नई दिल्ली: दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार से लागू की जा रही शिक्षा की ताज़ा योजना की जानकारी देते हुए कहा कि सबसे ज़्यादा ध्यान इस बात पर देना होगा कि डिजिटल डिवाइड न हो और ह्यूमन टच बना रहे.
वर्तमान में राजधानी के स्वास्थ्य मंत्रालय का जिम्मा भी संभाल रहे सिसोदिया ने कहा, ‘कोविड- 19 महामारी की वजह से शिक्षा का जो नुकसान हुआ है उसकी पूरी तरह से भरपाई तो मुश्किल है. ऐसे में कोशिश की जा रही है कि बच्चों को कम से कम नुकसान हो. उन्होंने कहा कि ताज़ा हालात में स्कूली शिक्षा के स्तर पर सबसे ज़्यादा चुनौती है.’
उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा चैलेंज ‘डिजिटल डिवाइड’ है. ऑनलाइन शिक्षा का सबसे बड़ा डर यही है कि संभ्रांत और गैर-संभ्रांत बच्चों के बीच कोई खाई न पैदा हो जाए. शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘इसी वजह से हमारी ताज़ा योजना का सार है ‘लर्निंग विद ह्यूमन फील’ यानी इंसानी एहसास के साथ सीखाना.
योजना के शुक्रवार से लागू होने की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि इसमें शिक्षकों के अलावा स्कूल मैनेजमेंट कमेटी (एसएमसी) का भी अहम योगदान होगा. उन्होंने कहा कि ताज़ा पहल को तीन हिस्सों में बांटा गया है. किंडरगार्टन (केजी) से आठवीं तक के बच्चों से शिक्षक व्हाट्सएप के जरिए उन्हें वर्कशीट देंगे. वर्कशीट में दिया गया काम करके बच्चों को लौटाना होगा.
उन्होंने कहा, ‘कई बच्चे ऐसे हैं जिनके पास व्हाट्सएप या इंटरनेट मौजूद नहीं है. हमारी स्टडी के मुताबिक 10-20 प्रतिशत बच्चों के परिवार के पास व्हाट्सएप नहीं है. ऐसे परिवार के बच्चों से एक बार शिक्षक मिलेंगे, वर्कशीट देंगे और शिक्षक बच्चों से फोन के जरिए संपर्क में रहेंगे. शीट में रीडिंग, राइटिंग और मैथ्स से संबंधित काम होगा.’
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वहीं, 9वी और 10वीं के बच्चों के लिए भी वर्कशीट तैयार की गई है. इन्हें भी वर्कशीट में दिया गया काम करके लौटाना होगा. यहां भी तकनीक से महरूम बच्चों के परिवार वालों से शिक्षक सीधे संपर्क में होंगे. तीसरे हिस्से में 11वीं और 12वीं के बच्चे हैं जिनके लिए ऑनलाइन क्लास चलाई जाएगी.
11वीं और 12वीं के बच्चों के लिए भी हर रोज़ 40-45 मिनट के एक-दो पीरियड होंगे. जो बच्चे इंटरनेट से महरूम हैं उनसे यहां भी शिक्षक फोन पर संपर्क करेंगे. सिसोदिया ने कहा कि जो चुनौतियां आएंगी उनकी समीक्षा जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि 11-12वीं के बच्चों के लिए अन-एकेडमी ने स्वयं सहायता का काम पहले भी किया है और अभी भी वो तैयार है.
शिक्षा मंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि पूरा प्रयास इस बात पर है कि किसी तरह का ‘गैप या डिवाइड’ न आए और ‘ह्यूमन टच’ बना रहे. इसके लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई मॉडल्स का अध्ययन किया गया है.