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बुधवार, 28 मई, 2025
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दिल्ली उच्च न्यायालय ने पुलिस से धमकी का सामना कर रहे मप्र के पत्रकार को सुरक्षा देने का आदेश दिया

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नयी दिल्ली, 28 मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को मध्यप्रदेश के एक पत्रकार को सुरक्षा प्रदान किए जाने का आदेश दिया, जिसने दावा किया था कि भिंड के पुलिस अधीक्षक द्वारा उनके कार्यालय में कथित तौर पर की गई पिटाई के बाद उसकी जान को खतरा है।

न्यायमूर्ति रवींद्र डुडेजा ने दिल्ली पुलिस को मध्यप्रदेश निवासी एवं स्वराज एक्सप्रेस समाचार चैनल के भिंड ब्यूरो प्रमुख अमरकांत सिंह चौहान को दो महीने के लिए सुरक्षा प्रदान किए जाने का निर्देश दिया।

अदालत ने कहा, ‘‘इस बीच, वे (आगे कानूनी उपाय पाने के लिए) संबंधित उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं।’’

इसने याचिका का निपटारा करते हुए याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि वह दिल्ली में उस पुलिस थाने का विवरण प्रस्तुत करें जिसके अंतर्गत पत्रकार रह रहा है। साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि चौहान का नंबर बीट अधिकारी और थाना प्रभारी के साथ साझा किया जाए।

हालाँकि, दिल्ली पुलिस के वकील ने याचिका का विरोध किया।

इस महीने की शुरुआत में भिंड जिले के तीन पत्रकारों ने आरोप लगाया था कि पुलिस अधीक्षक के कार्यालय के अंदर उनके साथ मारपीट की गई या उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया। हालांकि पुलिस अधिकारी ने इस आरोप से इनकार किया था।

यूट्यूब चैनल चलाने वाले प्रीतम सिंह राजावत, समाचार पोर्टल चलाने वाले शशिकांत गोयल और समाचार चैनल के लिए काम करने वाले अमरकांत सिंह चौहान ने जिलाधिकारी को सौंपी शिकायत में आरोप लगाया कि एक मई को उनके साथ मारपीट की गई।

चौहान (55) ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दावा किया कि वह भिंड में पुलिस द्वारा की गई हिंसा से बचकर दिल्ली आए हैं और अपनी जान तथा व्यक्तिगत स्वतंत्रता को खतरे के कारण मध्यप्रदेश लौटने में असमर्थ हैं।

याचिका में कहा गया, ‘‘याचिकाकर्ता हाल ही में चंबल नदी में रेत माफिया द्वारा स्थानीय पुलिस की मिलीभगत से किए जा रहे अवैध रेत खनन की गतिविधियों के बारे में रिपोर्टिंग कर रहा था। इससे नाखुश होकर एक मई, 2025 को पुलिस अधीक्षक असित यादव ने याचिकाकर्ता को अपने कार्यालय में चाय पीने के लिए ‘आमंत्रित’ किया और याचिकाकर्ता के साथ मारपीट की।’’

इसमें दावा किया गया कि चौहान और एक अन्य पत्रकार शशिकांत गोयल के अलावा आधा दर्जन से अधिक अन्य पत्रकार भी पुलिस अधीक्षक के कक्ष में मौजूद थे और उन सभी के साथ मारपीट करने से पहले उनके ‘अंडरवियर’ तक उतार दिए गए थे।

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि भिंड पुलिस के हाथों लगातार उत्पीड़न का सामना करने के बाद गोयल और चौहान 19 मई को दिल्ली आए और भारतीय प्रेस परिषद तथा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई।

इसमें कहा गया कि यदि याचिकाकर्ता अपने गृहनगर भिंड लौटता है तो उसे और उसके परिवार को जान का खतरा है। उसने अदालत से सुरक्षा प्रदान करने का आग्रह किया।

उन्होंने अदालत से अपने जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा करने तथा संविधान के अनुच्छेद 19(1) के तहत बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और पेशे को जारी रखने के अधिकार की रक्षा करने की भी प्रार्थना की।

भाषा

नेत्रपाल मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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