नई दिल्ली: लंबे समय से हो रहे विरोध के बीच दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) में होने वाली ओपन बुक परीक्षा (ओबीई) को अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया गया है. डीयू ने परीक्षा के स्थगन से जुड़ी जानकारी दिल्ली हाईकोर्ट को दी है. ये परीक्षाएं 10 जुलाई से होने वाली थी.
परीक्षा से जुड़े तकनीकी पहलू और कानूनी वैधता को चुनौती देते हुए याचिकाएं दिल्ली हाईकोर्ट में लगाई गई हैं. सोमवार को सबसे ताज़ा याचिका कांग्रेस के छात्रसंघ नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ़ इंडिया (एनएसयूआई) के दिल्ली अध्यक्ष अक्षय लाकड़ा समेत 16 अन्य लोगों ने दिल्ली हाईकोर्ट में लगाई है.
लाकड़ा के वकील हरप्रीत सिंह ने दिप्रिंट से कहा, ‘अन्य याचिकाओं में परीक्षा के तकनीकी पहलू को चुनौती दी गई है. मैं लाकड़ा समेत 17 लोगों को प्रतिनिधित्व कर रहा हूं. इस याचिका में परीक्षा के कानूनी पहलू को चुनौती दी गई है. परीक्षा से जुड़े फ़ैसले लेने में डीयू एक्ट का पालन नहीं किया गया जिसका नतीजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है.’
मामले की सुनवाई जस्टिस प्रतिभा सिंह की कोर्ट में हुई. जस्टिस सिंह ने मामले से जुडे़ सभी याचिकाओं को जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की डिवीजन बेंच के पास स्थानांतरित कर दिया. सुनवाई के लिए अब इन्हें मंगलवार को डिवीजन बेंच के पास लिस्ट किया जाएगा.
लंबे समय से चल रही ओबीई रद्द कराने की मुहिम
डीयू में होने वाली ओपन बुक परीक्षा का विरोध लंबे समय से चल रहा है. मामले में दखल देने को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी तक को पत्र लिखा गया. इसके विरोध में भारत के नंबर 1 कॉलेज मिरांडा हाउस समेत डीयू के कई अन्य कॉलेजों ने डीयू के वीसी योगेश त्यागी को इसके खिलाफ खुले पत्र लिखे.
दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (डूटा) ने चेंज.ओआरजी पर यूनिवर्सिटी में प्रस्तावित ओपन बुक ऑनलाइन परीक्षा के ख़िलाफ़ एक पिटीशन डाली थी. इसको 15,000 से अधिक लोगों का समर्थन मिला है. डूटा के मुताबिक इसका समर्थन करने वाले 15,701 लोगों में डीयू के शिक्षक, छात्र और छात्रों के परिजन शामिल हैं.
डीयू में मई महीने में हुए एक सर्वे की मानें तो 85 प्रतिशत छात्र ओपन बुक ऑनलाइन परीक्षा के विरोध में है. दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन द्वारा कराए गए इस सर्वे में 52,000 छात्रों ने भाग लिया था. इसमें छात्रों के पास खराब इंटरनेट कनेक्शन एक बड़ी वजह बनकर उभरा. हालांकि, यूनिवर्सिटी इसे रद्द करने को तैयार नहीं है.
गृह मंत्रालय का आदेश- अंतिम वर्ष के छात्रों को देनी होगी परीक्षा
कई राज्यों के उच्च शिक्षा से जुड़े छात्र परीक्षाएं रद्द कराने की मुहिम चला रहे हैं. इसी से जुड़ा हैशटैग स्टूडेंट्स लाइव्स मैटर सोमवार रात से ट्विटर पर टेंड्र कर रहा था. दरअसल, परीक्षा रद्द कराने की छात्रों की योजना को तब गहरा धक्का लगा जब सोमवार को गृह मंत्रालय ने शिक्षा मंत्रालय को परीक्षाएं कराने का आदेश दिया. गृह मंत्रालय के आदेश में कहा गया कि अंतिम वर्ष की परीक्षाएं अनिवार्य होंगी. यानी डिग्री पाने के लिए छात्रों को अंतिम वर्ष की परीक्षा देनी होगी.
इस आदेश के तुरंत बाद यूजीसी ने ताज़ा गाइडलाइन जारी करते हुए जानकारी दी कि फ़ाइनल ईयर की परीक्षाएं सिंतबर के अंत में कराई जाएंगी. इन्हें कराने के लिए ऑफ़लाइन (पेन-पेपर), ऑनलाइन (इंटरनेट) और मिले-जुले प्रारूप का सहारा लिया जाएगा. बैकलॉग वाले फ़ाइनल ईयर के छात्रों को भी इन्हीं माध्यमों के जरिए परीक्षा देनी होगी जिसके आधार पर उनका मूल्यांकन होगा.
यूजीसी के मुताबिक अगर कोई छात्र यूनिवर्सिटी द्वारा कराई गई फ़ाइनल ईयर की परीक्षा में शामिल नहीं हो पाता है, तो वो उसे ऐसे कोर्स या पेपर के लिए स्पेशल परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी. ऐसी परीक्षाओं को यूनिवर्सिटी परिस्थिति और अपनी सहूलियत के हिसाब से करा सकती है. इस प्रस्ताव को सिर्फ़ 2019-20 के अकादमिक सत्र के लिए महज़ एक बार के लिए रखा गया है.
गृह मंत्रालय के इस आदेश और यूजीसी की गाइडलाइन के बाद कई राज्य संशय की स्थिति में पड़ गए हैं. कोविड-19 महामारी को ध्यान में रखते हुए कई राज्यों ने कॉलेज और यूनिवर्सिटी की अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को रद्द कराने का फ़ैसला ले लिया था. अब उन्हें अपने इस निर्णय पर फिर से विचार करना होगा.