नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने दलाई लामा द्वारा एक लड़के के कथित उत्पीड़न को लेकर दाखिल जनहित याचिका को मंगलवार को खारिज कर दिया.
पिछले साल घटना से जुड़ा एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसको लेकर दलाई लामा ने माफी भी मांगी थी.
याचिकाकर्ता ‘कंफेडरेशन ऑफ एनजीओ’ ने अदालत से अधिकारियों को कथित घटना पर यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत संज्ञान लेने का निर्देश देने और समाचार पोर्टलों से बच्चे की पहचान छिपाने को सुनिश्चित करने का अनुरोध किया.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि जनहित याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकती और घटना पहले से सोच समझकर नहीं की गई थी.
अदालत ने कहा, “अदालत ने वीडियो देखी है और पाया कि जिस वक्त यह घटना हुई उस समय वहां काफी लोग मौजूद थे. अदालत ने पाया कि बच्चा नाबालिग था, जो अपने प्यार का इज़हार कर रहा था और दलाई लामा से मिलना व गले लगना चाहता था.”
अदालत के मुताबिक, “अगर पूरा वीडियो देखा जाए तो ये देखा जा सकता है कि दलाई लामा शरारत कर रहे थे और बच्चे के साथ मज़ाक करने की कोशिश कर रहे थे. इसे तिब्बती संस्कृति के परिपेक्ष्य में देखा जाना चाहिए. इस तरह की याचिकाओं पर विचार करते समय इस बात को भी ध्यान में रखना होगा कि वह (दलाई लामा) एक ऐसे धार्मिक संप्रदाय के प्रमुख हैं, जिनके विदेशी ताकतों के साथ अच्छे संबंध नहीं हैं.”
पीठ ने कहा, “अदालत ने पाया कि दलाई लामा पहले ही उन लोगों से माफी मांग चुके हैं, जो उनके कृत्य से आहत हुए थे.”
पीठ में न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला भी शामिल थे. अदालत ने कहा कि अगर कोई व्यथित है तो वह उचित कानूनी कदम उठा सकता है.
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