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Sunday, 5 May, 2024
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दिल्ली की कोर्ट ने आबकारी नीति मामले में 5 आरोपियों की जमानत याचिका खारिज की, आरोपों को बताया गंभीर

जमानत याचिका को खारिज करते हुए, अदालत ने कहा कि इस मामले में कार्यवाही के इस स्टेज पर आरोपी जमानत पर रिहा होने का हकदार नहीं है क्योंकि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप काफी गंभीर हैं.

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नई दिल्ली: दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने बृहस्पतिवार को दिल्ली सरकार की अब खत्म की जा चुकी आबकारी नीति को लेकर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार 5 आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया.

जमानत याचिका को खारिज करते हुए, अदालत ने कहा कि इस मामले में कार्यवाही के इस स्टेज पर आरोपी जमानत पर रिहा होने का हकदार नहीं है क्योंकि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप काफी गंभीर हैं.

विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल ने विजय नायर, अभिषेक बोनिपल्ली, समीर महेंद्रू, सरथ पी रेड्डी और बिनॉय बाबू की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि आरोपी व्यक्ति पी चिदंबरम बनाम निदेशालय के मामले में निर्धारित ट्रिपल टेस्ट से भी संतुष्ट नहीं हैं.

कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड में दिए गए उनके व्यक्तिगत और पारिवारिक इतिहास से यह देखा जा सकता है कि उनमें से किसी के भी भागने का जोखिम नहीं है और भले ही उनके द्वारा गवाहों को प्रभावित करने के संबंध में अभियोजन पक्ष द्वारा व्यक्त की जा रही आशंकाएं सच न हों और हो सकता है. ईडी द्वारा उनके खिलाफ कई बार पहले ही आरोप लगाया जा चुका है और यहां तक ​​कि डिजिटल डेटा को नष्ट करने के आरोप भी हैं.

विजय नायर आम आदमी पार्टी के पूर्व संचार प्रमुख हैं और सरथ पी रेड्डी, बिनॉय बाबू, समीर महेंद्रू और अभिषेक बोइनपल्ली दक्षिण के व्यवसायी हैं.

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प्रवर्तन निदेशालय ने शराब आबकारी नीति मामले में अपने दूसरे चार्जशीट में 12 अभियुक्तों के नाम चार्जशीट में जिक्र किए हैं जिसमें कुल 5 गिरफ्तार व्यक्तियों (विजय नायर, शरथ रेड्डी, बिनॉय बाबू, अभिषेक बोइनपल्ली, अमित अरोड़ा) और 7 साथियों का उल्लेख किया है.

ईडी ने कहा कि विभिन्न आरोपों पर ईसीआईआर नामित अभियुक्तों और अन्य व्यक्तियों की भूमिका की पड़ताल के लिए आगे की जांच जारी है.

ईडी ने समीर महेंद्रू और उनकी संबंधित फर्मों के खिलाफ मामले में पहली चार्जशीट दायर की थी.

मामले में, ईडी और सीबीआई ने आरोप लगाया था कि आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितता की गई थी, लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया था, लाइसेंस शुल्क माफ या कम किया गया था और सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना एल-1 लाइसेंस बढ़ाया गया था.

लाभार्थियों ने आरोपी अधिकारियों को ‘अवैध’ लाभ दिया और पता लगाने से बचने के लिए अपने खाते के रजिस्टर में गलत एंट्रीज कीं.

मामले में प्राथमिकी दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की सिफारिश के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय के हवाले के साथ एफआईआर दर्ज की गई थी.


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