नयी दिल्ली, 22 जनवरी (भाषा) राज्यों को बहुत कम समय में आंकड़े देने वाली प्रयोगशालाएं तथा जिलों और विधानसभा क्षेत्रों के आधार पर कोरोना वायरस के मरीजों को पृथक करना दिल्ली सरकार द्वारा तय मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का हिस्सा हैं।
पिछले सप्ताह जारी एक आदेश में, स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि उसने कोविड-देखभाल केंद्रों के लिए एसओपी तैयार किए हैं, जिसमें रोगियों की टेलीकॉलिंग से संबंधित दिशानिर्देशों पर अमल भी शामिल है।
एसओपी के तहत प्रयोगशालाओं को 20 घंटे के भीतर राज्य कोविड-19 प्रतिक्रिया केंद्र को वास्तविक समय आधारित आंकड़े उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। उन्हें कोरोना के मामलों को जिला, विधानसभा क्षेत्र और वार्ड आदि के आधार पर पृथक करने को भी कहा गया है। ये आंकड़े एकीकृत प्रबंधन ऐप पर प्रकाशित होगा।
आदेश में कहा गया है कि कोविड सेंटर की टेलीकॉलिंग इकाई नमूने के संक्रमित पाए जाने की स्थिति में रोगियों को आधे घंटे के भीतर कॉल करने के लिए जिम्मेदार होती है। यदि रोगी को अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता होती है तो संबंधित केंद्र की टीम एक घंटे के भीतर पहुंचेगी और सारी सुविधाएं उपलब्ध कराएगी।
आदेश में कहा गया है, ‘‘रोगी के घर पहुंचने वाली टीम मौके पर इस बात का आंकलन करेगी कि क्या रोगी को दिशानिर्देशों के तहत घर में ही पृथकवास में रखा जाना है या उसे कोविड देखभाल केंद्र ले जाने की आवश्यकता है। इस प्रकार रोगियों का वर्गीकरण किया जा सकता है कि वह अस्पताल ले जाने लायक है या सीसीसी या सेंटर में भर्ती कराने लायक, अथवा घर में पृथकवास में रखने लायक है।’’
इसमें कहा गया है कि यदि आवश्यकता पड़ती है तो रोगी के घर पहुंचने वाली टीम डॉक्टर को वीडियो कॉल कर सकती है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में कोरोना के 61,954 सक्रिय मामले हैं, जिनमें से 48,356 मरीज घर पर ही पृथकवास में हैं।
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सुरेश माधव
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