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Friday, 29 March, 2024
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दिल्ली सरकार ने शुरू किया फील्ड टास्क फोर्स, बेघर बच्चों को मिलेगी शिक्षा और फाइनेंशियल सपोर्ट

दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष अनुराग कुंडू ने कहा, 'बेचने, खरीदने और रेड लाइट पर अपना समय बिताने वाले बच्चों के लिए गलियां काफी खतरनाक हैं.' बच्चों को स्कूल में होना चाहिए और सोने के लिए सुरक्षित स्थान भी होना चाहिए.

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नई दिल्लीः दिल्ली सरकार ने गुरुवार को कहा कि बेघर बच्चों के पुनर्वास के लिए राजधानी में फील्ड टास्क फोर्स का गठन किया गया है. यह टास्क फोर्स बेघर हुए बच्चों को शैक्षणिक, वित्तीय सहायता देने के साथ साथ उनकी देखरेख करने का भी काम करेगी. इस बच्चों को गरिमापूर्ण जीवन देने के लिए सरकार ने 10 करोड़ रुपये का बजट रखा है ताकि इनके लिए रेजिडेंशियल स्कूल विकसित किया जा सके.

डायलॉग एंड डेवलेपमेंट कमीशन ऑफ देहली (डीडीसीडी) के रणनीतिक सपोर्ट के जरिए दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) ने सलाम बालक ट्रस्ट और यूथ रीच के साथ मिलकर इन बच्चों के लिए फील्ड टास्क फोर्स को तैनात करेगा. दक्षिण और दक्षिण पूर्व जिलों से शुरुआत करके टास्क फोर्स को चरणबद्ध तरीके से शुरू किया जाएगा.

यूथ रीच ने कहा, ‘हम डीसीपीसीआर के साथ इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बनकर बच्चों के लिए राहत कार्य करके और उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए काम करके विशिष्ट महसूस करते हैं.’

यह टीम केसवर्कर्स और काउंसिलर्स के साथ जिलेवार तैनात की जाएगी जो कि बाल कल्याण समितियों के साथ मिलकर काम करेंगे. टास्क फोर्स पुनर्वास के 5-पिलर मॉडल पर फोकस करेगी जिसमें शिक्षा और वोकेशनल ट्रेनिंग, काउंसिलिंग और मेडिकल सपोर्ट, स्पॉन्सरशिप, गार्डियनशिप और बच्चों के लिए घर और शेल्टर की व्यवस्था होगी.

दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष अनुराग कुंडू ने कहा, ‘बेचने, खरीदने और रेड लाइट पर अपना समय बिताने वाले बच्चों के लिए गलियां काफी खतरनाक हैं.’ बच्चों को स्कूल में होना चाहिए और सोने के लिए सुरक्षित स्थान भी होना चाहिए. इस प्रोजेक्ट के जरिए डीसीपीसीआर की चौबीसो घंटों की सेवा और अर्ली वार्निंग सिस्टम की भी स्थापना की जाएगी.

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उन्होंने कहा, ‘हम सभी दिल्लीवासियों से निवेदन करते हैं कि बच्चों के भविष्य को बचाने के लिए हमारे साथ हाथ मिलाएं. हमारा हेल्पलाइन नंबर 9311551393 है.’

बता दें कि दिल्ली में हजारों बच्चे असंगठित तौर पर काम करते हैं और आजीविका के लिए भीख मांगते हैं. ये बच्चे काफी असुरक्षित माहौल में रहते हैं. इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य समस्या से निपटने के लिए और इन बच्चों को जिम्मेदार नागरिक बनाना है.


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