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सोमवार, 2 जून, 2025
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दिल्ली हाट अग्निकांड: शिल्पकारों की आंखों के सामने धूं धूं कर जल गया लाखों रू का बेशकीमती सामान

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(श्रुति भारद्वाज)

नयी दिल्ली, एक मई (भाषा) दिल्ली हाट में लगी भीषण आग में कई दुकानदारों की दशकों के मेहनत की कमाई कुछ मिनटों में ही उनकी आंखों के सामने राख हो गयी। पीड़ित दुकानदारों ने भयावह अग्निकांड और अपने नुकसान की पीड़ा को साझा किया।

एक दुकानदार (जिसकी दुकान आग में जलकर खाक हो गयी) ने कहा, ‘मैंने 10 साल तक जो कुछ भी कड़ी मेहनत से कमाया था, वह सब एक रात में नष्ट हो गया।’

बुधवार रात को दिल्ली हाट आईएनए मार्केट में आग लग गई, जिसमें 30 दुकानें और करोड़ों का सामान जलकर खाक हो गया। आग पर काबू पाने के लिए 13 दमकल गाड़ियां मौके पर पहुंचीं। किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।

दिल्ली हाट आईएनए में अपनी दुकान पर चिकनकारी कुर्ते बेचने वाले कुलदीप कुमार ने कहा, ‘मैं अगले साल होने वाली अपनी बहन की शादी के लिए पैसे बचा रहा था और हर छोटी-बड़ी योजना बना चुका था। लेकिन इस त्रासदी के बाद मुझे नहीं पता कि हम कैसे सब संभालेंगे।’

कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘मेरी सारी कमाई, बचत (जो कुछ भी मैंने 10 साल तक कड़ी मेहनत करके कमाया था) रातों-रात खत्म हो गया। अब मेरे पास कुछ भी नहीं बचा है।’

घटना का विस्तृत ब्यौरा देते हुए उन्होंने बताया कि जब वे अंदर बैठे थे तभी उन्होंने लोगों के चिल्लाने की आवाज सुनी। आस-पास बहुत से पर्यटक थे। आग देखकर सभी लोग बाहर की ओर भागे।

कुमार ने बताया कि उन्होंने जितना बचा सकते थे उतना बचाने की कोशिश की, लेकिन आग तेजी से फैली और महज 10 मिनट में 25-30 दुकानें जलकर खाक हो गईं। उनका 80-85 लाख रुपए का माल जलकर खाक हो गया।

कई अन्य दुकानदारों ने भी इसी प्रकार अपनी पीड़ा व्यक्त की।

ओडिशा के आभूषण विक्रेता अजय शाहू उन कई दुकानदारों में से एक हैं, जिन्होंने भीषण आग में अपनी आंखों के सामने लाखों रूपये कीमत का अपना सामान धूं धूं कर जलते देखा।

शाहू ने कहा, ‘मेरी आंखों के सामने सब जलकर राख हो गया। मैं रात दो बजे घर गया, लेकिन सो नहीं सका। मैं दो घंटे बाद वापस आ गया, लेकिन मुझे अभी तक अंदर नहीं जाने दिया गया है।’

शाहू का मोती और चांदी के आभूषणों का कारोबार था। आग में उनके करीब 70. 80 लाख रुपये के आभूषण राख हो गए।

उन्होंने कहा, ‘यही सब मेरी रोजी रोटी था। अब मेरे पास कुछ भी नहीं है।’

हालांकि पुलिस को अभी तक आग लगने के कारण का पता नहीं चल पाया है, लेकिन कुछ दुकानदारों ने मार्च 1994 में स्थापित इस बाजार में सुरक्षा संबंधी चिंताओं की ओर इशारा किया है।

बिहार के मधुबनी से आए कारीगर राम कुमार यादव ने कहा, ‘लोग यहां अपनी कला का प्रदर्शन करने आते हैं, लेकिन यहां न तो उचित पहचान मिलती है और न ही बुनियादी ढांचा है। हमारे स्टॉल फाइबर और पॉलीथीन से बने हैं, जो आसानी से आग पकड़ लेते हैं। अगर दुकानें सुरक्षित सामग्री से बनाई गई होतीं, तो शायद यह घटना नहीं घटती।’

यादव ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी और दूसरे मंत्री हमारे नुकसान की भरपाई पर विचार करेंगे।’

दिल्ली हाट देश भर के कारीगरों और शिल्पकारों के लिए अपने हुनर को पेश करने का एक प्रमुख मंच रहा है। पारंपरिक ग्रामीण हाट या ग्रामीण बाज़ार के आधुनिक संस्करण के रूप में डिज़ाइन किया गया दिल्ली हाट 200 से अधिक कारीगरों के लिए अपनी रोजी रोटी कमाने का साधन रहा है और यह देसी विदेशी पर्यटकों के बीच भी आकर्षण का एक प्रमुख केंद्र माना जाता है।

भाषा

शुभम नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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