नई दिल्ली: दिल्ली की एक कोर्ट ने बुधवार को एमजे अकबर की आपराधिक मानहानि मामले में पत्रकार प्रिया रमानी को बरी कर दिया है. साथ ही, अदालत ने कहा कि एक महिला को दशकों बाद भी किसी मंच पर अपनी शिकायत रखने का अधिकार है.
रमानी ने अकबर के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। अकबर ने उन आरोपों को लेकर रमानी के खिलाफ 15 अक्टूबर 2018 को यह शिकायत दायर की थी.
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार पांडे ने अकबर की शिकायत यह कहते हुए खारिज कर दी कि उनके (रमानी के) खिलाफ कोई भी आरोप साबित नहीं किया जा सका.
दिल्ली की अदालत ने कहा कि जिस देश में महिलाओं के सम्मान के बारे में रामायण और महाभारत लिखी गई, वहां महिलाओं के खिलाफ अपराध हो रहे हैं, यह शर्म की बात है.
अदालत ने कहा कि महिला को अपनी परेशानी रखने का अधिकार है, भले ही वो दशकों के बाद ही क्यों न हो.
अदालत ने कहा कि सामाजिक हैसियत वाला व्यक्ति भी यौण शोषण कर सकता है.
कोर्ट ने कहा कि यौन शोषण आत्मविश्वास के साथ गरिमा भी छीन लेता है. प्रतिष्ठा का अधिकार गरिमा के अधिकार की कीमत पर संरक्षित नहीं किया जा सकता है.
कोर्ट ने कहा कि समाज को पीड़ित पर यौन शोषण के प्रभाव को समझना पड़ेगा.
अदालत के फैसले के बाद प्रिया रमानी ने कहा, ‘वास्तव में यह आश्चर्यजनक लगता है. मैं उन तमाम महिलाओं की तरफ से अपने आप को प्रमाणित महसूस करती हूं जो कभी भी यौन उत्पीड़न के खिलाफ बोली हैं. यौन उत्पीड़न पर ध्यान दिया गया है जो जरूरी था.’
अदालत ने अकबर और रमानी के वकीलों की दलीलें पूरी होने के बाद एक फरवरी को अपना फैसला 10 फरवरी के लिए सुरक्षित रख लिया था.
हालांकि, अदालत ने 10 फरवरी को फैसला 17 फरवरी के लिए यह कहते हुए टाल दिया था कि चूंकि दोनों ही पक्षों ने विलंब से अपनी लिखित दलील सौंपी है, इसलिए फैसला पूरी तरह से नहीं लिखा जा सका है.
गौरतलब है कि रमानी ने 2018 में सोशल मीडिया पर चली ‘मीटू’ मुहिम के तहत अकबर के खिलाफ यौन दुर्व्यवहार के आरोप लगाए थे। हालांकि, अकबर ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है.
अकबर ने 17 अक्टूबर 2018 को केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था.