नई दिल्ली: एमिसन फ्री लास्ट-माइल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली सरकार ने मेट्रो स्टेशनों से घरों तक की दूरी तय करने के लिए कुछ खास इलाकों को ‘इलेक्ट्रिक-ऑटो’ से जोड़ने की कवायद शुरू कर दी है. इसके लिए दिल्ली सरकार ने पहली बार ‘इलेक्ट्रिक-ऑटो-रिक्शा फुटप्रिंट’ स्थापित करने के लिए थोक में परमिट देना शुरू किया है.
मौजूदा समय में लगभग 86 ऐसे ई-वी दिल्ली की सड़कों पर चल रहे हैं, जो दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग और दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) के बीच सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल पर एक संयुक्त उद्यम के तहत शुरू किए गए थे.
दिल्ली परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा ने दिप्रिंट को बताया, ‘पहले परमिट व्यक्तियों को दिए जाते थे लेकिन इस बार उन्हें दिल्ली मेट्रो को थोक में दिया गया है. इसी क्रम में सन मोबिलिटी जैसी निजी कंपनियों के साथ भागीदारी की गई. कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में काम करते हुए सबसे पहले इस तरह के ई-ऑटो को प्रायोगिक आधार पर द्वारका में शुरू किया गया था’
कुंद्रा ने आगे बताया कि ये ई-ऑटो बाकी सबसे अलग हैं, क्योंकि वे ‘हब एंड स्पोक मॉडल’ के मुताबिक चल रहे हैं. इनके लिए द्वारका, द्वारका सेक्टर-21 और जनकपुरी पश्चिम मेट्रो स्टेशनों पर ‘बेस स्टेशन’ या पार्किंग और बैटरी-स्वैपिंग सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी. इन ई-तिपहिया वाहनों की जियो-फेंसिंग (जियो फेंसिंग उपग्रह की सहायता से किसी इलाके को चिन्हित करने की तकनीक है. इस डिवाइस की मदद से व्यक्ति या वाहन की लोकेशन कंप्यूटर पर मिलती रहती है) की जाएगी और सिर्फ पास के इलाकों में इन्हें चलाने की इजाजत दी जाएगी.
‘हब एंड स्पोक’ मॉडल एक डिस्ट्रीब्यूशन मेथड को कहा जाता है, जहां एक सेंट्रल प्वाइंट होता है जिसे ‘हब’ कहते है. इसके बाद वहां से कई रास्तों से कनेक्ट होते हुए समान या फिर व्यक्ति को निर्धारित स्थान पर पहुंचाया जाता है. इन रास्तों को ‘स्पोक्स’ कहा जाता है. हब एंड स्पोक मॉडल से जुड़े ई-ऑटो-रिक्शा को पूर्व निर्धारित इलाकों से दूर जाने या सेवाएं प्रदान करने की अनुमति नहीं होगी.
‘प्रायोगिक मॉडल’ पिछले साल द्वारका में सन मोबिलिटी द्वारा 50 ई-ऑटो के साथ शुरू किया गया था. इसके बाद ईटीओ मोटर्स ने इस बेड़े में 36 ईवी ऑटो जोड़ते हुए इनकी सेवाओं को आजादपुर क्षेत्र तक बढ़ा दिया. और अब दिल्ली सरकार इसे रोहिणी (एक और सब-सिटी), छतरपुर और एनडीएमसी (नई दिल्ली नगरपालिका समिति) जैसे कई इलाकों तक इन्हें ले जाने की योजना बना रही है.
कुंद्रा ने कहा कि योजना उन दूर-दराज जगहों तक पहुंचने की है, जहां से लोगों को शहर में आगे जाने के लिए अधिक कनेक्टिविटी विकल्पों की तलाश होती है.
सन मोबिलिटी के ई-ऑटो 80-90 किलोमीटर की रेंज के साथ 6.3-किलोवाट-घंटे की क्षमता वाली लिथियम-आयन स्वाइपेबल बैटरी पर चलते हैं. कंपनी के एग्जीक्यूटिव के अनुसार, ऑटो की रफ्तार लगभग 50 किमी प्रति घंटा है.
ईटीओ मोटर्स के ई-ऑटो 7.37 किलोवाट घंटे की क्षमता वाली लिथियम-आयन बैटरी पर चलते हैं. ये बैटरी 3 से 4 घंटे के भीतर चार्ज हो जाती है और एक बार चार्ज करने पर 100 किमी तक चल सकती है. वाहन की टॉप स्पीड 45 किमी प्रति घंटा है.
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महिला ड्राइवरों को प्रोत्साहित करना
परिवहन विभाग और डीएमआरसी के अधिकारियों के अनुसार, ई-ऑटो पहले दो किमी के लिए 10 रुपये चार्ज करते हैं. इसके बाद हर एक किमी की दूरी पर किराए में 5 रुपये का मामूली इजाफा किया जाता है. ये ऑटो यात्रियों के लिए काफी किफायती साझा किराए पर चल रहे हैं और किराए की यह दर राजधानी शहर में पहली बार ई-थ्री-व्हीलर को बड़े पैमाने पर अपनाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करेगी.
प्रिंसिपल एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, कॉरपोरेट कम्युनिकेशंस, DMRC अनुज दयाल ने कहा ‘इन ई-ऑटो के चलने से आस-पास के इलाकों के यात्रियों के लिए लास्ट-माइल कनेक्टिविटी में सुधार होगा. हाल के कुछ सालों में डीएमआरसी ने एक मजबूत लास्ट-माइल कनेक्टिविटी सिस्टम सुनिश्चित करने के लिए कई पर्यावरण-अनुकूल पहल शुरू की हैं, जो यात्रियों को निजी वाहनों की तुलना में कम प्रदूषण फैलाने वाली सार्वजनिक परिवहन साधनों की तरफ जाने के लिए उत्साहित कर रही है.
ज्यादा से ज्यादा महिला ड्राइवरों को भी रोजगार देने के लिए एक केंद्रित प्रयास किया गया है. हालांकि पीपीपी मॉडल में ड्राइवर उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी निजी कंपनियों की है, लेकिन सरकार पुरुष समकक्षों की तुलना में महिलाओं को ज्यादा परमिट देकर उन्हें प्रोत्साहित कर रही है.
मसलन, आजादपुर में ईटीओ मोटर्स ने सिर्फ महिला ड्राइवरों को प्रशिक्षित और तैनात किया है.
अन्य प्रयास
डीएमआरसी की 100 छोटी इलेक्ट्रिक बसों के बेड़े ( जिन्हें जल्द ही दिल्ली सरकार अपने कब्जे में ले लेगी) और अतिरिक्त 380 फीडर ई-बसों के संचालन के अलावा मेट्रो स्टेशनों से घरों / कमर्शियल हब के बीच के सफर को आसान बनाने के लिए परिवहन विभाग ने अन्य 4,000 ई-बसों के लिए निविदा भी जारी की है. इनमें से आधे वाहन 9 मीटर लंबे होंगे.
कुंद्रा ने समझाया, ‘परंपरागत रूप से शहर में 12 मीटर लंबी बसें चलती हैं, लेकिन ये नई बसें छोटी होंगी और ‘मेट्रो फीडर’ या फिर ‘ग्रामीण फीडर’ के रूप में इस्तेमाल की जाएगी. ये व्हीकल उन दूर-दराज के इलाकों के यात्रियों को अपने इलाकों के मुख्य बस या मेट्रो लाइन तक जोड़ने में मदद करेंगे, जहां तक बड़ी बसें नहीं पहुंच पाती हैं.
हालांकि मौजूदा समय में सरकार की तरफ से ई-ऑटो और ई-बसों दोनों को बढ़ावा दिया जा रहा है. लेकिन ई-फीडर बसें अव्यवहार्य पाई गईं क्योंकि वे क्षमता से कम चल रही हैं और कम उपयोग की जा रही हैं. ई-बसो की बजाय ई-ऑटो अंतिम मील कनेक्टिविटी के लिए ज्यादा बेहतर हैं. ये शहर परिवहन के लिए एक अच्छा विकल्प हैं.
अधिकारियों के अनुसार, मूल रूप से लास्ट-माइल कनेक्टिविटी के लिए तैयार किए गए ई-रिक्शा की तुलना में ई-ऑटो अधिक सुरक्षित हैं. ई-रिक्शा न तो मुख्य सड़कों के लिए फिट हैं और न ही उस पर चलने लायक हैं क्योंकि इससे ट्रैफिक बाधित होता है.
(अनुवादः संघप्रिया | संपादनः आशा शाह )
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