नयी दिल्ली, दो जनवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने लंबित मामलों के बढ़ते बोझ और भारी राशि फंसे होने के मद्देनजर केंद्र से ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) की संख्या बढ़ाने पर विचार करने को कहा है।
न्यायमूर्ति नजमी वजीरी और न्यायमूर्ति गौरांग कंठ की पीठ ने डीआरटी के कामकाज की स्थिति से उत्पन्न शिकायत से निपटने वाले एक मामले की सुनवाई करते हुए सरकार से सुनवाई में उठाए गए मुद्दों पर एक व्यापक हलफनामा मांगा।
पीठ ने दिल्ली में तीन डीआरटी के अदालत कक्षों की ‘‘दयनीय स्थिति’’ पर भी संज्ञान लिया।
उच्च न्यायालय ने अधिकारियों से अदालत कक्ष की स्थिति और अदालती कार्यवाही के कुशल संचालन के लिए आवश्यक सुविधाओं संबंधी पड़ताल करने को भी कहा।
पीठ ने पिछले महीने पारित एक आदेश में कहा, ‘‘विद्वान न्यायमित्र ने दिल्ली में तीन डीआरटी के अदालत कक्षों की दयनीय स्थिति की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करने के लिए कुछ तस्वीरें पेश की हैं… यह फाइलों और अभिलेखों का एक ढेर है, जिससे मामलों को दोबारा ढूंढ़कर निकालना आसान नहीं होगा।’’
अदालत ने कहा कि 14 नवंबर तक, राष्ट्रीय राजधानी में तीन डीआरटी के समक्ष 4,01,656 करोड़ रुपये की राशि के लेन-देन के 11,942 मामले लंबित थे और इनके त्वरित निपटान के लिए न्यायाधिकरणों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है।
मामले की अगली सुनवाई सात फरवरी को होगी।
भाषा शफीक माधव
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