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Friday, 22 November, 2024
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दिल्ली HC ने शरजील, सफूरा ज़रगर और 7 अन्य पर दंगा करने, गैरकानूनी सभा को लेकर आरोप किए तय

हाईकोर्ट ने कहा कि ये गैरकानूनी सभा और नारेबाजी करने के आरोपी हैं व इन्होंने पहली लाइन में लगे बैरिकेड्स तोड़े थे, जिससे हिंसा हुई. कोर्ट ने कहा कि विरोध-प्रदर्शन के दौरान इन्होंने पुलिसकर्मियों से मारपीट की, बैरीकेड्स पर चढ़ गए.

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नई दिल्ली : निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को दंगा करने, गैरकानूनी सभा, लोक सेवकों को बाधित करने, सपंत्ति को नुकसान पहुंचाने और अन्य धाराओं के तहत शरजील इमाम, सफूरा ज़रगर और 7 अन्य आरोपियों पर चार्जशीट तय किए हैं.

हाईकोर्ट ने कहा कि ये गैरकानूनी सभा और नारेबाजी करने के आरोपी हैं व इन्होंने पहली लाइन में लगे बैरिकेड्स तोड़े थे, जिससे हिंसा हुई. कोर्ट ने कहा कि विरोध-प्रदर्शन के दौरान इन्होंने पुलिसकर्मियों से मारपीट की, बैरीकेड्स पर चढ़ गए.

जस्टिस स्वर्ण कांत शर्मा ने मंगलवार को आंशिक तौर पर आदेश को रद्द करते हुए कहा, ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार से नकारा नहीं जा सकता, अदालत इस फर्ज के प्रति सचेत रहते हुए इस मसले को देखने की कोशिश की है. शांतिपूर्ण सभा का अधिकार प्रतिबंध के अधीन होता है. संपत्ति और शांति को नुकसान संरक्षित नहीं है.’

उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि वीडियो क्लिप वाले इलेक्ट्रॉनिक सबूत हैं, जिनमें कुछ आरोपी एक वीडियो क्लिप में नजर आ रहे हैं.

हाईकोर्ट ने शरजील इमाम, सफूरा ज़रगर, मोहम्मद कासिम, मोहम्मद अनवर, शाहज़ार रज़ा, उमैर अहमद, मोहम्मद बिलाल नदीम और चंदा यादव के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 143, 147, 149, 186, 353, 427 और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है.

अदालत ने कहा आरोपी मोहम्मद शोएब और मोहम्मद अबुज़र पर आईपीसी की धारा 143 के तहत मामला दर्ज किया गया है, और बाकी सभी अपराधों से मुक्त कर दिया गया है. आसिफ इकबाल तन्हा को आईपीसी की धारा 308, 323, 341 और 435 से मुक्त कर दिया गया है, उन पर बाकी अन्य धाराओं के तहत आरोप तय किए गए हैं.

शरजील इमाम की तरफ से पेश हुई वकील अहमद इब्राहिम ने कहा कि वे आदेश को चुनौती देंगे. दिल्ली पुलिस शरजील इमाम, आसिफ इकबाल तन्हा, सफूरा ज़रगर और 8 अन्य को जामिया 2019 हिंसा मामले में आरोप मुक्त किए जाने पर हाईकोर्ट पहुंची थी.

ट्रायल कोर्ट ने 4 फरवरी को आरोपी व्यक्तियों को डिस्चार्ज करते हुए कुछ गंभीर टिप्पणी की थी. डिजिटाइज्ड फॉर्म में ट्रायल कोर्ट का रिकॉर्ड तलब किया गया, टिप्पणियों को हटाया नहीं गया है.

दिल्ली पुलिस की ओर से पेश एएसजी ने कहा था कि टिप्पणियां गलत थीं और आगे की जांच को प्रभावित करेंगी. मामला 16 मार्च को लिस्ट किया गया था.

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने तर्क दिया कि ट्रायल कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणियां गलत हैं और आगे की जांच के लिए अनुकूल नहीं हैं. एएसजी ने एक प्राथमिकी और एक मुख्य आरोप पत्र और तीन पूरक आरोप पत्र पेश किए थे. तीसरी चार्जशीट को ट्रायल कोर्ट ने तर्क के आधार पर खारिज कर दिया था.

दूसरी ओर, आसिफ इकबाल तन्हा के वकील ने तर्क दिया कि पूरक आरोप पत्र जांच की कमी पूरा करने के लिए दायर किया गया था. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि असंतोष और शांतिपूर्ण विरोध के बीच अंतर है. दूसरे चार्जशीट में नामित लोग जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्र थे. इसलिए वहां उनकी मौजूदगी असामान्य नहीं थी.


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