नयी दिल्ली, पांच अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को विशेषज्ञों की एक समिति गठित की, जो यह मूल्यांकन करेगी कि क्या ‘ऑटिज्म’ से पीड़ित एक बच्ची को राजधानी के किसी निजी स्कूल में दाखिला दिया जा सकता है या उसे विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए बने स्कूल की जरूरत है।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल द्वारा एकल न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर यह आदेश पारित किया, जिसमें स्कूल को बच्चे को पहली कक्षा में या आयु-उपयुक्त कक्षा में प्रवेश देने का निर्देश दिया गया था।
पीठ ने कहा, “अपीलकर्ता के मन में जो आशंका है उसे दूर करने के लिए, हम विशेषज्ञों की समिति गठित करने का प्रस्ताव रखते हैं, जिसमें बच्ची की मां और स्कूल की काउंसलर भी शामिल होंगी। यह समिति लड़की का मूल्यांकन करेगी और यह राय देगी कि क्या उसे जी. डी. गोयनका स्कूल में दाखिल किया जा सकता है या फिर किसी विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के स्कूल में प्रवेश दिया जाए।”
पीठ ने संबंधित डॉक्टर को बच्चे की जांच करने और निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए आवश्यक अध्ययन करने का भी निर्देश दिया।
भाषा नोमान अविनाश
अविनाश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.