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रविवार, 1 जून, 2025
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दिल्ली उच्च न्यायालय ने सद्गुरु के व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा के लिए आदेश पारित किया

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नयी दिल्ली, एक जून (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव के व्यक्तित्व और प्रचार अधिकारों की रक्षा करते हुए विभिन्न वेबसाइट और अज्ञात इकाइयों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के माध्यम से उनके व्यक्तित्व की खासियतों का किसी भी माध्यम या मंच पर दुरुपयोग करने से रोक दिया है।

न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए कहा कि न्याय देने के दृष्टिकोण से स्थिति वादी सद्गुरु के पक्ष में झुकती प्रतीत हो रही है।

न्यायालय ने सद्गुरु के पक्ष में ‘डायनेमिक+’ निषेधाज्ञा पारित की जो निषेधाज्ञा राहत का एक रूप है जिसे हाल के वर्षों में इसी प्रकार के मामलों में न्यायालयों द्वारा प्रदान किया जा रहा है जिसका मुख्य उद्देश्य तेजी से विकसित हो रहे ऑनलाइन उल्लंघनकारी प्लेटफार्मों से वादियों की रक्षा करना है।

अदालत ने कहा, “इस प्रकार समय के साथ विकसित हुई विधि की स्थिति स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि वादी के अधिकारों को तेजी से उभरती तकनीक की दुनिया में निरर्थक नहीं बनाया जा सकता और इंटरनेट सहित किसी भी सामाजिक मंच पर बौद्धिक संपदा अधिकारों का प्रवर्तन वास्तविक दुनिया के साथ-साथ दृश्यमान और प्रभावी होना चाहिए।”

अदालत ने यह अंतरिम निषेधाज्ञा सद्गुरु द्वारा दायर उस मुकदमे में जारी की जिसमें उन्होंने अपने व्यक्तित्व अधिकारों के उल्लंघन को लेकर राहत मांगी थी। आरोप था कि कुछ वेबसाइटें और अज्ञात संस्थाएं उनके नाम, छवि आदि का अनुचित उपयोग कर रही हैं।

अदालत ने कहा कि सद्गुरु की आवाज, नाम, हस्ताक्षर, छवि, हावभाव, बोलने की शैली, विशिष्ट परिधान और रूप आदि को लेकर उनकी एक विशिष्ट पहचान बन गई है।

न्यायमूर्ति बनर्जी ने कहा कि सद्गुरु के व्यक्तित्व अधिकार अद्वितीय हैं और संबंधित सामग्री न केवल उनका उपयोग कर रही थी, बल्कि प्रतिवादियों ने आधुनिक तकनीक के जरिए उनकी छवि, आवाज, शैली और वीडियो में फेरबदल कर व्यावसायिक लाभ लेने की कोशिश की।

अदालत ने कहा, “अगर इसे यूं ही जारी रहने दिया गया तो यह महामारी की तरह फैल जाएगा, खासकर जब प्लेटफॉर्म सोशल मीडिया और इंटरनेट पोर्टल हों। अगर इसे नहीं रोका गया, तो गलत संदेश जंगल की आग की तरह फैल सकता है और फिर उसे बुझाने के लिए पानी भी नहीं बचेगा।”

अदालत ने उन यूट्यूब चैनलों को बंद करने और उनके खातों को निलंबित करने का आदेश दिया जिनमें विशेष रूप से सद्गुरु के व्यक्तित्व अधिकारों का उल्लंघन करने वाली सामग्री थी। साथ ही उनके मूल ग्राहक विवरण साझा करने का निर्देश दिया।

अदालत ने दूरसंचार विभाग और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को निर्देश दिया कि वे सोशल मीडिया मंचों को ऐसे वेबसाइट, खातों और चैनलों को ब्लॉक या निलंबित करने का निर्देश दें जो सद्गुरु के विशिष्ट अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं।

अदालत ने कहा कि आज के दौर में जब ‘डेवलपर्स’ और नवप्रवर्तकों को अत्यधिक स्वतंत्रता प्राप्त है तो बौद्धिक संपदा अधिकार धारकों जैसे कि सद्गुरु भी ऐसी ‘दुष्ट वेबसाइटों’ की कार्रवाई के प्रति संवेदनशील हैं और उन्हें उचित संरक्षण नहीं मिला तो वे नुकसान में पड़ सकते हैं।

अदालत ने कहा, “इस प्रकार की खतरनाक स्थिति और तेज हो गई है क्योंकि कुछ वेबसाइट जिन्हें भले ही ब्लॉक या डिलीट कर दिया जाए, वे मामूली यांत्रिक बदलावों के साथ फिर से नई पहचान के साथ सामने आ सकती हैं।”

अदालत ने आगे कहा, “ये वेबसाइटें गोपनीयता की आड़ में अपने पंजीकरण या संपर्क विवरण को पूरी तरह से छिपा लेती हैं जिससे उनके संचालकों से संपर्क कर उल्लंघनकारी सामग्री हटवाना लगभग असंभव हो जाता है।”

अदालत ने सद्गुरु के मुकदमे में नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध की।

भाषा राखी नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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