नयी दिल्ली, दो सितंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र को निर्देश दिया कि वह एक प्राधिकरण का गठन करे और हाल में लाए गए ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन एवं विनियमन अधिनियम के क्रियान्वयन के लिए नियम जारी करे।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गडेला की पीठ ने नए ऑनलाइन गेमिंग कानून को चुनौती देने वाली एक याचिका पर यह निर्देश दिया।
संसद द्वारा 21 अगस्त को पारित यह अधिनियम सभी प्रकार के ऑनलाइन मनी गेम्स पर प्रतिबंध लगाता है और ‘सुरक्षित ऑनलाइन सामाजिक और शैक्षिक खेलों’ के अलावा ई-स्पोर्ट्स को भी बढ़ावा देता है।
पीठ ने कहा कि केंद्र ने अभी तक कानून के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए प्राधिकरण का गठन नहीं किया है। पीठ ने कहा, ‘जब तक आप प्राधिकरण का गठन नहीं करते और नियम लागू नहीं करते, तब तक आप अधिनियम पर काम नहीं कर पाएंगे।’
मामले की सुनवाई आठ हफ़्ते बाद तय की गई।
संक्षिप्त सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार अधिनियम के तहत एक प्राधिकरण स्थापित करने की प्रक्रिया में है।
उन्होंने कहा, ‘हम नियम बनाने और प्राधिकरण गठित करने की प्रक्रिया में हैं। सरकार ऑनलाइन गेमिंग को बढ़ावा दे रही है, लेकिन ऑनलाइन मनी गेम के कारण बच्चों में लत लग जाती है और वे आत्महत्या करने लगते हैं।’
कैरम गेम के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बघीरा कैरम (ओपीसी) प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया कि नया कानून बेहद जल्दबाजी में और हितधारकों से उचित परामर्श के बिना लाया गया, जिससे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।
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