं.

सुनवाई के दौरान, दंपति की ओर से पेश वकील करुणा नंदी ने कहा कि उन्होंने न्यूयॉर्क में शादी की और उनके मामले में नागरिकता अधिनियम, विदेशी विवाह कानून और हिन्दू विवाह कानून लागू हैं.

केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि एक ‘जीवनसाथी’ का अर्थ पति या पत्नी है और ‘विवाह’ विषमलैंगिक (heterosexual) जोड़ों से जुड़ा एक शब्द है और नागरिकता अधिनियम के संबंध में उत्तर दाखिल करने की कोई आवश्यकता नहीं है.

समान अधिकार कार्यकर्ता मित्रा, गोपी शंकर एम, गीता थडानी और जी ऊरवासी की याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध के दायरे से मुक्त कर दिया है लेकिन हिन्दू विवाह कानून के प्रावधानों के तहत समलैंगिक विवाह को अभी भी अनुमति नहीं दी जा रही है.


यह भी पढ़ें: सीएए के विरोध में महिलाओं, एलजीबीटी समुदाय के जुलूस में आए नन्हे आयरिश ने कहा- नारे लगाने आया हूं


 

share & View comments