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शुक्रवार, 23 मई, 2025
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दिल्ली सरकार ‘साइंस ऑफ लिविंग’ के तहत कक्षाओं में प्राचीन ज्ञान और ‘डिजिटल डिटॉक्स’ की शिक्षा देगी

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(श्रृति भारद्वाज)

नयी दिल्ली, 23 मई (भाषा) दिल्ली सरकार के विद्यालयों में विद्यार्थियों को पंच कोष और पंच तंत्र से लेकर भावनात्मक रूप से सबल होने और डिजिटल डिटॉक्स तक, प्राचीन भारतीय ज्ञान की शिक्षा ‘साइंस ऑफ लिविंग’ नामक एक विशेष रूप से तैयार किये गए पाठ्यक्रम के तहत दी जाएगी।

एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा ’को बताया कि ‘द साइंस ऑफ लिविंग’ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत दिल्ली सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप एक प्रमुख पहल है, जिसका उद्देश्य छात्रों को भारतीय सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने में मदद करना है और साथ ही आवश्यक जीवन कौशल को बढ़ावा देना है।

उन्होंने बताया कि इसका उद्देश्य आकर्षक और अनुभवात्मक शिक्षण गतिविधियों के माध्यम से आत्म-जागरूकता, भावनात्मक रूप से सबल होने और पारंपरिक ज्ञान के प्रति सम्मान विकसित करना है।

अधिकारी ने बताया कि पाठ्यक्रम के पहले हिस्से के तहत, छात्र योग और ध्यान के विभिन्न रूपों के माध्यम से पंच कोष – मानव अस्तित्व के पांच आयाम – की प्राचीन अवधारणा को जानेंगे। उन्होंने बताया कि पाठ्यक्रम का यह हिस्सा विद्यार्थियों को उनके व्यक्तित्व को गहराई से समझने और विचारशील बनाने के लिए तैयार किया गया है।

उन्होंने बताया कि दूसरा हिस्सा पंच तंत्र पर केंद्रित है, जो भारतीय दर्शन और आयुर्वेद में पांच तत्वों- अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी और आकाश को संदर्भित करता है। अधिकारी ने कहा कि छात्र जीवन को बनाए रखने में इन तत्वों की भूमिका और उनके संरक्षण के महत्व के बारे में जानेंगे।

अधिकारी के मुताबिक पाठ्यक्रम का तीसरा हिस्सा ‘डिजिटल डिटॉक्स’ (डिजिटल उपकरणों की लत से बचने के तरीके) की आवश्यकता से संबंधित होगा। इसमें विद्यार्थियों को स्क्रीन पर बिताए जाने वाले समय को कम करने और कॉपीराइट उल्लंघन और ऑनलाइन बदमाशी जैसे साइबर मुद्दों के बारे में अधिक जागरूक करने के लिए मार्गदर्शन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसका लक्ष्य स्वस्थ डिजिटल आदतों और ऑनलाइन सुरक्षा को बढ़ावा देना है।

अधिकारी ने बताया कि इसके अलावा, पाठ्यक्रम में सामाजिक-भावनात्मक शिक्षा पर भी जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और सिंगापुर के वैश्विक ढांचों से प्रेरित यह खंड छात्रों को आत्म-जागरूकता, भावनात्मक विनियमन, लचीलापन और मुकाबला करने की रणनीतियों जैसी अवधारणाओं से परिचित कराता है।

उन्होंने बताया कि इस पाठ्यक्रम का एक अन्य अहम हिस्सा ‘समझदार नागरिक’ जो नागरिक जागरूकता और राष्ट्रीय गौरव की भावना पैदा करने पर केंद्रित है। इसमें विद्यार्थी संरचित संज्ञानात्मक गतिविधियों के माध्यम से समाज में अपनी भूमिका पर विचार करेंगे और नागरिक जिम्मेदारी के विषयों का पता लगाएंगे।

अधिकारी ने बताया, ‘‘कार्यक्रम में वास्तविक दुनिया की भागीदारी भी शामिल होगी। उदाहरण के लिए, छात्र यमुना सफाई अभियान में हिस्सा लेंगे, जिससे वे पर्यावरणीय स्थिरता में प्रत्यक्ष योगदान दे सकेंगे।’’

उन्होंने बताया कि विद्यार्थियों को लैंगिक समानता और नारीत्व के प्रति सम्मान जैसे विषयों से भी परिचित कराया जाएगा तथा समावेशिता और सहानुभूति के महत्व पर प्रकाश डाला जाएगा।

अधिकारी ने बताया कि सत्रों को रोचक और संवादात्मक बनाए रखने के लिए, कठपुतली का मंचन, रोल प्ले, पुरानी भारतीय वृत्तचित्रों को प्रदर्शित करने और क्षेत्र में ले जाने सहित विभिन्न रचनात्मक साधनों का उपयोग किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इन तरीकों का उद्देश्य सीखने को यादगार और सार्थक बनाना है।

अधिकारी ने बताया कि प्रत्येक सत्र महीने में दो बार आयोजित किया जाएगा, जिसके बीच 15 दिन का अंतराल होगा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक सत्र एक घंटे तक चलेगा, जिसकी शुरुआत एक संवादात्मक चर्चा से होगी, जिसमें विद्यार्थियों को अपने शिक्षकों के साथ अपने विचार और अनुभव खुलकर व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

भाषा धीरज प्रशांत

प्रशांत

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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