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Tuesday, 7 October, 2025
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दिल्ली सरकार के ‘प्री स्कूल’ समग्र गुणवत्ता में निजी समकक्षों से बेहतर : अध्ययन

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(वर्षा सागी)

नयी दिल्ली, सात अक्टूबर (भाषा)राष्ट्रीय राजधानी में सरकार द्वारा संचालित ‘प्री स्कूल’ ने आम धारणा के उलट भौतिक अवसंरचना, बच्चों में साफ-सफाई की आदतों, बच्चों के अनुकूल वातावरण, पाठ्यक्रम कार्यान्वयन, कक्षा प्रक्रिया और सुरक्षा सहित छह घटकों में से अधिकांश में अपने निजी समकक्षों से बेहतर प्रदर्शन किया है। यह खुलासा जामिया मिल्लिया इस्लामिया के एक अध्ययन में हुआ है।

अध्ययन-2025 के आंकड़ों के मुताबिक सभी छह मानकों को संयुक्त रूप से विश्लेषण करने पर सरकारी प्री स्कूल ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया, जिनमें से आधे से ज्यादा को ‘अच्छा’ दर्जा दिया गया। इसके मुताबिक निजी प्री स्कूल दूसरे स्थान पर रहे, जबकि ज्यादातर आंगनवाड़ी ‘औसत’ श्रेणी में रहे, और एक को ‘खराब’ दर्जा दिया गया।

जामिया के शिक्षा विभाग के शोधकर्ताओं ने 2023 में राजधानी के 45 प्री स्कूल का अध्ययन किया, जिनमें से 15 सरकारी, 15 निजी और 15 आंगनवाड़ी केंद्र शामिल थे।

‘दिल्ली में आंगनवाड़ी केंद्र, सरकारी प्री स्कूल और निजी प्री स्कूल में भौतिक बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता, साफ-सफाई की आदतें, प्रीस्कूल शिक्षा और सुरक्षा पर एक मात्रात्मक अध्ययन’ नामक अध्ययन के निष्कर्ष डिस्कवर एजुकेशन (2025) में प्रकाशित किए गए हैं।

अध्ययन के मुताबिक ‘प्री स्कूल’ का मूल्यांकन छह घटकों पर किया गया – जिनमें भौतिक अवसंरचना; जल, स्वच्छता और स्वास्थ्य (वॉश)प्रथाएं; बाल-अनुकूल वातावरण, पाठ्यक्रम कार्यान्वयन, कक्षा प्रक्रिया और सुरक्षा शामिल हैं।

शोधकर्ताओं ने प्रारंभिक बाल्यावस्था कार्यक्रमों के मूल्यांकन के लिए मानक प्रक्रिया, आंगनवाड़ी मूल्यांकन पैमाने का उपयोग किया, तथा प्राप्त अंकों को तीन श्रेणियों में ‘खराब’, ‘औसत’ और ‘अच्छा’ में विभाजित किया।

अध्ययन के मुताबिक भौतिक बुनियादी ढांचे के स्तर पर 15 सरकारी प्रीस्कूल में से 13 में बुनियादी ढांचा ‘अच्छा’ था, जबकि आठ निजी स्कूल और चार आंगनवाड़ी केंद्र भी इस श्रेणी में जगह बनाने में सफल हुए। दस आंगनवाड़ी केंद्रों को ‘औसत’ और एक को ‘खराब’ दर्जा दिया गया।

अध्ययन में स्वीकार किया गया कि इस अंतर की एक वजह अधिकांश आंगनवाड़ी केंद्रों का किराए के या एकल भवनों में संचालित होना है, जिनमें आंतरिक और बाह्य स्थान, वायु-संचार और सुविधाएं सीमित होती हैं। इसमें कहा गया कि सरकारी प्रीस्कू प्रायः सर्वोदय विद्यालयों से जुड़े होते हैं, बेहतर बुनियादी ढांचे और संसाधनों को साझा करते हैं।

इसके मुताबिक वाश के मामले में, कोई भी सरकारी प्री स्कूल ‘अच्छा’ श्रेणी में स्थान नहीं बना पाया। सभी 15 प्री स्कूल ‘औसत’ दर्जे में रहे। निजी विद्यालयों में से 12 ‘औसत’ और तीन ‘अच्छे’ श्रेणी में रहे। आंगनवाड़ियों में से 11 ‘औसत’, तीन ‘अच्छे’ और एक ‘खराब’ श्रेणी में वर्गीकृत किये गए। शौचालय, कूड़ेदान और पानी की सुविधाएं मौजूद थीं, लेकिन लगातार काम नहीं करती थीं।

बाल-अनुकूल वातावरण श्रेणी में, अधिकांश प्री स्कूल को ‘औसत’ श्रेणी में पाया गया। चार आंगनवाड़ी केंद्रों और पांच निजी प्री स्कूल को ‘खराब’ रेटिंग दी गई, जो मुक्त खेल या रचनात्मक गतिविधियों के लिए सीमित स्थान को दर्शाता है। केवल छह सरकारी प्री स्कूल और दो आंगनवाड़ी ही ‘अच्छे’ श्रेणी में आए।

अध्ययन के मुताबिक कक्षा प्रक्रिया श्रेणी में सभी 15 सरकारी प्री स्कूल और 13 निजी प्री स्कूलों ने ‘अच्छी’ गुणवत्ता हासिल की। ​​इसके विपरीत, 11 आंगनवाड़ी केंद्रों को ‘औसत’, तीन को ‘अच्छा’ और एक को ‘खराब’ दर्जा दिया गया।

अध्ययन में सुरक्षा मानकों का भी आकलन किया गया, जहां 14 सरकारी प्री स्कूल और 13 निजी स्कूलों को ‘अच्छा’ दर्जा दिया गया। आंगनवाड़ियों में से 11 को ‘औसत’, दो को ‘अच्छा’ और दो ने ‘खराब’ श्रेणी में स्थान बनाया।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के अनुसार, दिल्ली में पांच वर्ष से कम आयु के केवल 15.8 प्रतिशत बच्चे ही प्री स्कूल जाते हैं, जबकि शहर में छह वर्ष से कम आयु के 20 लाख से अधिक बच्चे हैं।

भाषा धीरज माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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